छत्तीसगढ़ की महिला और बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने NDTV की सीनियर सब एडिटर अंबु शर्मा से खास बातचीत की..
Minister Laxami Rajwade Interview: वो सूबे की मंत्री हैं..काफिले के साथ चलती हैं...कहीं कोई अधिकारी-कर्मचारी गड़बड़ी करता है तो डपट भी देती हैं. पहली बार विधायक बनी हैं लेकिन विधानसभा में धाराप्रवाह सवालों के जवाब देती हैं..पर कोई तेजतर्रार मंत्री का तमगा दे तो उसे विनम्रता से नकार भी देती हैं...हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ की महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े की. NDTV ने जब उनसे उनके परिवार और लाइफस्टाल के बारे में बात की कई दिल को छू लेने वाली बातें सामने आईं...आप भी देखिए हमारी विशेष पेशकश- शख्सियत..सपरिवार आमंत्रित
सवाल- सुबह की शुरुआत चाय के साथ होती है, हमारे सवाल की शुरुआत भी चाय से ही है, आप गृहणी थीं और अब मंत्री हैं, क्या आप अब भी चाय बनाती हैं ?
जवाब- मैं आपको बता दूं कि हमारे घर में चाय कोई भी नहीं पीता है. जब मैं गृहणी के रूप में थी तब भी मेरे घर में चाय की आदत किसी को भी नहीं थी. सुबह उठते ही फ्रेश होकर झाड़ू, बर्तन और घर के कामों में लग जाना. पूरे घर में झाड़ू लगाने से लेकर भोजन पानी तक पूरा काम करना होता था. मंत्री बनने के बाद जिम्मेदारी बढ़ी है. सोकर उठते ही ध्यान आता है दायित्व बड़ा है उसे निभाना है.प्राथमिकता इसी पर ज्यादा है.
सवाल-आप पहली बार विधायक बनीं और मंत्रीपद भी मिला...काफी बिजी रहती होंगी...ऐसे में परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी कैसे संभालती हैं?
जवाब- दिक्कतें तो होती हैं.बच्चों को,क्षेत्र को, खुद को वक्त देने के लिए मैनेज तो करना पड़ता है.परिवार के साथ से मैं यहां तक पहुंची हूं फर्ज है कि उनको भी समय दूं.
सवाल- बीए सेकंड ईयर के बाद आपको पढ़ाई छोड़नी पड़ी...क्या वजह थी?
जवाब- मेरी शादी जल्दी हो गई थी. मैनें फॉर्म भरा था लेकिन परीक्षा नहीं दे पाई थी. लेकिन बाद में पढ़ाई जारी रखने के लिए प्राइवेट परीक्षा देती रही.कुछ अधूरी रही है उसे पूरी करना है.
सवाल- मंत्री बनने के बाद बच्चों की पढ़ाई पर कैसे ध्यान देती हैं ?
जवाब- दिक्कतें होती हैं. एक साथ सबकुछ संभव नहीं हो पाता है. खुद के लिए बच्चों की पढ़ाई के लिए क्षेत्रवासियों के लिए टाइम निकालना पड़ता है.
सवाल- पुरानी कहावत है- हर सफल पुरुष के पीछे एक महिला होती है लेकिन आपके मामले में ऐसा कहा जाता है कि इस महिला की सफलता के पीछे एक पुरुष का हाथ है? आप क्या कहेंगी? कैसे हुई पहली मुलाकात?
जवाब- आपको बता दूं कि मेरी लव नहीं अरैंज मैरिज है. मुझे देखने के लिए आए थे, पसंद किए और फिर हमारी शादी हुई. पति-परिवार सभी का साथ मिला है. मैनें कभी सोचा नहीं था कि राजनीति में आउंगी. वाकई मैं मानती हूं कि मेरी सफलता के लिए मेरे पति का साथ है. किसी सोच के साथ महिला आगे बढ़ती है. पति और परिवार का साथ न रहे तो वह आगे नहीं बढ़ पाती है. संयुक्त परिवार है. सब साथ रहते हैं. बच्चों और काम की जिम्मेदारी सास और जेठानी उठाती हैं तो सभी के साथ से मैं यहां तक पहुंची हूं.
सवाल- मंत्री बनने के बाद भी आप खाना बनाती होंगी?
जवाब- इसके लिए समय निकालती हूं.जब मेरी शादी हुई थी तब मुझे खाना बनाना नहीं आता था. बनाती थी तो कुछ न कुछ गड़बड़ी होती थी. कभी नमक ज्यादा तो कभी पानी ज्यादा, कभी नमक ही नहीं, कुछ साल तक ऐसे ही चलता रहा.फिर धीरे-धीरे कुछ सालों में स्वाद आया और सबको पसंद आने लगा. इसके बाद पति को भी आदत हो जाती है कि पत्नी अगर बनाकर दे तो भोजन अच्छे से कर लेता. बच्चों और पति की इच्छा के लिए मन करता है तो बना लेती हूं.
