अगर हौसले बुलंद हो तो कोई भी बाधा आपको मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोक सकती. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है सूरजपुर जिले के चंदरपुर में स्थित शासकीय प्राथमिक स्कूल में पदस्थ दृष्टि बाधित शिक्षक दुर्गेश केशरी ने. दुर्गेश केशरी को आंखों से दिखाई नहीं देता फिर भी उन्होंने इतनी मेहनत की कि आज इनकी चर्चा पूरे क्षेत्र में हो रही है.
बता दें कि शासकीय प्राथमिक स्कूल चंदरपुर में बीते 15 सालों से दुर्गेश केशरी शिक्षक के पद पर पदस्थ हैं और वो जन्म से ही देख नहीं सकते हैं. हालांकि दुर्गेश ने दिव्यांगता को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया और स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल कर शिक्षक बने.
स्कूल के स्टॉफ रहते हैं बेहद प्रभावित
अपने काम के प्रति लगन व निष्ठा के कारण रोजाना समय पर स्कूल पहुंचने वाले दुर्गेश से स्कूल के प्रधानपाठक सहित दूसरे शिक्षक भी बेहद प्रभावित रहते हैं. स्कूल के स्टॉफ ने बताया कि दुर्गेश दूसरे शिक्षकों की भी शिक्षा में मदद करते हैं. वहीं शिक्षक दिवस के अवसर पर प्रशासनिक अधिकारी भी ऐसे दृढ़ संकल्प वाले शिक्षकों को प्रोत्साहित करने के लिए पहल करने की बात कही है.
दृष्टि बाधित के बाद भी दूसरों के लिए मिसाल पेश कर रहे दुर्गेश
जहां चाह वहीं राह... इस कहावत को शिक्षक दुर्गेश ने सच साबित कर दिखाया है. दुर्गेश के इस दृढ़ संकल्प ने समाज ही नहीं बल्कि दिव्यांग लोगों के लिए एक मिसाल है. जो लोग अपनी दिव्यांगता को कमजोरी मानते हुए हार मान जाते हैं. वहीं दोनों आंखों से बाधित होने के बाद भी शिक्षक छात्रों के जीवन में शिक्षा की अलख जला रहे हैं और दूसरे शिक्षको के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं.
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