Year Ender 2023: अक्सर पुलिस अफसरों का नाम लेने पर एक दबंग तस्वीर उभर कर सामने आती है, लेकिन हम छत्तीसगढ़ के एक ऐसे IPS अफसर के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जो बेहद सौम्य और सरल स्वभाव के हैं. लेकिन इनके काम करने का ऐसा गजब का तरीका है कि नक्सली और अपराधी भी कांप उठते हैं.
ये अपने इन तरीकों के लिए साल 2023 में सोशल मीडिया पर खूब छाए रहे. यूट्यूब पर अपलोड कई वीडियोज में 15-20 मिलियन से ज्यादा लोगों ने उन्हें देखा है. ये आईपीएस (IPS) अफसर हैं कवर्धा (Kawardha) जिले के एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव (Dr Abhishek Pallava). इन्हें इस साल राष्ट्रपति वीरता पदक पुरस्कार से भी नवाजा गया है.
दुर्ग में सोशल मीडिया पर खूब छाए
SP डॉ. पल्लव को जब दुर्ग (Durg) में पोस्टिंग मिली, तो यहां वे नई योजना के साथ काम पर उतरे. इस दौरान उन्होंने पराधियों के छक्के छुड़ाने के लिए सोशल मीडिया (Social Media) का जमकर इस्तेमाल किया. देखते ही देखते इतने फेमस हो गए कि सोशल मीडिया पर अपलोड कई वीडियोज़ को लाखों लोगों ने देखकर उनकी खूब तारीफ की. इस दौरान वे कई बार खुद ट्रैफिक (Traffic) व्यवस्था संभालने के लिए सड़क पर उतर गए थे. साइबर क्राइम सहित कई अपराधों में लिप्त लोगों को उन्नहोंने केवल एक्सपोज किया, बल्कि शॉर्ट वीडियोज़ भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड कर लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया. इस इलाके के अपराधी भी इनसे खौफ खाने लगे थे. यहां उन्होंने मानवता का सबसे बड़ा परिचय तब दिया था, जब छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की परीक्षा में टॉप 10 में जगह बनने वाली छात्रा को उसके जेल में बंद पिता से मिलवाया था. इस मामले में उनकी काफी तारीफ भी हुई थी.
500 नक्सलियों का कराया था सरेंडर
नक्सल इलाके में पोस्टिंग के दौरान इन्होंने 1600 नक्सलियों की सूची सार्वजनिक की. उन्हें सरेंडर की चेतावनी दी. 'लोन वर्राटू' (घर वापसी) अभियान चलाया. दो साल के अंदर 500 नक्सलियों को सरेंडर करने के लिए मजबूर होना पड़ा. नक्सलियों से लोहा लेने के लिए महिला डीआरजी DRG की टीम बनाई, सरेंडर नक्सलियों को रोजगार दिलवाया, पहचान संबंधी सरकारी दस्तावेज बनवाए. सरेंडर नक्सलियों को एक ही कैम्पस में रहने और एक जगह रोजगार के लिए हब का प्लान कर प्रशासन को सौंपा था. नक्सलियों की ओर से तोड़ी गई स्कूलों को खुद सरेंडर नक्सलियों से बनवाई. ऐसे अनगिनत कामों ने इन्हें प्रदेश में एक अलग पहचान बना दी. अपने इस कारनामों की वजह से सोशल मीडिया पर खुश छाए रहे.
जानिए इनके बारे में
डॉ. अभिषेक पल्लव (Dr Abhishek Pallava) मूलतः बिहार के रहने वाले हैं. साल 2009 में उन्होंने दिल्ली एम्स से अपनी एमडी की पढ़ाई पूरी की और इसके बाद साल 2012 में UPSC में सिविल सेवा परीक्षा क्रैक कर IPS अफसर बने . अभिषेक के पिता सेना में थे. ऐसे में इनकी पढ़ाई भी सेना के स्कूल में हुई. बचपन से ही इन्हें IPS ऑफिसर बनने का सपना था. इनकी पहली पोस्टिंग छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा (Dantewada) में हुई थी. साल 2017 में बतौर एएसपी (ASP) रहते हुए इन्होंने इलाके में हेल्थ कैंप लगाकर ग्रामीणों का इलाज भी किया था. उनकी पत्नी डर्मेटोलॉजिस्ट (Dermatologist) डॉ. यशा उपेंद्र (Yasha Upendra) ने भी उनका पूरा साथ दिया था. यहां रहकर डॉ अभिषेक ने लोगों की नब्ज टटोली और जब साल 2018 को SP बनकर आए तो मजबूती के साथ काम करना शुरू किया. ग्रामीणों से नजदीकियां बढ़ाई, उनके लिए काम किया.
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रात को पेट्रोलिंग पर निकलती है ये महिला अफसर तो खौफ खाते हैं अपराधी
छत्तीसगढ़ की ही दूसरी अफसर हैं DSP शिल्पा साहू (Shilpa Sahu). दुर्ग (Durg) की रहने वाली शिल्पा नाइट पेट्रोलिंग में अपराधियों पर लगाम कसने में सबसे आगे हैं. शिल्पा अपराधियों के लिए जितनी तेज तर्रार हैं. उतनी ही सरल, सौम्य और मददगार भी हैं. जब वे अपनी टीम के साथ रात को पेट्रोलिंग पर निकलती हैं तो नशेड़ी, असामाजिक तत्व इनसे खौफ खाते हैं. इतना ही नहीं, इन्होंने दुर्ग में महिलाओं को जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रम चलाए.
खेतों में पहुंच कर लोगों को किया जागरूक
डीएसपी (DSP) शिल्पा ने महिला जागरूकता के लिए खाकी की चौपाल कार्यक्रम चला रही हैं. गांव-गांव में जाकर महिलाओं और बच्चों को उनके अधिकारों और क़ानून के बारे भी बताती हैं. खेतों में काम कर रहीं महिलाओं के बीच बैठकर वे उन्हें क़ानून की जानकारी देती हैं. खाकी की चौपाल, महिला जागरुकता जैसे कई कार्यक्रम चलाकर एक अलग पहचान बनाई हैं.
इन कामों से देशभर में चर्चित हुई शिल्पा
शिल्पा साहू इससे पहले छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में पोस्टेड थीं. यहां नक्सलियों के खिलाफ लोहा लेने वाली छत्तीसगढ़ की पहली महिला डीआरजी टीम को लीड करती थीं. नक्सल ऑपरेशन में बड़ी भूमिका निभाईं हैं, इतना ही नहीं, कोरोना की दूसरी लहर में 5 महीने की गर्भवती होने के बाद भी बेवजह घर से निकलने वालों पर लगाम लगाने के लिए खुद सड़क पर उतरी थीं. इसके लिए उन्हें देशभर में उन्हें खूब तारीफ़ मिली थी. इन्हें कई अवार्ड भी मिल मिल चुके हैं.
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