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कम लागत... ज्यादा मुनाफा! सिर्फ 120 दिनों में शकरकंद की खेती से हो रही बंपर कमाई, जानिए कैसे?

Sweet Potato Farming: आज के समय में किसान पारंपरिक खेती के अलावा कई तरह के फसल की खेती करते हैं. इसमें शकरकंद की खेती भी शामिल है. इस खेती से किसान को कम लागत में अच्छा मुनाफा हो रहा है.

कम लागत... ज्यादा मुनाफा! सिर्फ 120 दिनों में शकरकंद की खेती से हो रही बंपर कमाई, जानिए कैसे?

Sweet Potato Farming in Baloda Bazar: छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार में किसान अब धीरे-धीरे परंपरागत खेती के साथ-साथ नकदी फसलों की खेती कर रहे हैं, ताकि कम समय और कम लागत में अच्छा मुनाफा हो सके. किसान नकदी फसल में शिमला मिर्च, शकरकंद, सब्जी आदि की खेती कर रहे हैं. इधर, छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले के पलारी विकासखंड के किसान धान कटाई के बाद शकरकंद की खेती कर रहे हैं. यह कम पानी में बेहतर उत्पादन होने के कारण यह फसल किसानों को अच्छा मुनाफा दे रही है.

शकरकंद की खेती से किसान को हो रहा मुनाफा 

दरअसल, शकरकंद की खेती करने से किसानों को अच्छा-खासा मुनाफा होता है, क्योंकि शकरकंद की सर्दियों के मौसम में बाजारों में अधिक मांग होती है. कम लागत में अधिक मुनाफा होने के कारण इसकी खेती करना किसान पसंद करते हैं. इसीलिए अब बलौदा बाजार के पलारी क्षेत्र के किसान शकरकंद की खेती करने लगे हैं और उन्हें अच्छा-खासा मुनाफा भी हो रहा है. 

इतने दिनों में तैयार हो जाता है शकरकंद

किसान के मुताबिक, रोपाई के 120 से 130 दिनों में ही शकरकंद के पौधे तैयार हो जाते हैं. जब इसके पौधों पर लगी पत्तियां पीले रंग की दिखाई देने लगती हैं तो उस दौरान इसके कंदो की खुदाई की जाती है. एक एकड़ में शकरकंद की रोपाई करने में कुल लागत 15 से 20 हजार रुपये तक आते हैं, जबकि कमाई 40 से 60 हजार रुपये तक हो जाती है. 

न ज्यादा पानी की जरूरत और न खाद की

बता दें कि बलौदा बाजार में परंपरागत रूप से धान की खेती होती है, लेकिन अब किसान वैकल्पिक फसलों की ओर रुख कर रहे हैं. पलारी विकासखंड के ग्राम जुनवानी में किसानों ने धान कटाई के बाद शकरकंद की खेती को अपनाया है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह फसल कम पानी में भी अच्छा उत्पादन देती है और बाजार में इसकी मांग बनी रहती है.

धान की तुलना में शकरकंद से अधिक हो रहा मुनाफा

गांव के किसान बताते हैं कि शकरकंद की खेती से वो सीजन में 30 से 40 हजार रुपये तक कमा लेते हैं. धान की तुलना में इसमें लागत भी कम आती है, जिससे मुनाफा अधिक होता है. स्थानीय बाजारों में शकरकंद की अच्छी कीमत मिलने से किसानों का रुझान इसकी ओर बढ़ रहा है.

हालांकि इस खेती में किसानों को कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ रहा है. सबसे बड़ी समस्या सिंचाई की है. हालत यह है कि सिंचाई के लिए बरसाती नाले के बीच में गड्ढा खोदकर किसानों को पानी इकट्ठा करना पड़ रहा है. वहीं किसान सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रशासन से मांग की है. 

किसानों का कहना है कि यदि सिंचाई की बेहतर व्यवस्था हो जाए, तो वो और अधिक क्षेत्र में शकरकंद की खेती कर सकते हैं और उत्पादन भी दोगुना हो सकता है.

काफी फायदेमंद होता है शकरकंद

शकरकंद न केवल किसानों के लिए फायदेमंद है, बल्कि सेहत के लिहाज से भी बेहद उपयोगी है. इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन होते हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखते हैं. इसे डायबिटीज के मरीजों के लिए भी फायदेमंद माना जाता है.

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