
Sharad Kelkar With NDTV: बॉलीवुड एक्टर शरद केलकर (Sharad Kelkar) वो नाम है, जिसने एक्टिंग की दुनिया के अलावा वॉइस ओवर आर्टिस्ट के तौर पर अपनी एक खास पहचान बनाई है. शरद ने टीवी की दुनिया से बॉलीवुड तक अपने दम पर मुकाम हासिल किया है. शरद ने रामलीला, 1920 जैसी तमाम फिल्मों में काम किया है. अब शरद सीरीज द लीजेंड ऑफ हनुमान सीजन 6 को लेकर सुर्खियों में हैं. इस सीरीज में उन्होंने रावण के किरदार को अपनी आवाज दी है. हाल ही में एक्टर ने NDTV से बात की और अपने एक्सपीरियंस शेयर किए.
'ये प्रक्रिया पहली बार हुई है'
शरद ने बात करते हुए कहा कि भारत में ये प्रक्रिया पहली बार हुई है. पहले मेरी आवाज को डब किया गया. उसके बाद रावण के किरदार को एनिमेट किया गया है. मुझे उम्मीद है कि यह सीरीज दर्शकों को काफी पसंद आएगी. ये प्रक्रिया हमारे इंडिया में नहीं होती थी. यह बाहर के देशों में होता था.
'नाम रह जाएगा'
शरद ने आगे बात करते हुए कहा कि हर एक एक्टर के लिए उसकी आवाज बहुत जरूरी होती है. मैं चाहे पर्दे पर देखूं या बैकस्टेज काम करूं. मेरी आवाज ही काफी है. कहते हैं ना कि कलाकार चला जाएगा. लेकिन नाम रह जाएगा. मैं हमेशा यही चाहता हूं कि मेरी आवाज हर कोई याद रखे.
'बच्चों के साथ फिल्में देखता हूं'
शरद ने आगे बात करते हुए कहा कि मैं ज्यादा एनीमेटेड फिल्में अपने परिवार के साथ देखता हूं. लेकिन जिस दिन यह सीरीज रिलीज हो रही है. मैं उस दिन दिल्ली में हूं. लेकिन हम कभी साथ में जरूर देखेंगे.
क्या कॉमेडी कैरेक्टर्स ऑफर होते हैं ?
जब शरद से पूछा गया कि आपको कभी कॉमेडी कैरेक्टर्स ऑफर नहीं होते ? इसका जवाब देते हुए एक्टर ने कहा कि ऐसी बात नहीं है. मैं पहले भी शो कॉमेडी सर्कस कर चुका हूं. इसके अलावा अभी एक फिल्म कर रहा हूं, जिसमें मेरा कॉमेडी कैरेक्टर है. इसके अलावा मैं फिल्म हाउसफुल में भी नजर आ चुका हूं.
'मैं ज्यादा नहीं सोचता'
शरद ने आगे बात करते हुए कहा कि मैं अपने करियर के बारे में ज्यादा कुछ नहीं सोचता. मैं ऐसी कुछ बीमारी से पीड़ित नहीं हूं. मैं जो भी काम कर रहा हूं, उससे बहुत खुश हूं. इसके अलावा आज क्या है, मैं उस पर विश्वास करता हूं.
'जब मैं तानाजी देखने गया'
शरद ने आगे बात करते हुए कहा कि जब फिल्म तानाजी रिलीज हुई थी. उस दिन मैं पुणे में एक इवेंट में हिस्सा लेने के लिए गया था. मैं थिएटर में जब फिल्म देखने के लिए गया तब वहां मौजूद लोगों ने मुझे देखकर महाराज छत्रपति शिवाजी के नारे लगाना शुरू कर दिए. इसके अलावा कुछ बुजुर्ग लोगों ने मेरे पैर भी छुए. यह देखकर मैं काफी भावुक हो गया. मुझे लगा कि मेरी मेहनत सफल हो गई.
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