Breastfeeding Week 2024: विश्व स्तनपान सप्ताह हर साल अगस्त के पहले सप्ताह में मनाया जाता है. इसे वर्ल्ड अलायंस फॉर ब्रेस्टफीडिंग एक्शन (WABA) द्वारा मनाया जाता है. WABA एक वैश्विक नेटवर्क है, जिसका उद्देश्य दुनिया भर में स्तनपान की रक्षा करना, प्रचार करना और समर्थन करना है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूनिसेफ (UNICEF) जैसे संगठन स्तनपान सप्ताह को मनाए जाने का समर्थन करते हैं. आज हम ब्रेस्ट मिल्क कलर (Breast Milk Color) या मां के दूध के रंग की करेंगे, जिसके बारे में तरह-तरह की भ्रांतियां और मिथक हैं.
ब्रेस्ट मिल्क के रंग से जुड़ी अफवाहों के चक्कर में कई बार मांएं तनावग्रस्त हो जाती हैं. चिकित्सकों के मुताबिक, ब्रेस्ट मिल्क को लेकर परेशान नहीं होना चाहिए. बल्कि इसके बारे में सटीक जानकारी ही मांओं का तनाव कम कर सकती है. आमतौर पर ब्रेस्ट मिल्क का रंग पीला, सफेद, क्रीम और टैन जैसा होता है. डिलीवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क का रंग बदलता है. ऐसे में कई बार माताएं इसके रंग को लेकर परेशान हो जाती हैं. दूध के रंग के बारे में सभी माताओं को जानकारी होना बेहद जरूरी है. इस बार विश्व स्तनपान सप्ताह की थीम 'अंतर को कम करना: सभी के लिए स्तनपान समर्थन' है.
डिलीवरी के बाद मां के दूध में कब-कब आता है बदलाव?
बच्चे के जन्म के बाद जो सबसे पहला दूध आता है वो कोलोस्ट्रम होता है. शुरुआत में यह बहुत कम आता है. लेकिन यह पौष्टिक दूध बच्चे के लिए बेहद ही लाभदायक होता है. कोलोस्ट्रम में बीटा-कैरोटीन की उच्च मात्रा होती है. इसी कारण यह गाढ़ा और हल्के पीले रंग का होता है. यह जन्म के लगभग 4 से 5 दिनों तक आता है. इसके बाद के दिनों में माताओं को जो दूध आता है उसे ट्रांजिशन मिल्क कहा जाता है. यह पहले के मुकाबले काफी पतला होता है.
जन्म के लगभग दो हफ्ते के बाद मैच्योर मिल्क आने लगता है. बता दें कि इस दूध का रंग इस बात पर निर्भर करता है कि उसमें कितनी मात्रा में फैट की मौजूदगी है. इसके बाद जब दूध में फैट की मात्रा कम हो जाती है जो पतला दूध आने लगता है, जिसे मेडिकल भाषा में फोरमिल्क कहा जाता है.
मां के दूध के बारे में डॉक्टरों की ये है राय
मां के दूध के रंग के बारे में जानकारी देते हुए मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में प्रसूति एवं स्त्री रोग में सीनियर कंसल्टेंट डॉ अर्पणा हरितवाल ने बताया कि जन्म के बाद जो सबसे पहला दूध आता है, वह डार्क येलो कलर का होता है. उसे हम कोलोस्ट्रम कहते हैं. इसी दूध के अंदर प्रचुर मात्रा में एंटीबॉडी होती है. यह बच्चे की इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करता है. डॉ अर्पणा ने बताया कि इसके बाद जो दूध आता है, वह थोड़ा हल्के रंग का होता है. उस दूध में पानी की मात्रा ज्यादा होती है. यह मिल्की वाइट कलर का होता है जो बच्चे को हाइड्रेट रखने में मदद करता है. उन्होंने बताया कि यह दोनों ही तरह के दूध बच्चे की सेहत के लिए बेहद ही फायदेमंद होते हैं.
यह भी पढ़ें - मातृ व शिशु मृत्यु दर कम करने में अव्वल आया ये जिला अस्पताल, प्रदेश में तीसरा, निमाड़ में किया टॉप
यह भी पढ़ें - जर्जर मकानों और इमारतों पर सरकार की नजर, कभी भी करना पड़ सकता है खाली, प्रशासन ने मांगा ब्यौरा
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)