
ISRO Latest News : अंतरिक्ष विज्ञान के दृष्टिकोण से आज का दिन भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation's) यानी इसरो (ISRO) के आदित्य-एल1 मिशन (Aditya L1 Mission) ने आज अपनी अंतिम कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर लिया है. सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का पहला मिशन (India's first mission to study the sun) श्रीहरिकोटा लॉन्चपैड (Sriharikota launchpad) से अपनी महत्वाकांक्षी यात्रा शुरू करने के चार महीने बाद आज अपने अंतिम गंतव्य कक्षा में पहुंच चुका है.
𝐈𝐧𝐝𝐢𝐚, 𝐈 𝐝𝐢𝐝 𝐢𝐭. 𝐈 𝐡𝐚𝐯𝐞 𝐫𝐞𝐚𝐜𝐡𝐞𝐝 𝐭𝐨 𝐦𝐲 𝐝𝐞𝐬𝐭𝐢𝐧𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧!
— ISRO InSight (@ISROSight) January 6, 2024
Aditya-L1 has successfully entered the Halo orbit around the L1 point.#ISRO #AdityaL1Mission #AdityaL1 pic.twitter.com/6gwgz7XZQx
हेलो कक्षा में किया प्रवेश
इसरो ने ट्वीट कर आदित्य-एल1 के हेलो कक्षा में प्रवेश करने की जानकारी दी है. पीएम मोदी ने भी मिशन की सफलता के लिए बधाई दी है. करीब ₹400 करोड़ की लागत से तैयार और लगभग 1,500 किलोग्राम की यह सैटेलाइट पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला के रूप में कार्य करेगी.
India creates yet another landmark. India's first solar observatory Aditya-L1 reaches it's destination. It is a testament to the relentless dedication of our scientists in realising among the most complex and intricate space missions. I join the nation in applauding this…
— Narendra Modi (@narendramodi) January 6, 2024
प्राप्त जानकारी के अनुसार एल1 प्वाइंट के चारों ओर हेलो कक्षा (Halo Orbit) में उपग्रह से सूर्य को लगातार देखा जा सकता है. इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव का अवलोकन करने में अधिक लाभ मिलेगा. वहीं यदि हम ऐसा नहीं करते हैं, तो संभावना है कि यह शायद सूर्य की ओर अपनी यात्रा जारी रखेगा.
अंतरिक्ष यान पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल 1) के आसपास एक ‘हेलो' कक्षा में पहुंचा है. एल1 प्वाइंट पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है. इस मिशन में अंतरिक्ष वेधशाला (space observatory) बदलते अंतरिक्ष मौसम पर नजर रखेगी और वैज्ञानिकों को सौर तूफान और भड़कने सहित प्रतिकूल परिवर्तनों के बारे में चेतावनी देगी जो उपग्रहों के काम को प्रभावित कर सकते हैं.
यह मिशन कम अध्ययन किए गए सौर मौसम के अलावा, उपग्रह प्री-फ्लेयर और फ्लेयर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेगा.
इसरो के अध्यक्ष (ISRO Chairman) एस सोमनाथ (S Somnath) ने एनडीटीवी (NDTV) को बताते हुए कहा था कि "चूंकि आदित्य-एल1 लगातार सूर्य को ऑब्जर्व करेगा. इसलिए यह हमें पृथ्वी पर आसन्न सौर विद्युत-चुंबकीय प्रभावों के बारे में चेतावनी दे सकता है. यह हमारे उपग्रहों (Satelites) और संचार नेटवर्क को बाधित होने से बचा सकता है.
इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या ‘कोरोनल मास इजेक्शन' (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं तथा पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है.
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