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शावकों संग बाघिन दिखने से बैकुंठपुर में फैली दहशत, 150 मवेशियों का कर चुकी हैं शिकार

Tiger Movement: छत्तीसगढ़ के कोरिया वन मंडल के बैकुंठपुर परिक्षेत्र के टेमरी बीट क्षेत्र में दो नर बाघ भी लगातार घूमते हुए देखे गए हैं. बाघों की बढ़ती गतिविधियों के चलते बीते एक साल में 150 से ज्यादा मवेशियों के शिकार की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. इस वजह से ग्रामीण मवेशियों को खुले में चराने के बजाय घरों या बाड़ों में बांधकर रखने लगे हैं.

शावकों संग बाघिन दिखने से बैकुंठपुर में फैली दहशत, 150 मवेशियों का कर चुकी हैं शिकार

छत्तीसगढ़ के कोरिया वन मंडल के बैकुंठपुर परिक्षेत्र के टेमरी बीट से इस समय बड़ी खबर सामने आई है. यहां एक बाघिन को अपने दो शावकों के साथ देखा गया है, जिससे लोगों में दहशत का माहौल है. गौरतलब है कि बीते एक साल से इस टाइगर के मूवमेंट की चर्चा ग्रामीणों और वन विभाग के गलियारों में है. दरअसल, ये बाघिन अब तक 150 से ज्यादा पशुओं का शिकार कर चुकी हैं.

जानकारी के अनुसार इस घने और शांत जंगल वाले क्षेत्र में विचरण कर रही बाघिन ने लगभग पांच महीने पहले दो शावकों को जन्म दिया था. पिछले कुछ दिनों में जंगल की पगडंडियों और घाटियों में इन शावकों के ताजा पदचिह्न साफ दिखाई देने लगे हैं, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि पूरा परिवार अब भी इसी इलाके में सक्रिय है. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि बाघिन अपने शावकों के साथ कभी-कभी जंगल के किनारे या खेतों की ओर दिखाई दे जाती हैं.

मवेशियों की सुरक्षा को खतरा

 वहीं, इसी क्षेत्र में दो नर बाघ भी लगातार घूमते हुए देखे गए हैं. बाघों की बढ़ती गतिविधियों के चलते बीते एक साल में 150 से ज्यादा मवेशियों के शिकार की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. इस वजह से ग्रामीण मवेशियों को खुले में चराने के बजाय घरों या बाड़ों में बांधकर रखने लगे हैं.

अधिकारियों ने साधी चुप्पी

दूसरी ओर वन अधिकारी इस पूरे मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं, जबकि हकीकत यह है कि क्षेत्र में लगाए गए 15 ट्रैप कैमरों में एक साथ दो बाघ और बाघिन के साथ मौजूद दो शावकों की तस्वीरें कैद हुई हैं. इन तस्वीरों की जांच देहरादून में कराई गई, जहां विशेषज्ञों ने पुष्टि की है कि यह वही बाघिन है, जो पिछले कई महीनों से टेमरी बीट में विचरण कर रही थी और उसके दोनों शावक स्वस्थ और सक्रिय हैं.

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टेमरी बीट का यह इलाका चारों ओर से घने जंगलों से घिरा है, जिसकी एक सीमा सूरजपुर जिले से जबकि दूसरी सीमा गुरु घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिज़र्व से जुड़ती है. इस कारण यह क्षेत्र बाघों के लिए बेहद सुरक्षित और अनुकूल माना जाता है. लगातार मिल रहे पदचिह्न, बार-बार कैमरों में कैद तस्वीरें और मवेशियों के शिकार की घटनाएं साफ संकेत दे रही हैं कि बाघों को यह इलाका रास आ गया है और उनकी मौजूदगी स्थायी रूप से बढ़ रही है. वन विभाग भले ही अभी तक कोई आधिकारिक बयान न दे रहे हो, लेकिन बाघिन और उसके दो शावकों की मौजूदगी अब पूरे इलाके में खुलकर सामने आ गई है.

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