
इंदौर: मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने सूबे की पटवारी भर्ती परीक्षा में बड़े घोटाले का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका पर बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. प्रदेश कांग्रेस समिति के पूर्व महासचिव रघुनंदन सिंह परमार ने यह जनहित याचिका दायर करते हुए गुहार की है कि उच्च न्यायालय के मौजूदा या अवकाशप्राप्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति से इस परीक्षा की कथित गड़बड़ियों की जांच कराई जाए.
उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति हिरदेश ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इस बात पर अपना फैसला सुरक्षित रखा कि जनहित याचिका के आधार पर मुकदमा चलाया जाए या नहीं. अदालत में बहस के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पटवारी भर्ती परीक्षा 'बहुत बड़ा घोटाला' है, क्योंकि शीर्ष 10 चयनित उम्मीदवारों में से सात ने ग्वालियर के एक ही परीक्षा केंद्र में यह भर्ती परीक्षा दी थी और इस केंद्र से कुल 114 लोगों का भर्ती परीक्षा में चयन हुआ है.
इधर, प्रदेश सरकार के वकील ने जनहित याचिका में लगाए गए आरोपों को बेबुनियाद करार देते हुए कहा कि समाचार पत्रों की कतरनों के बूते दायर याचिका के आधार पर कतई मुकदमा नहीं चलाया जा सकता. राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पटवारी भर्ती परीक्षा में अनियमितताओं के आरोप लगने के बाद इस परीक्षा के आधार पर की जाने वाली नियुक्तियों पर 13 जुलाई को रोक लगा दी थी.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी बहन एवं पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा द्वारा मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार पर पटवारी भर्ती परीक्षा में गड़बड़ियों के आरोप लगाए जाने के कुछ ही घंटे बाद चौहान ने यह कदम उठाया था.
पटवारी भर्ती परीक्षा में कथित अनियमितताओं के खिलाफ इंदौर और भोपाल सहित राज्य के कई हिस्सों में हजारों बेरोजगार युवाओं ने 13 जुलाई को बड़े विरोध प्रदर्शन भी किए थे.
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