Parsa Coal Mines: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले (Surguja) में चल रही राजस्थान सरकार की खदान (Rajasthan Government's Mine) को शुरू कराने के लिए एक बार फिर से क्षेत्र के ग्रामीणों ने पहल शुरू कर दी है. उदयपुर ब्लॉक में स्थित परसा खदान (Parsa Mines) को शुरू कराने और परसा ईस्ट कांता बासन (PEKB) के नियमित संचालन के लिए ग्रामीणों ने सोमवार को राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव (TS Singhdeo) को ज्ञापन सौंपा. इस दौरान ग्रामीणों ने उनके क्षेत्र में आवंटित एकमात्र कोयला खदान पीईकेबी (PEKB Coal Mines) के नियमित संचालन और सालों से रुकी हुई परसा कोयला परियोजना को शुरू करने में जो समस्याएं आ रही हैं उनको खत्म करने को लेकर अपनी बात रखी. वहीं ज्ञापन मिलने के बाद टीएस सिंहदेव ने ग्रामीणों से कहा कि मैं वर्तमान में चल रही पीईकेबी खदान के साथ हूं, जबकि परसा कोल ब्लॉक से प्रभावित ग्रामीणों की सहमति के बाद ही मैं उनके साथ रहूंगा. उन्होंने इससे प्रभावित गांव के लिए वोटर आईडी कार्ड के अनुसार वोटिंग कराने की बात कही.
आपको बता दें कि सरगुजा जिले के उदयपुर ब्लॉक में स्थित परसा खदान का काम बंद पड़ा है. जिसके चलते परसा कोयला परियोजना सालों से रुकी हुई है. इस खदान के नियमित संचालन के लिए ग्रामीण कई बार ज्ञापन सौंप चुके हैं. खदान के बंद होने से स्थानीय लोगों में रोजगार का संकट है. इसके साथ ही इस खदान के बंद होने से यहां का विकास रुक गया है.
ग्रामीणों ने ज्ञापन में क्या मांग की?
ग्रामीणों ने सोमवार, 25 दिसंबर को सौंपे दो अलग-अलग ज्ञापनों में परसा कोल ब्लॉक के भूमि प्रभावित परिवारों द्वारा परसा कोल ब्लॉक को जल्द से जल्द चालू कराने और बेरोजगारों को नौकरी दिलवाने के संबंध में लिखा है. ज्ञापन में साल्ही, जर्नादनपुर, फतेपुर, तारा और हरिहरपुर गांव के ग्रामीणों ने कहा कि राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित परसा कोल ब्लॉक की जमीन का मुआवजा दो वर्ष पहले मिल चुका है. जिसके बाद जमीन राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन के नाम से ट्रांसफर की जा चुकी है, लेकिन अभी तक खदान का संचालन प्रारंभ नहीं हो सका है. जिसके कारण क्षेत्र के लोगों को दो वर्ष बीत जाने के बाद भी नौकरी और अन्य सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने कहा कि खदान से प्रभावित ग्रामीण दो वर्षों से लगातार सरकार और परियोजना से नौकरी की मांग करते आ रहे हैं. इसके लिए कई बार शासन व प्रशासन को ज्ञापन दिया जा चुका है, लेकिन आज तक प्रभावित भूस्वामियों को नौकरी नहीं मिल पाई है.
ये भी पढ़ें - CM विष्णु देव साय का बड़ा फैसला, छत्तीसगढ़ के गरीब परिवारों को 5 साल तक मिलेगा फ्री चावल
क्षेत्र और ग्रामीणों का रुका विकास
इसके साथ ही ग्रामीणों ने कहा कि परसा कोल ब्लॉक की सभी वैधानिक कार्रवाई पूरी होने के बावजूद सरकार द्वारा जबरन खदान पर रोक लगाकर रखी गई है. जिसके कारण हमारी रोजी-रोटी और क्षेत्र का विकास प्रभावित हो रहा है. ग्रामीणों ने कहा कि हम उस जमीन पर खेती-किसानी या अन्य कोई भी कार्य नहीं कर पा रहें हैं, और ना ही खदान खुल पा रही है. जिससे हम लोगों की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है और हमारे बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है.
