
Sukma Government Aashram: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नक्सल प्रभावित इलाकों में संचालित आश्रम-छात्रावासों में अव्यवस्था की खबरें आए दिन पढ़ने को मिलती हैं. आदिवासी बच्चे असुविधाओं के बीच शिक्षा ग्रहण करने की तस्वीरें भी देखने को मिलती हैं. लेकिन, सुकमा (Sukma) जिले में एक ऐसा आश्रम भी संचालित हैं, जहां सीमित संसाधनों के बीच आवासीय सुविधा के साथ बच्चों को बेहतर शिक्षा देने का प्रयास किया जा रहा है. चार साल में यहां की अधीक्षिका ने सरकारी आश्रम की तस्वीर ही बदल दी है. आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.

बेसहारा बच्चों के लिए सुकमा में खास आश्रम
बच्चों की जरूरत के आधार पर लक्ष्य तय
जिले के तोंगपाल में संचालित बालिका आश्रम, कुमाकोलेंग में सीमित संसाधनों के बीच सर्व सुविधा युक्त माहौल में बच्चों को शिक्षा दी जा रही है. ये सब आश्रम की अधीक्षिका सपना नायक की मेहनत से संभव हो पाया है. आश्रम में पढ़ रहे बच्चों की जरूरत को देखते हुए अधीक्षिका हर साल एक लक्ष्य निर्धारित करती हैं. उसके लिए अपनी तनख्वाह से मिलने वाली राशि का कुछ अंश उस काम के लिए सेविंग कर लेती है. ऐसा कर उन्होंने बीते चार सालों में आश्रम की हर वो बुनियादी जरूरतों को पूरा करने सफल हुई हैं.
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किए गए खास प्रयास
सुकमा के आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त शरत चंद्र शुक्ला ने बताया कि जिले में संचालित कुछ आश्रमों को मॉडल के रूप में विकसित किया जा रहा है. इसी कड़ी में कुमाकोलेंग बालिका आश्रम से व्यवस्थित रूप से संचालित करने का प्रयास किया गया, ताकि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके.
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