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This Article is From Jul 20, 2023

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने दुष्कर्म की प्राथमिकी निरस्त की

याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि महिला बालिग है और वह स्वेच्छा के साथ उसके साथ रह रही थी. उसने शादी का कोई वादा नहीं किया था. अब अनुचित लाभ लेने के लिए महिला ने मामला दर्ज कराया है. यह मामला न्यायाधीश दीपक कुमार अग्रवाल की पीठ में सुना गया.

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने दुष्कर्म की प्राथमिकी निरस्त की
प्रतीकात्मक तस्वीर

ग्वालियर: मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ ने दुष्कर्म के एक मामले में प्राथमिकी निरस्त करने का आदेश दिया है. अपने निर्णय में उच्च न्यायालय ने कहा कि आरोपी के साथ महिला एक साल से ज्यादा समय के लिए रही और यह अवधि भला-बुरा समझने के लिए काफी है और ऐसे में दुष्कर्म की धाराओं का दुरुपयोग हुआ है.

यह मामला दतिया के सेवड़ा थाने का है. जहां पर एक महिला ने 28 जुलाई, 2021 को अमर सिंह राजपूत के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था. उसका आरोप था कि राजपूत ने शादी का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया और बाद में विवाह से मना कर दिया.

सिंह ने उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को उच्च न्यायालय में चुनौती दे दी. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि महिला बालिग है और वह स्वेच्छा के साथ उसके साथ रह रही थी. उसने शादी का कोई वादा नहीं किया था. अब अनुचित लाभ लेने के लिए महिला ने मामला दर्ज कराया है. यह मामला न्यायाधीश दीपक कुमार अग्रवाल की पीठ में सुना गया.

राजपूत के वकील समीर कुमार श्रीवास्तव ने बताया, ‘‘ उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा है कि महिला स्वेच्छा से व्यक्ति के साथ गई थी और उसने कोई शादी का वादा नहीं किया था. इसके साथ महिला लंबे समय से उसके साथ संपर्क में थी. यह अवधि अपना भला-बुरा सोचने के लिए पर्याप्त है. इस मामले में दुष्कर्म की धारा 376 (बलात्कार) का दुरुपयोग किया गया है.'' उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता का पक्ष सुनने के बाद याचिका को स्वीकार करते हुए प्राथमिकी निरस्त करने के आदेश दिए हैं.
 

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