Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ की महिला और बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने भरी सभा में अफसरों की जमकर क्लास लगाई. उन्होंने कहा कि आपलोगों को अगर एक टाइम भी पानी नहीं मिला तो छटपटा जाएंगे. ग्रामीणों की तकलीफों का एहसास क्यों नहीं हो रहा है? वे बार-बार दफ्तरों के चक्कर काटने को क्यों मजबूर हो रहे हैं. लापरवाही और काम में ढिलाई बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होगी.
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इसलिए भड़कीं मंत्री
ये तब हुआ जब मंत्री राजवाड़े सूरजपुर जिले के ओडगी विकासखंड के ग्राम पंचायत खोड़ में “संवाद से समाधान” कार्यक्रम में ग्रामीणों की समस्याओं को सुन रही थीं. इस मौके पर ग्रामीणों ने मंत्री को बताया कि नल-जल योजना के तहत बिछाए गए कनेक्शन आज तक इन क्षेत्रों में शुरू नहीं हुए, तो लंबे समय से खराब पड़े सोलर लाइट की और उसकी बैटरी वजह से ग्रामीण अंधेरे में रहने को विवश हैं. अधिकारियों को शिकायत के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई है.
ग्रामीणों की समस्याओं को सुनने के बाद मंत्री राजवाड़े लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHE) और क्रेडा की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई. उन्होंने अफसरों की जमकर क्लास ली. अधिकारियों को स्पष्ट शब्दों में कहा कि जनहित के कार्यों में लापरवाही किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
मंत्री ने चेतावनी दी कि अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो संबंधित अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना राज्य सरकार की प्राथमिकता है.
शिविर में खोड़ क्लस्टर की आठ ग्राम पंचायतों—बेदमी, छतोली बीजो, इंजानी, करवा, केसर, खोंड़, मसंकी और टमकी के बड़ी संख्या में नागरिक शामिल हुए और अपनी समस्याएं शासन-प्रशासन के समक्ष रखीं.
समस्याओं का हो रहा है समाधान
मंत्री राजवाड़े ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा शुरू की गई “संवाद से समाधान” पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह अभियान शासन और जनता के बीच संवाद को सशक्त बना रहा है.उन्होंने कहा कि इस मंच के माध्यम से जनता को सीधे अपनी बात कहने का अवसर मिल रहा है, जिससे समस्याओं का त्वरित समाधान संभव हो रहा है.
शिविर के दौरान ग्रामीणों की कई शिकायतों का मौके पर ही निराकरण किया गया और नए आवेदन भी प्राप्त हुए.नागरिकों ने इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि अब उन्हें अपनी समस्याएं सीधे शासन तक पहुंचाने का प्रभावी मंच मिला है.
इस अवसर पर समाज सेवा में उत्कृष्ट योगदान देने वाली पांच महिलाओं को देवी अहिल्याबाई होल्कर की स्मृति में साड़ी और नारियल देकर सम्मानित किया गया. समाधान शिविर न केवल समस्याओं के समाधान का जरिया बना, बल्कि शासन और ग्रामीणों के बीच विश्वास की नई शुरुआत भी साबित हुआ.
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