
Acharya Vidyanand Ji Maharaj 100th Birth Anniversary: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को दिल्ली में जैन मुनि आचार्य श्री विद्यानंद जी महाराज की 100वीं जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए. पीएम मोदी ने कहा कि हमें विकास और विरासत को एक साथ लेकर आगे बढ़ना है. इसी संकल्प को केंद्र में रखकर हम भारत के सांस्कृतिक स्थलों और तीर्थ स्थानों का भी विकास कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आचार्य विद्यानंद जी महाराज की 100वीं जयंती के अवसर पर उनके शताब्दी समारोह के दौरान डाक टिकट और सिक्के जारी किए.
#WATCH | दिल्ली: आचार्य विद्यानंद जी महाराज के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "यह दिन इसलिए भी खास है क्योंकि 28 जून 1987 को आचार्य विद्यानंद मुनिराज को 'आचार्य' की उपाधि मिली थी। यह सिर्फ सम्मान नहीं था बल्कि जैन संस्कृति को विचारों, संयम और करुणा से जोड़ने वाली… pic.twitter.com/JR83n4vj4g
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 28, 2025
पीएम मोदी ने क्या कुछ कहा?
आचार्य विद्यानंद जी महाराज के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "यह दिन इसलिए भी खास है क्योंकि 28 जून 1987 को आचार्य विद्यानंद मुनिराज को 'आचार्य' की उपाधि मिली थी. यह सिर्फ सम्मान नहीं था बल्कि जैन संस्कृति को विचारों, संयम और करुणा से जोड़ने वाली 'पवित्र धारा' भी थी. आज जब हम उनकी 100वीं जयंती मना रहे हैं तो यह हमें उस ऐतिहासिक क्षण की याद दिलाता है..."
#WATCH | Delhi: Prime Minister Narendra Modi releases postage commemorative stamps and coins on the occasion of the 100th birth anniversary of Acharya Vidyanand Ji Maharaj, during his centenary celebrations.
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#WATCH दिल्ली: आचार्य विद्यानंद जी महाराज के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'धर्म चक्रवर्ती' की उपाधि से सम्मानित किया गया।
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जैन मुनि आचार्य श्री विद्यानंद जी महाराज की सराहना करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि प्राकृत भारत की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है. ये भगवान महावीर के उपदेशों की भाषा है. लेकिन अपनी संस्कृति की उपेक्षा करने वालों के कारण ये भाषा सामान्य प्रयोग से बाहर होने लगी थी. हमने आचार्य श्री जैसे संतों के प्रयासों को देश का प्रयास बनाया. हमारी सरकार ने प्राकृत को 'शास्त्रीय भाषा' का दर्जा दिया. हम भारत की प्राचीन पाण्डुलिपियों को डिजिटाइज करने का अभियान भी चला रहे हैं. आचार्य विद्यानंद महाराज कहते थे कि जीवन तभी धर्ममय हो सकता है, जब जीवन स्वयं ही सेवामय बन जाए. उनका ये विचार जैन दर्शन की मूल भावना से जुड़ा हुआ है, ये विचार भारत की चेतना से जुड़ा हुआ है. भारत सेवा प्रधान देश है, मानवता प्रधान देश है.
पीएम ने कहा कि आज इस अवसर पर आपने मुझे 'धर्म चक्रवर्ती' की उपाधि देने का जो निर्णय लिया है, मैं खुद को इसके योग्य नहीं समझता हूं. लेकिन हमारा संस्कार है कि हमें संतों से जो कुछ मिलता है उसे प्रसाद समझकर स्वीकार किया जाता है. इसलिए मैं आपके इस प्रसाद को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करता हूं और मां भारती के चरणों में अर्पित करता हूं.
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