
ShahRukh Khan: ग्लोबल आइकॉन शाहरुख खान (ShahRukh Khan) ने सिर्फ अपनी स्टारडम से नहीं, बल्कि ऐसे किरदारों से भी इंडियन सिनेमा पर राज किया है जो कहानियों की दिशा बदल गए, स्टीरियोटाइप्स को तोड़ा और हमारी यादों में हमेशा के लिए बस गए. इंडस्ट्री में 33 साल पूरे होने पर चलिए उन्हीं 8 यादगार किरदारों को फिर से याद करते हैं, जिनकी वजह से शाहरुख को सही मायनों में बॉलीवुड का किंग कहा जाता है.
राहुल मेहरा – डर (1993)
शाहरुख का पागलपन की हद तक चाहने वाले आशिक का किरदार, जो बाद में स्टॉकर बन जाता है, आज भी रोंगटे खड़े कर देता है. "आई लव यू, क-क-क-किरण" डायलॉग तो जैसे हमेशा के लिए यादों में बस गया. ये रोल ना सिर्फ बोल्ड और डार्क था, बल्कि हिंदी सिनेमा में एंटी-हीरोज के लिए एक नया रास्ता भी खोल गया.
राज मल्होत्रा – दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (1995)
वो परफेक्ट लवर ब्वॉय, जो शरारती भी था, दिलफेंक भी, लेकिन भारतीय संस्कारों से गहराई तक जुड़ा हुआ. 'राज' ऐसा किरदार बना, जो हर दौर की लड़कियों का ड्रीम मैन बन गया. शाहरुख ने इस रोल के जरिए बॉलीवुड में रोमांस को एक नई पहचान दी, जो आज तक कायम है.
राहुल रायचंद – कभी खुशी कभी गम (2001)
राहुल रायचंद वाला शाहरुख का अंदाज ही कुछ और था, जैसे शांत, तकलीफ़ से भरा लेकिन अंदर ही अंदर बगावत करता हुआ. एक ऐसा बेटा जो दिल से टूटा था, पर परिवार से जुड़ा रहा. शाहरुख ने इस किरदार में जो भावनाएं दिखाईं, वो हर किसी को छू गईं. सच में, इमोशनल सीन को भी उन्होंने अपने स्टाइल से यादगार बना दिया.
अमन माथुर – कल हो न हो (2003)
एक मुस्कान के पीछे छुपा गहरा दर्द — ऐसा था शाहरुख का ‘अमन'. जिस तरह उन्होंने मौत के साए में भी दूसरों के लिए जीना और बेपनाह मोहब्बत करना सिखाया, वो हर दिल को छू गया. ‘कल हो ना हो' में उनका ये किरदार आज भी लोगों के दिलों में सबसे इमोशनल परफॉर्मेंस के तौर पर जिदा है.
वीर प्रताप सिंह – वीर-जारा (2004)
इस हिंदुस्तान-पाकिस्तान की मोहब्बत भरी कहानी में शाहरुख़ खान ने ‘वीर' बनकर मोहब्बत की मिसाल कायम कर दी. बिना शोर किए, बड़ी शांति और इज्जत के साथ उन्होंने कुर्बानी का जो जज्बा दिखाया, वो इस किरदार को अमर बना गया. ‘वीर-जारा' सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि सरहद पार मोहब्बत की सबसे खूबसूरत दास्तान बन गई.
डॉन / विजय – डॉन सीरीज (2006, 2011)
शाहरुख खान ने 'डॉन' में स्टाइल और खतरे को ऐसे मिलाया कि वो सिर्फ एक अपराधी नहीं, बल्कि चालाकी और कूलनेस का दूसरा नाम बन गया. उनके हर डायलॉग, हर चाल और हर अंदाज़ में ऐसा स्वैग था कि डॉन एक किरदार से बढ़कर एक आइकॉन बन गया.
रिजवान खान – मई नेम इज खान (2010)
9/11 के बाद की दुनिया में एक ऐसे शख्स की भूमिका निभाते हुए, जिसे अस्पर्जेटस सिंड्रोम है, शाहरुख खान ने 'मई नेम इज खान' में बेहद संवेदनशील और दिल छू लेने वाला अभिनय किया. इस किरदार के ज़रिए उन्होंने दिखाया कि सच्चा अभिनय सिर्फ स्टारडम से नहीं, बल्कि दिल और समझ से आता है.
कबीर खान – चक दे! इंडिया (2007)
बदनाम खिलाड़ी से प्रेरणादायक कोच बनने तक का सफर – कबीर खान का किरदार सिर्फ एक रोल नहीं था, वो एक जुनून था। शाहरुख खान ने ‘चक दे! इंडिया' में इस किरदार को ऐसा निभाया कि हर दर्शक उसकी लड़ाई, उसका दर्द और उसका जज़्बा महसूस कर सका. "सत्तर मिनट हैं तुम्हारे पास..." वाला डायलॉग आज भी स्पोर्ट्स फिल्मों का सबसे यादगार मोनोलॉग माना जाता है, जिसने हर किसी के रोंगटे खड़े कर दिए थे.
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