Dr Manmohan Singh Death: साल 2014 में प्रधानमंत्री पद से हटने से कुछ महीने पहले मनमोहन सिंह ने यह दावा किया था कि उनका नेतृत्व कमजोर नहीं है और इतिहास उनके प्रति मीडिया द्वारा उस समय पेश किए गए अनुमान से अधिक दयालु होगा.
जनवरी 2014 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, जो कि उनके अंतिम मीडिया संवादों में से एक था, सिंह ने कहा था, "मैं नहीं मानता कि मैं एक कमजोर प्रधानमंत्री रहा हूं... मैं ईमानदारी से मानता हूं कि इतिहास मेरे प्रति समकालीन मीडिया या संसद में विपक्ष से अधिक दयालु होगा... राजनीतिक मजबूरियों को देखते हुए, मैंने वह सर्वश्रेष्ठ किया है जो मैं कर सकता था."
‘इतिहास को यह तय करना है कि मैंने क्या किया है...'
"...मैंने परिस्थितियों के अनुसार जितना कर सकता था, किया है... इतिहास को यह तय करना है कि मैंने क्या किया है या क्या नहीं किया है." सिंह, जो 26 मई, 2014 को नरेंद्र मोदी के कार्यभार संभालने से पहले 10 वर्षों तक प्रधानमंत्री रहे. वे उन सवालों का जवाब दे रहे थे, जिनमें आलोचना की गई थी कि उनका नेतृत्व "कमज़ोर" था और वे कई मौकों पर निर्णायक नहीं थे.
मोदी पर बोला था हमला
सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा के तत्कालीन प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार मोदी पर तीखा हमला करने के लिए भी चुना था और मुख्यमंत्री के अधीन 2002 के गुजरात दंगों का उल्लेख किया था. उस समय भाजपा ने अगले लोकसभा चुनावों से पहले "कमज़ोर" नेतृत्व के मुद्दे पर सिंह पर निशाना साधते हुए मोदी को एक मज़बूत नेता के रूप में पेश किया था. सिंह ने कहा था, "अगर आप अहमदाबाद की सड़कों पर निर्दोष नागरिकों के सामूहिक नरसंहार की अध्यक्षता करके प्रधानमंत्री की ताकत को मापते हैं, तो मैं इसमें विश्वास नहीं करता.... मुझे नहीं लगता कि इस देश को अपने प्रधानमंत्री से इस तरह की ताकत की कम से कम ज़रूरत है."
उन्होंने कहा था, "मुझे पूरा विश्वास है कि अगला प्रधानमंत्री यूपीए से होगा... नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना देश के लिए विनाशकारी होगा... मुझे पूरा विश्वास है कि नरेंद्र मोदी जो कह रहे हैं, वह सच नहीं होने वाला है."
‘कुछ समझौते किए गए...'
यूपीए-1 और यूपीए-2 में प्रधानमंत्री के रूप में अपने दो कार्यकालों में कांग्रेस की गठबंधन सरकार चलाने की क्षमता प्रदर्शित करने और इस धारणा को दूर करने पर जोर देते हुए कि यह पार्टी गठबंधन नहीं चला सकती, सिंह ने कहा कि हालांकि इस प्रक्रिया में कुछ समझौते किए गए, लेकिन वे "राष्ट्रीय समस्याओं पर नहीं, बल्कि परिधीय मुद्दों पर" थे. जब उनसे कांग्रेस के भीतर उनके नेतृत्व के बारे में "नकारात्मक" धारणाओं के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने जवाब दिया, "प्रधानमंत्री के रूप में मेरे कार्यकाल की विशेषता वाली किसी भी अपर्याप्तता के कारण किसी ने भी मुझे पद छोड़ने के लिए नहीं कहा."
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