छत्तीसगढ़ के बर्खास्त न्यायिक अधिकारी को सुप्रीम झटका, कोर्ट ने कहा-आप किसी सेवा लायक नहीं

छत्तीसगढ़ के एक बर्ख़ास्त न्यायिक अधिकारी प्रभाकर ग्वाल  को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने प्रभाकर ग्वाल की याचिका को न सिर्फ खारिज कर दिया है बल्कि उन्हें न्यायिक सेवा के योग्य भी नहीं माना है.जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता किसी भी सरकारी सेवा, और उससे भी बढ़कर न्यायिक सेवा में रहने योग्य नहीं हैं.

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Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ के एक बर्ख़ास्त न्यायिक अधिकारी प्रभाकर ग्वाल  को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने प्रभाकर ग्वाल की याचिका को न सिर्फ खारिज कर दिया है बल्कि उन्हें न्यायिक सेवा के योग्य भी नहीं माना है.जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता किसी भी सरकारी सेवा, और उससे भी बढ़कर न्यायिक सेवा में रहने योग्य नहीं हैं. बता दें कि प्रभाकर ग्वाल छत्तीसगढ़ न्यायिक सेवा में सिविल जज के तौर पर नियुक्त थे. उन पर आरोप था कि उनका आचरण न्यायिक पद की गरिमा के विपरीत था.

ग्वाल को सेवा से क्यों हटाया गया था?

दरअसल ग्वाल को उस समय सेवा से हटाया गया था जब यह पाया गया कि उन्होंने अपनी पत्नी के माध्यम से तत्कालीन हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और एक वरिष्ठ न्यायाधीश समेत कई लोगों के खिलाफ आपराधिक शिकायतें दर्ज कराई थीं. हाईकोर्ट की फुल कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 311(2)(b) का उपयोग करते हुए, बिना विभागीय जांच के ही उनकी बर्ख़ास्तगी की सिफारिश कर दी थी. फुल कोर्ट ने पाया था कि विभागीय जांच कराना उचित रूप से संभव नहीं है और यह बर्ख़ास्तगी जनहित में है.बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस निष्कर्ष को सही माना जिसमें कहा गया था कि ग्वाल ने बार-बार हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों, वरिष्ठ न्यायाधीशों और सहकर्मियों के खिलाफ झूठे,आपत्तिजनक और दुर्भावनापूर्ण आरोप लगाए थे.कोर्ट ने साफ किया है कि ग्वाल के खिलाफ केवल कदाचार का आरोप नहीं था, बल्कि उनका आचरण लगातार अनुचित और असंयमित था, जिससे यह निष्कर्ष निकलता है कि वह न्यायिक सेवा जैसे सम्मानित पद पर बने रहने के योग्य व्यक्ति नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए ग्वाल की याचिका खारिज कर दी. 

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