Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की भयावह तस्वीर सामने आई है, जिसने मानवता को झकझोर कर रख दिया है. जगरगुंडा के चिमलीपेंटा गांव के 40 वर्षीय बारसे रामेश्वर की तबीयत अचानक बिगड़ने पर परिजन उसे अस्पताल ले जाने के प्रयास में थे, लेकिन समय पर वाहन या एंबुलेंस उपलब्ध न होने के कारण उन्हें उसे मोटरसाइकिल से जगरगुंडा स्वास्थ्य केंद्र की ओर ले जाना पड़ा. रास्ते में ही रामेश्वर ने दम तोड़ दिया.
परिजनों के अनुसार रामेश्वर को हाथ-पैर में सूजन और तेज पेट दर्द था. इससे पहले भी वह जगरगुंडा अस्पताल में उपचार करा चुका था. मौत के बाद परिजनों ने शव को घर तक ले जाने के लिए एंबुलेंस की मांग की, लेकिन अस्पताल से उन्हें यह कहकर मना कर दिया गया कि एक ड्राइवर बीमार है और दूसरा छुट्टी पर है. परिणामस्वरूप, परिवार को मजबूरन 6 किलोमीटर तक खाट पर शव लेकर पैदल चलना पड़ा.
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कलेक्टर बोले- जांच करवाएंगे
चिमलीपेंटा के सरपंच इरपा कृष्टा ने बताया कि रामेश्वर पिछले एक महीने से बीमार था. गुरुवार को अस्पताल में उपचार के बाद उसे शुक्रवार को पुनः लाने की सलाह देकर शाम को डिस्चार्ज कर दिया गया था. शुक्रवार की सुबह जब हालत खराब हुई, परिजन बाइक से उसे लेकर अस्पताल जा रहे थे, जहां पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई. अस्पताल में एंबुलेंस खड़ी थी, लेकिन ड्राइवर छुट्टी का हवाला देकर देने से मना कर दिया. मजबूरन शव को चारपाई में लादकर ले जाना पड़ा. कलेक्टर देवेश ध्रुव ने कहा कि वे मामले की जानकारी लेकर जांच कराएंगे.