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CG News: 540 करोड़ के करप्शन की आरोपी निलंबित अफसर सौम्या को जमानत, ED को लगी फटकार

Soumya Chaurasia News CG: सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति उज्जवल भुइयां ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की पीएमएलए मामलों में कम दोषसिद्धि दर पर गंभीर चिंता व्यक्त की. खासकर ऐसे मामले में, जिसमें आरोपी को बिना आरोप पत्र दाखिल किए लंबे समय तक हिरासत में रखा जाता है.

CG News: 540 करोड़ के करप्शन की आरोपी निलंबित अफसर सौम्या को जमानत, ED को लगी फटकार

Soumya Chaurasia News: छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल लाने वाले कोयला घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) मामले में आरोपी निलंबित राज्य प्रशासनिक सेवा की धिकारी को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से जमानत मिल गई है. कोर्ट ने उन्हें लंबी हिरासत और आरोप पत्र दाखिल न होने जैसे महत्वपूर्ण तथ्यों को ध्यान में रखते हुए यह राहत दी है. दरअसल, सौम्या चौरसिया (Soumya Chaurasia ) कोयला घोटाले (Coal Scam) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक साल 9 महीने से हिरासत में थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोप पत्र दाखिल किए बिना लंबी हिरासत पर ED की आलोचना की.

हाईकोर्ट से नहीं मिली जमानत

सौम्या चौरसिया छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप सचिव रह चुकी हैं. वह कोयला घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में एक साल 9 महीने से हिरासत में थी. इससे पहले उन्होंने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में भी जमानत याचिका दाखिल की थी, जिसके बाद सौम्या के वकील ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के 28 अगस्त, 2024 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनकी तीसरी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी.

कोर्ट ने इसलिए दी जमानत

न्यायमूर्ति सूर्य कांत, दीपांकर दत्ता और उज्जवल भुइयां की पीठ ने उन्हें शर्तों के साथ अंतरिम जमानत दी. कोर्ट ने उन्हें जमानत देते हुए कहा कि इतने लंबे समय तक बिना आरोप पत्र दाखिल किए हिरासत में रखना अनुचित है. दरअसल, इस मामले कुछ सह-आरोपियों को पहले ही जमानत मिल चुकी है. इसके साथ ही उनके खिलाफ अब तक आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मामले के गुण-दोष के आधार पर अगली सुनवाई पर बात होगी. फिलहाल, हम निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए. इसके साथ ही उन्हें ट्रायल कोर्ट के समक्ष उपयुक्त जमानत बांड दाखिल करने के लिए भी कहा. साथ ही अदालत ने स्पष्ट किया कि चौरसिया की रिहाई का मतलब उनकी सरकारी सेवा में बहाली नहीं है. वह अगले आदेश तक निलंबित ही रहेंगी.

इन शर्तों के साथ मिली जमात

हालांकि, कोर्ट ने चौरसिया की जमानत पर कई कड़ी शर्तें भी लगाई है. कोर्ट ने उनसे ट्रायल कोर्ट की सभी सुनवाइयों में उपस्थित रहने के लिए कहा है. इसके साथ ही गवाहों को प्रभावित करने या सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करने के भी निर्देश दिए हैं. वहीं, अपना पासपोर्ट कोर्ट में जमा करने के लिए कहा है और देश छोड़ने से पहले ट्रायल कोर्ट से अनुमति लेने का पाबंद किया गया है.

ईडी को कोर्ट ने लगाई फटकार

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति उज्जवल भुइयां ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की पीएमएलए मामलों में कम दोषसिद्धि दर पर गंभीर चिंता व्यक्त की. खासकर ऐसे मामले में, जिसमें आरोपी को बिना आरोप पत्र दाखिल किए लंबे समय तक हिरासत में रखा जाता है.

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी. राजू से न्यायमूर्ति भुइयां ने कहा कि बिना आरोप पत्र दाखिल किए आप किसी व्यक्ति को कितने समय तक जेल में रख सकते हैं? न्यायमूर्ति ने कहा कि ऐसे मामलों में अधिकतम सजा 7 साल है और संसद में बताया गया कि केवल 41 मामलों में ही पीएमएलए के तहत दोषसिद्धि हुए हैं. आपको बता दे कि यह टिप्पणी विशेष रूप से वित्तीय अपराधों की जांच के दौरान न्यायिक प्रक्रियाओं की निष्पक्षता पर सवाल उठाती है.

वकील ने ये पेश किया जमानत का ग्राउंड

न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने भी सुनवाई के दौरान हैरानी जताई कि सुनवाई वारंटों के निष्पादन में देरी के कारण आगे नहीं बढ़ रही थी. उन्होंने सवाल किया, "क्या यह उचित है कि किसी को बिना ट्रायल के लंबे समय तक हिरासत में रखा जाए?
चौरसिया की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने तर्क दिया कि उनकी मुवक्किल लगभग दो साल से हिरासत में हैं और ट्रायल में कोई प्रगति नहीं हुई है. उन्होंने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया मामले में दिए गए फैसले का हवाला देते हुए कहा कि इसी आधार पर चौरसिया को भी राहत दी जानी चाहिए. दवे ने यह भी तर्क दिया कि चौरसिया के तीन सह-आरोपियों को पहले ही जमानत दी जा चुकी है.

ईडी ने जमानत का किया विरोध

हालांकि, ASG एसवी राजू ने इस जमानत का कड़ा विरोध किया. उन्होंने तर्क देते हुए कि चौरसिया एक सिविल सेवक हैं और उनके पास जनता के प्रति उच्च स्तर की जिम्मेदारी है. इसलिए उनके मामले में सख्त न्यायिक दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए. राजू ने आरोप लगाया कि चौरसिया अवैध कोयला लेवी संग्रह में मुख्य भूमिका निभा रही थीं और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी थी.

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इस मामले में आरोपी हैं चौरसिया

दरअसल, चौरसिया के खिलाफ मामला छत्तीसगढ़ में कोयला और खनिज परिवहनकर्ताओं से 540 करोड़ रुपये से ज्यादा अवैध लेवी संग्रह और जबरन वसूली के आरोपों से जुड़ा है. प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें दिसंबर 2022 में गिरफ्तार किया था. तब से उनकी जमानत याचिकाएं बार-बार खारिज हो रही थी. जून 2023 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने उनकी पहली जमानत याचिका खारिज की गई थी. इसके बाद दिसंबर में उनकी विशेष अनुमति याचिका को भी हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था. फिर मई 2024 में उनकी दूसरी जमानत याचिका को वापस ले लिया गया था. इसके बाद अगस्त 2024 में उनकी तीसरी जमानत याचिका को भी हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था. इसके बाद चौरसिया ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जहां सितंबर 2024 में मामला सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हुआ. इस दौरान उन्हें अंतरिम जमानत मिल गई है. इब इस मामले में अगली सुनवाई  26 अक्टूबर, 2024 को होगी. 

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