पीईकेबी परियोजना का क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव
ग्रामीणों द्वारा टीएस सिंहदेव को सौंपे एक अन्य ज्ञापन में पीईकेबी परियोजना के सुचारू रूप से संचालन के लिए आगामी दस वर्षों के लिए भूमि उपलब्ध कराने की मांग की गई है. ज्ञापन में ग्रामीणों ने लिखा कि परसा ईस्ट और कांता बासन कोल खदान का संचालन विगत दस वर्षों से किया जा रहा है. इस खदान के प्रारंभ होने से खदान प्रभावित परिवारों के अलावा आसपास के स्थानीय लोगों के परिवार की रोजी-रोटी चलती है. खदान खुलने से पहले यहां के लोगों की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय थी. यहां पर रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं का अभाव था, लेकिन जब से परसा ईस्ट और कांता बासन कोयला खदान शुरू हुई है तब से इस क्षेत्र का संपूर्ण विकास होना शुरू हुआ है. इस खदान के खुलने से यहां पर रोजगार के अवसर में वृद्धि हुई है. खदान खुलने से इस क्षेत्र में निःशुल्क और उत्कृष्ट शिक्षा के लिए कक्षा 11वीं तक अंग्रेजी माध्यम से सी.बी.एस.सी. बोर्ड का स्कूल चल रहा है. जिसमें सैकड़ों बच्चे पढ़ रहे हैं. इसके साथ ही यहां स्वास्थ्य सुविधा की व्यवस्था की गई है और आसपास के गांवों में 24 घंटे एम्बुलेंस की निःशुल्क सुविधा उपलब्ध कराई जाती है.
ज्ञापन के माध्यम से ग्रामीणों ने निवेदन किया कि खदान संचालन के लिए जमीन उपलब्ध नहीं होने के कारण आए दिन बार-बार खदान संचालन का कार्य प्रभावित हो रहा है. जिससे यहां के लोगों की रोजी-रोटी और विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है. ग्रामीणों ने मांग की कि ऐसी स्थित दोबारा नहीं आए इसके लिए परसा ईस्ट कांता बासन को सुचारू रूप से संचालन के लिए आगामी 10 वर्षों के लिए जमीन उपलब्ध कराई जाए. इसके साथ ही ग्रामीणों ने राजस्थान राज्य विद्युत द्वारा ग्राम साल्ही मोड़ पर क्षेत्रवासियों के लिए प्रस्तावित सर्व सुविधायुक्त 100 बिस्तरों के अस्पताल को खोले जाने की मांग की. ग्रामीणों ने कहा कि शासन और प्रशासन के द्वारा पहल नहीं किए जाने से स्वास्थ्य सुविधा के लाभ से क्षेत्र के लोग वंचित हैं.
कई वर्षों से चल रहा है ग्रामीणों का संघर्ष
यहां के स्थानीय ग्रामीण, मुख्य रूप से आदिवासियों ने खदान को बंद करने के खिलाफ सक्रिय रूप से विरोध प्रदर्शन किया है. इनके द्वारा विभिन्न स्तरों पर राजनीतिक नेताओं और अधिकारियों को कई आवेदन सौंपे गए हैं. कई अवसरों पर इसका उद्देश्य खनन परियोजना के संभावित लाभों को बताना था, जिसमें क्षेत्र के लिए रोजगार के अवसर और व्यापक विकास संबंधी संभावनाएं शामिल थीं. ग्रामीणों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री समेत पार्टी के शीर्ष नेताओं को ज्ञापन तो सौंपा ही है साथ ही क्षेत्र के नवनिर्वाचित विधायकों को भी 12 दिसंबर को अंबिकापुर और सूरजपुर के विधायकों को 173 लोगों का आवेदन सौंपा गया. इसके अलावा 6 दिसंबर को सरगुजा कलेक्ट्रेट में 206 लोगों ने आवेदन दिया.
राहुल गांधी और तत्कालीन मुख्यमंत्री को भी सौंपा था ज्ञापन
इससे पहले भी 10 दिसंबर 2021 को भारत जोड़ो यात्रा के दौरान इंदौर में इन ग्रामीणों ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को 1208 लोगों का हस्ताक्षरित ज्ञापन सौंपा था. जबकि 1 जून 2021 को रायपुर में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी 534 लोगों का हस्ताक्षरित ज्ञापन सौंपा गया था. इसके बाद 8 मार्च 2022 को छत्तीसगढ़ के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को 60 लोगों का आवेदन दिया. वहीं 3 नवंबर 2023 को भी करीब 1732 लोगों का हस्ताक्षरित ज्ञापन तत्कालीन मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को सौंपा गया. इन सभी तारीखों में ग्रामीणों से मुलाकात के दौरान टीएस सिंहदेव ने क्षेत्र में चल रही पीईकेबी खदान के सभी व्यवधानों को दूर करते हुए इसके नियमित संचालन का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अभी तक इन ग्रामीणों की समस्याओं का इलाज नहीं हो सका है. जिसके बाद एक बार फिर से ग्रामीणों ने टीएस सिंहदेव को ज्ञापन सौंपकर खदान को सुचारू रूप से चलाने का गुहार लगाई है.
ये भी पढ़ें - स्वागत के वक्त ही टूट गया मंच, औंधे मुंह गिरे डिप्टी सीएम साव, देखें वीडियो