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This Article is From Oct 02, 2024

Ground Report: पानी के नाम पर Slow Poison पी रहा गांव, इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आ रहे बच्चे-बुजुर्ग

Polluted water: गांव के लोग जो पानी पी रहे हैं, वह जानलेवा बना हुआ है. गंभीर बीमारी से यहां के बच्चे और बड़े सभी ग्रसित होते जा रहे हैं. लेकिन, किसी भी जिम्मेदार का इस तरफ ध्यान नहीं जा रहा है.

Ground Report: पानी के नाम पर Slow Poison पी रहा गांव, इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आ रहे बच्चे-बुजुर्ग
पीने के लायक नहीं गांव का पेयजल

Kanker News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कांकेर जिले का एक ऐसा भी गांव है, जहां के लोग पानी के नाम पर धीमा जगह पी रहे हैं. फ्लोरोसिस डिजीज (Fluorosis Disease) जैसी गंभीर बीमारी की वह चपेट में आ रहे हैं. पूरा गांव इस गंभीर बीमारी से ग्रसित है. यह बीमारी धीरे-धीरे हड्डियों तक पहुंच रहा है. देश का भविष्य कहे जाने वाले बच्चे भी इस धीमे जहर की जकड़ में आते जा रहे है. क्योंकि, यहां फ्लोराइड (Fluoride) की मात्रा 3.4 पीपीएम है. ऐसा नहीं कि सरकार या प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं है. लेकिन, आज भी ग्रामीण फ्लोराइड युक्त इस पानी को पीने के लिए मजबूर है. जिला मुख्यालय कांकेर (Kanker) से लगभग 40 किमी की दूरी पर नरहरपुर विकासखंड का एक गांव है डूमरपानी. गांव के इस नाम में पानी जुड़ा हुआ है. यहां के पानी में फ्लोराइड की मात्रा सामान्य से बहुत ज्यादा है. 

जहर बन गया डुमरपानी का पानी

जहर बन गया डुमरपानी का पानी

स्कूली बच्चों पर बुरा असर

NDTV की टीम जब इस गांव में पहुंची, तो सबसे पहले गांव में संचालित प्राथमिक सरकारी स्कूल का हाल जाना. यहां पहली से पांचवीं कक्षा तक लगभग 60 बच्चे पढ़ाई करते है. बच्चों के दांत पीले और भूरे रंग के होते जा रहे हैं. जब इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने सीधे कह दिया कि यह पानी के कारण है. यहां पढ़ने वाले अधिकतर बच्चों का यही हाल है. फ्लोराइड युक्त पानी पीने के कारण बच्चों के दांत पीले और भूरे रंग के होते जा रहे है. बच्चों को इस बीमारी से बचाया जा सके, इसके लिए वर्ष 2007 की सरकार ने फ्लोराइड रिमूवल मशीन लगाई. लेकिन, दो से तीन दिनों के बाद ही मशीन ने जवाब दे दिया. तब से अब तक मशीन बंद पड़ी है. PHE विभाग के कर्मचारी पहुंचते है और ठीक करने का हवाला देकर चले जाते है. शिक्षक अपने घर साफ पानी लेकर आते है और उसे ही पीते हैं. लेकिन बच्चों के पास साफ पीने का पानी नहीं है.

वर्ष 2018 में सरकार बदली. कांग्रेस सरकार सत्ता में आई. भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने और उन्होंने लोगों की समस्या सुनने भेट मुलाकात कार्यक्रम आयोजित किया. वर्ष 2022 में जब वह नरहरपुर के बादल पहुंचे, तो उन्होंने दुधावा समूह से साफ पानी दिलाने की घोषणा की. लेकिन, साफ पानी भी नहीं मिल पाया.

जानलेवा बीमारी से पूरा गांव ग्रसित

ग्राम पंचायत डूमरपानी के पंचायत भवन में महिला सरपंच मीना मंडावी और संचित मीना सिन्हा काम कर रहे थे. ग्राम डूमरपानी में कुल 350 मकान है. यहां की जनसंख्या भी लगभग 2000 के आसपास है. गांव में 19 हैंडपंप लगे है. सभी में फ्लोराइड युक्त पानी आता है. पंचायत भवन में काम करने वाली दोनों महिलाओं ने बताया कि पानी को पीकर हड्डी और दांत की गंभीर बीमारी हो जाती है. जिस तरह स्कूली बच्चों के दांत पीले व भूरे रंग के होते जा रहे हैं, उसी तरह अधिकतर ग्रामीणों को दांतों का यही हाल है. आज भी बहुत से लोग फ्लोराइड युक्त पानी के कारण शरीर में दर्द, बुजुर्गों के हड्डियों में टेढ़ेपन की शिकायत आ रही है..

पीने का स्वच्छ पानी नहीं

पीने का स्वच्छ पानी नहीं

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'किसी ने नहीं सुनी गुहार'

ग्रामीणों के अनुसार, इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, प्रशासन सहित सभी से गुहार लगाई है. बीच-बीच में शिविर लगाकर उपचार के नाम पर खाना पूर्ति कर दी जाती है. विभाग पहुंच कर मशीन के सुधार की बात कहता है, लेकिन समस्या जस की तस बनी रहती है. इस पूरे मामले पर कलेक्टर नीलेश कुमार क्षीरसागर का कहना है कि पानी में फ्लोराइड और आयरन की मात्रा अधिक है. नरहरपुर क्षेत्र इससे प्रभावित है. समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे है. बंद हुए फ्लोराइड रिमूवल प्लांट को भी जल्द चालू किया जायेगा.

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