Nal Jal Yojana : छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में नल-जल योजना का काम ठप पड़ा हुआ है. वजह... पिछले तीन महीने में तीन एग्जीक्यूटिव इंजीनियर्स का बदला जाना... ! इसीके चलते नल-जल योजना का कार्य बुरी तरह से प्रभावित हो गया है. जिले में करीब 1500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से 636 गांवों में नल-जल योजना का काम हो रहा था, लेकिन विभागीय बदलावों के चलते अब तक केवल 40% काम ही पूरा हो पाया है. राज्य शासन के निर्देश के बावजूद 24 दिसंबर तक यह काम पूरा नहीं हो सका, जिससे विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं.
तीन महीने में तीन अभियंता, काम ठप
नल-जल योजना केंद्र सरकार की प्रमुख योजनाओं में से एक है. इस योजना का मकसद है कि हर घर तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाया जाए. बलरामपुर जिले के 6 विकासखंडों के 636 गांवों में इस योजना के तहत 1500 करोड़ रुपये से अधिक के कार्य किए जा रहे हैं. लेकिन तात्कालिक एग्जीक्यूटिव इंजीनियर आदित्य प्रताप सिंह को 30 जून 2024 को हटा दिया गया था, जिसके बाद सतीश सिन्हा को जिम्मेदारी दी गई, लेकिन उन्हें भी एक महीने के अंदर हटा दिया गया.
बार-बार क्यों बदले जा रहे इंजीनियर्स ?
इसके बाद विप्लव गणित लहरे को एग्जीक्यूटिव इंजीनियर बनाया गया, लेकिन उनका कार्यकाल भी मात्र एक महीना ही रहा. अब तक विभाग में किसी नए एग्जीक्यूटिव इंजीनियर्स की नियुक्ति नहीं हो सकी है, जिससे कार्य पूरी तरह से ठप है.
भुगतान की समस्या से ठेकेदार परेशान
एग्जीक्यूटिव इंजीनियर्स के बार-बार तबादले के चलते ठेकेदारों का भुगतान भी रुक गया है, जिससे वे परेशान हैं. पिछले पांच महीनों से ठेकेदारों का भुगतान नहीं हुआ है, जिससे नल-जल योजना के तहत चल रहे काम पर भी असर पड़ा है. ठेकेदारों ने शासन से भुगतान की मांग की है ताकि वे काम को सुचारू रूप से जारी रख सकें.
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पानी की एक-एक बूंद के लिए हाहाकार
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (Public Health Engineering Department) में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर्स की नियुक्ति न होने से बलरामपुर समेत कई इलाकों में काम पूरी तरह ठप पड़ा हुआ है. इससे नल-जल योजना का समय पर पूरा होना नामुमकिन सा लग रहा है. ऐसे में गांव की आबादी वाले इलाकों में पीने के पानी की समस्याएं और भी बढ़ सकती है.
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