
CG Teacher Bharti: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में शिक्षकों कमी को लेकर हाईकोर्ट (chhattisgarh High Court) ने संज्ञान लेते हुए सरकार से जवाब तलब किया है .छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रदेश के स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए लंबित भर्ती प्रक्रिया के बारे राज्य शासन को बताने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि सरकार शिक्षकों की भर्ती के लिए चल रही प्रक्रिया की जानकारी उपलब्ध कराएं. सुनवाई के दौरान शासन की ओर से वर्तमान में की गई व्यवस्था की जानकारी दी गई. इस मामले में अगली सुनवाई अब अक्टूबर में होगी.
आपको बता दें कि भाजपा ने विधानसभा चुनाव के दौरान सरकार बनने पर प्रदेश में 70 हजार शिक्षकों की भर्ती का वादा किया था. इसके बाद सत्ता में आने पर तत्कालीन स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने सदन में 33 हजार शिक्षकों की भर्ती का ऐलान किया था. हालांकि, इसके बाद इस दिशा में अब तक बात आगे नहीं बढ़ पाई है. हालात ये हैं कि जगह-जगह स्कूली बच्चे शिक्षकों की कमी की वजह से सड़क जाम के साथ ही शिकायत लेकर अफसरों के पास पहुंच रहे हैं, लेकिन, इन बच्चों की सुनवाई होने के बजाय, उन्हें धमका कर चुप कराने का खेल चल रहा है.
हाईकोर्ट ने मांगी ये जानकारी
दरअसल, राजनांदगांव के डीईओ की ओर से छात्राओं से दुर्व्यवहार और जेल भेजने की धमकी मामले में मंगलवार को सुनवाई हुई. इस दौरान हाईकोर्ट ने शिक्षकों की कमी वाले स्कूलों में नियुक्ति की जानकारी मांगी थी. सुनवाई के दौरान शासन की ओर से बताया गया कि लगभग 267 स्कूल प्रदेश में ऐसे हैं, जहां शिक्षकों की कमी है. इनमें से 60 स्कूलों में स्थानीय स्तर पर शिक्षक नियुक्त किए गए हैं. वहीं, दूरस्थ अंचल के 55 स्कूलों में दूसरे स्कूलों से शिक्षकों का समायोजन किया गया है. बाकी स्कूलों में भी नियुक्ति प्रक्रिया की जा रही है. इस पर कोर्ट ने यह बताने के निर्देश दिए कि स्कूलों में कब तक शिक्षकों की नियुक्ति हो जाएगी.
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ऐसे कोर्ट पहुंचा था मामला
गौरतलब है कि राजनांदगांव जिले की छात्राएं स्कूल में शिक्षक नहीं होने पर नियुक्ति की मांग को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी से मुलाकात करने गई थी. छात्राओं का कहना था कि बिना शिक्षक के 11वीं पास कर लेंगे, लेकिन 12वीं की परीक्षा कैसे पास करेंगे. छात्राओं की इस जायज मांग पर जिला शिक्षा अधिकारी ने छात्राओं से दुर्व्यवहार करते हुए कहा था कि जिंदगी भर जेल में रहोगे, तो समझ में आएगा. डीईओ के इस व्यवहार को प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने प्रमुखता से उठाया था, जिस पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने इसे गंभीरता से लेते हुए जनहित याचिका के रूप में सुनवाई प्रारंभ की है. कोर्ट ने मामले में स्कूल शिक्षा सचिव, संचालक स्कूल शिक्षा, कलेक्टर राजनांदगांव और डीईओ राजनांदगांव को जवाब देने को कहा था.
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