
Amitabh Bachchan: दशहरा का त्यौहार अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक माना जाता है. रावण दहन की परंपरा और श्री राम की विजय गाथा हर साल यही सिखाती है कि सत्य और धर्म की जीत होती है. हाल ही में बॉलीवुड एक्टर अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ने अपने ब्लॉग में कुछ ऐसी बात कही हैं जो जीवन के अनुभवों को दिखाती हैं. इसके अलावा हमारे समाज और सिनेमा की सोच की गहराई को छूती हैं. आखिर अमिताभ बच्चन ने क्या कहा है, आपको बताते हैं.
अमिताभ बच्चन ने ये कहा
अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि भारतीय सिनेमा की सबसे बड़ी खासियत यह है कि उसमें हमेशा न्यायपूर्ण अंत होता है. हमारी फिल्मों में 3 घंटे के भीतर कहानी का क्लाइमेक्स आता है और अच्छाई की जीत होती है. वे मानते हैं कि यही वजह है कि हमारे दर्शक और फिल्मों से इतना जुड़ाव महसूस रखते हैं. एक्टर का कहना है कि यही न्यायपूर्ण अंत असल जिंदगी में भी हर कोई चाहता है. बुराई चाहे कितने की ताकतवर क्यों ना हो, अंत में जीत सच्चाई की ही होती है. आखिर में हमेशा न्यायपूर्ण अंत होता है, यही हमारी सभी फिल्मों का सूत्र है. बुराई पर अच्छाई की जीत और 3 घंटे के भीतर हमें न्यायपूर्ण अंत देखने को मिलता है. यही हमारे सिनेमा की लोकप्रियता का कारण है और यही जीवन की लोकप्रियता हमेशा रहेगी.
'जैसे-जैसे दशहरा पास आता है'
एक्टर ने आगे कहा कि जैसे-जैसे दशहरा पास होता है, जिंदगी का एक नया भावनात्मक क्लाइमेक्स भी हमारे सामने आता है. यहां पर हमें यह याद दिलाता है कि बुरा समय या गलत रास्ते पर चाहे कितना भी चला जाए. आखिर में धर्म की टिकते हैं, सिनेमा की तरह जिंदगी में भी संघर्ष होता है. लेकिन यदि विश्वास और धैर्य बना रहे तो अंत सुखद हो सकता है.
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