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CG News: विकास की खुली पोल, रोड नहीं होने से नहीं पहुंच पाई एम्बुलेंस, खाट पर ले जाने से हो गई मरीज की मौत

बलरामपुर जिले के कुसमी विकासखंड के शाहपुर के चुरुंडा निवासी 35 वर्षीय महेंद्र सिंह की गुरुवार को खेत में काम करने के दौरान अचानक तबीयत खराब हो गई. खराब रास्ता और खुली नदी होने के कारण एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाई, जिसके बाद परिजनों ने ग्रामीणों की मदद से शुक्रवार को बीमार महेंद्र सिंह को मुख्य सड़क तक तकरीबन 1 किलोमीटर दूर खाट में ढोकर कर लाए. फिर परिजन मरीज को अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां समय पर इलाज नहीं होने से उसकी मौत हो गई.

CG News: विकास की खुली पोल, रोड नहीं होने से नहीं पहुंच पाई एम्बुलेंस, खाट पर ले जाने से हो गई मरीज की मौत

Latest Chhattisgarh  News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजनीतिक पार्टियां (Political Parties) और सरकार यूं तो प्रदेश में विकास की खूब कहानी सुनाती है, लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल इससे उलट है. हालात ये है कि प्रदेश के कई गावों तक जाने के लिए आज भी सड़कों का निर्माण नहीं किया गया है, जिसका खामियाजा लोगों को अपनी जान देकर चुनावी पड़ रही है. ताजा मामला बलरामपुर (Balrampur) जिले का है. यहां  के चुरुंडा गांव तक सड़क नहीं होने की वजह से एंबुलेंस (Ambulance) नहीं पहुंच पाई, तो परिजन खाट पर लेकर मरीज को अस्पताल (Hospital) पहुंचे, लेकिन समय पर नहीं पहुंच पाने की वजह से उनकी मौत हो गई.

विकास और सिस्टम की पोल खोलती तस्वीर आई सामने

जानकारी के मुताबिक बलरामपुर जिले के कुसमी विकासखंड के शाहपुर के चुरुंडा निवासी 35 वर्षीय महेंद्र सिंह की गुरुवार को खेत में काम करने के दौरान अचानक तबीयत खराब हो गई. खराब रास्ता और खुली नदी होने के कारण एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाई, जिस पर परिजनों ने ग्रामीणों की मदद से शुक्रवार को बीमार महेंद्र सिंह को मुख्य सड़क तक तकरीबन 1 किलोमीटर दूर खाट में ढोकर कर लाए. फिर परिजन मरीज को अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां समय पर इलाज नहीं होने से उसकी मौत हो गई.

गांव में कुछ लोगों की निजी भूमि बन रही है रास्ते में रुकावट

वहीं, उपतहसील चांदो अंतर्गत चुरुंडा गांव के सरपंच रामसकल मिंज का कहना है कि गांव में सड़क निर्माण के लिए कई बार कोशिश की गई. पर सड़क निजी भूमि से होकर जाती है और कोई ग्रामीण सड़क के लिए भूमि देने को तैयार नहीं है. यही वजह है ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से वंचित है कि उनके गांव तक पक्का सड़क  नहीं बना है. बरसात के चार महीने में मरीजों, गर्भवतियों और बुजुर्गों को आने-जाने ले जाने में काफी परेशानी होती है. कई बार बीमार व गर्भवती महिलाओं को झोली में डालकर पक्की सड़क तक ले जाना पड़ता है. एक तरफ राज्य सरकार जनता को विकास कार्य गिना रही है, जबकि दूसरी ओर हकीकत की तस्वीर कुछ और ही है.

रास्ता खराब होने से नहीं पहुंची एम्बुलेंस

पीड़ित मरीज को खराब सड़क व खुली नदी होने की वजह से खाट में ढोकर ले जाना पड़ा, जिसकी वजह से समय पर अस्पताल नहीं पहुंचा पाए. जिसके कारण अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई. ग्रामीणों का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है. कई पीढ़ियों से सड़क नहीं होने से ग्रामीण जानमाल के नुकसान के साथ-साथ विकास की मुख्यधारा से भी नहीं जुड़ पा रहे हैं. बरसात के दिनों में हालत बद से बदतर हो जाती है.

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मामले पर एसडीएम ने लिया संज्ञान

इस मामले पर कुसमी एसडीएम करुण डहरिया का कहना है कि जंगल और दूरस्थ इलाकों में लोगों की बसावट होने की वजह से कई गांवों में अभी तक सड़कें नहीं पहुंच पाई है. हालांकि, इस घटना के बारे में उन्होंने कहा कि मरीज एक दिन पहले से ही बीमार था और रात भर घर से बाहर रहा और दूसरे दिन एंबुलेंस पहुंचने पर अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उस जगह पर जल्द ही सड़क के लिए प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा जाएगा, ताकि आने वाले समय पर ऐसी घटनाएं न हो.

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