सवाल- साय कैबिनेट में आपकी छवि एक तेजतर्रार मंत्री की मानी जाती है...एक्शन में रहने की प्रेरणा कहां से मिलती है?
जवाब- मुझे तेज तर्रार बोलेंगे तो बाकियों को... प्रयास कर रही हूं कि किसी मामलों में बनना है.ताकि काम हो सके. मुखिया भी शांत स्वभाव के हैं तो चीजों को शांत स्वभाव से ही निपटाने का प्रयास कर रहे हैं.
सवाल- आप राज्य भर में दौरे करती रही हैं,आम लोगों से मिलती हैं...इस छोटे से कार्यकाल में कौन सी चीज आपके दिल को छू गई?
जवाब- जब मैं वृद्धाश्रम में जाती हूं वहां जाकर बहुत तकलीफ होती है. लोगों को कैसे समझाएं कि माता-पिता ही हमारे ईश्वर हैं. दिल से ऐसा लगता है कि ऐसे भी बच्चे हो सकते हैं, जो अपने जन्मदाता माता-पिता को ले जाकर आश्रमों में छोड़ देते हैं. उनके दर्द को सुनकर बहुत पीड़ा होती है. कुछ मां बच्चों को जन्म देती हैं, लेकिन अनाथ आश्रम में छोड़ देती है. ये देखकर बहुत तकलीफ होती है.
सवाल : सरकार आपकी है, आपने कुछ सोचा है कि ऐसे मामलों पर क्या करना चाहिए?
जवाब: हम मानसिकता को नहीं बदल सकते हैं. विभाग छोटे-छोटे बच्चों को अडॉप्ट कर रहा हैं. लोगों को समझने की जरुरत है. सास-ससुर सीख देने का प्रयास करते हैं जिसे हम बुरा मानते हैं. वो सीख हमारे आगे के जीवन को तय करती है.
सवाल-विधानसभा में फायर पॉलिटिक्स होती है पहली बार मंत्री, विधायक बनीं.. ऐसा कहा जा सकता है कि अनुभव कम है. तो अनुभवी नेताओं का सामना करने का कॉन्फिडेंस कहां से आता है?
जवाब- जी बिल्कुल सही कहा आपने.अभी अनुभव कम है. ज्यादा हावी विपक्ष के लोग होते हैं.मेरे लिए सबकुछ नया है.कभी-कभी नर्वस हो जाती हूं.पहले से अनुभवी नेताओं से सीखती हूं.वे कहते हैं कि अध्ययन करो तो आ जाएगा.धीरे-धीरे सीख रहे हैं.अनुभव को बढ़ा रही हूं.
सवाल-शिकायतें मिलते ही एक्शन मोड में आप तुरंत आती हैं..
जवाब- देखिए, विभाग ऐसा होता है कि आरोप सभी लगाते हैं. कभी-कभी अधिकारियों की भी गलती रहती है. जब तक विभाग को ठीक नहीं करेंगे, दो-चार लापरवाह लोगों पर कार्रवाई नहीं करेंगे तब तक विभाग में सुधार नहीं होगा. इसलिए तत्काल एक्शन जरुरी है.
सवाल- एक मंत्री के पास काम के लिए पूरा वक्त चाहिए और आप एक मां भी हैं और मां का भी फुल टाइम काम है.किस तरह से समय मैनेज करती हैं?
जवाब- बच्चों को भी अब पता चल चुका है कि मेरी मां व्यस्त हो गई हैं. फोन से बातचीत करती रहती हूं. घर जाती हूं तो वक्त देती हूं. बच्चे समझ चुके हैं. संयुक्त परिवार है तो ज्यादा परेशानी नहीं होती है. प्रयास रहता है कि विभाग और बच्चों को अच्छे से संभालें.
सवाल- छत्तीसगढ़ के इतिहास की सबसे कम उम्र की महिला मंत्री हैं आप...राजनीति में आने को इच्छुक महिलाओं के लिए क्या कहना चाहेंगी?
जवाब- हर किसी की अपनी अलग सोच है. कौन किस क्षेत्र में जाना चाहता है वह उनकी इच्छा है. राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने लगी है. महिलाएं जुड़ रही हैं. देश में महिलाओं की नेतृत्व क्षमता या प्रतिनिधित्व कर रही हैं है.छत्तीसगढ़ पहला ऐसा राज्य बना है महिलाएं सबसे ज्यादा चुनकर आई हैं. चुनाव के माध्यम से जो महिलाएं आती हैं आगे बढ़ती ही हैं. अच्छे नजरिए से देखें तो बहुत अच्छा है.
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