
Madhya Pradesh News : ट्रेन में गम्भीर रूप से बीमार एक बुजुर्ग जिनकी शिनाख्त बाद में कुलपति के रूप में हुई थी उस शख्स को रेलवे स्टेशन (Railway Station) से जज (Judge) की कार छीनकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के छात्र हाॅस्पिटल ले गए थे, इस कारण उन पर डकैती के केस दर्ज करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. बाद में यह मामला काफी चर्चित हो गया, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने इसको लेकर पत्र भी लिखा था. अब इस बहुचर्चित मामले में जेल भेजे गए ABVP के दो छात्रों को बीती रात जेल से रिहा किया गया है. बता दें कि इस घटना के खिलाफ विद्यार्थी परिषद ने पूरे प्रदेश में आंदोलन चला रखा था, जबकि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (Chief Minister Mohan Yadav) ने मामले की जांच सीआईडी को सौंपने के आदेश दिए थे.
आठ दिन बाद हुई रिहाई
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के दो छात्रों हिमांशु श्रोत्रिय और सुकृत शर्मा को पड़ाव थाना पुलिस ने हाईकोर्ट जज (High Court Judge) की गाड़ी छीनने के आरोप में बीते 12 दिसम्बर को गिरफ्तार करके जेल भेजा था. इसके बाद जिला न्यायालय द्वारा उनकी जमानत निरस्त करने के बाद से वे ग्वालियर की सेंट्रल जेल में बन्द थे. इनको हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ से 18 दिसंबर को मानवीय आधार पर जमानत मिल गयी, लेकिन औपचारिकताओं के चलते इनकी रिहाई 19 दिसम्बर की देर रात को हो सकी.
कार्यकर्ताओं ने लगाए नारे और फूल-मालाओं से लादा
बीती देर रात हुई रिहाई के वक्त सेंट्रल जेल (Central Jail) के बाहर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बड़ी संख्या में कार्यकर्ता जेल परिसर के बाहर जुट गए थे. जैसे ही हिमांशु और सुकृत बाहर निकले उनके साथियों ने नारे लगाते हुए उनका गर्मजोशी से स्वागत किया और फिर फूल-मालाओं से लाद दिया. इसके बाद नारेबाजी करते हुए उन्हें उनके घर तक लेकर गए.
यह था पूरा मामला
दस दिसम्बर को दिल्ली अधिवेशन से परिषद के नेता दक्षिण एक्सप्रेस से ग्वालियर लौट रहे थे, तभी ट्रेन में यात्रा कर रहे एक बुजुर्ग की तबियत बिगड़ने लगी. छात्रों ने धौलपुर रेलवे स्टेशन पर उनके लिए चिकित्सकीय मदद मांगी, लेकिन वहां मदद नहीं मिली हालांकि आश्वासन दिया गया कि ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर सूचना भेजी है, वहां एम्बुलेंस मिल जाएगी. छात्रों का कहना है कि ग्वालियर पहुंचने तक बीमार की हालत और बिगड़ चुकी थी. स्टेशन पर उन्होंने उतार लिया और रेलवे अधिकारियों और जीआरपी से मदद मांगी, लेकिन जब काफी देर तक एम्बुलेंस नहीं आई तो छात्र बीमार को लेकर स्टेशन के बाहर आ गए. बीमार को पोर्च में खड़ी कार में लिटा दिया लेकिन कार के चालक ने चलने से इंकार कर दिया तो छात्रों ने उसे हटाकर खुद गाड़ी चलाते हुए असप्ताल पहुंच गए, हालांकि बीमार को बचाया नहीं जा सका. मृतक की पहचान पीके विश्व विद्यालय शिवपुरी के कुलपति रणजीत सिंह यादव के रूप में हुई.
पुलिस ने दर्ज किया था डकैती का केस
स्टेशन से छात्र जिस कार को लेकर गए थे, वह एक हाईकोर्ट जज की थी. इस कार को जबरन छीनकर ले जाने की सूचना से पुलिस में हड़कंप मच गया. ड्राइवर की रिपोर्ट पर अज्ञात लोगों के खिलाफ डकैती का केस दर्ज कर लिया गया. सर्चिंग में कार जेएएच हॉस्पीटल कैम्पस में खड़ी मिल गयी. मौके से पुलिस ने विद्यार्थी परिषद के हिमांशु और सुकृत नामक दो पदाधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया और इन्हें जेल भेज दिया. इसके बाद परिषद ने आंदोलन शुरू कर दिया कि मानव सेवा और किसी की जान बचाने के प्रयास के बदले छात्रों को डकैत बना दिया. घटना विद्यार्थी परिषद से जुड़ी होने के कारण पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर छात्रों की मदद की गुहार लगाई फिर मध्यप्रदेश के नव नियुक्त मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने इस घटना की जांच सीआईडी को सौंपने के आदेश जारी किए. डॉ यादव खुद भी विद्यार्थी परिषद के माध्यम से ही बीजेपी में आये हैं.
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