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सुकमा में 'ड्रोन कैमरे' बने काल! मारे गए 18 लाख के इनामी नक्सली माड़वी नवीन, महेश और भीमा

सुकमा के जंगलों में सुरक्षाबलों ने गुरुवार को एक मुठभेड़ में तीन कुख्यात नक्सलियों को ढेर कर दिया. ये मुठभेड़ सुकमा-बीजापुर की सीमा पर हुई थी. जिसमें सबसे बड़ी भूमिका ड्रोन कैमरों की बताई जा रही है. ड्रोन कैमरों से इन नक्सलियों के सटीक लोकेशन की जानकारी मिली और सुरक्षाबलों ने उन्हें ढेर कर दिया. हालांकि ड्रोन के इस्तेमाल की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.

सुकमा में 'ड्रोन कैमरे' बने काल! मारे गए 18 लाख के इनामी नक्सली माड़वी नवीन, महेश और भीमा

Naxali in Sukma: मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद को खत्म करने की मुहिम में जुटे सुरक्षाबलों को अब आसमानी ताकत भी मिल गई है.दूसरे शब्दों में कहें तो नक्सल विरोधी अभियान में सुरक्षाबलों को तीसरी आंख मिल गई है. दरअसल गुरुवार को  गुंडराजगुड़ेम और पालीगुड़ा के जंगल में हुई मुठभेड़ में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता हाथ लगी है. इसमें हमारे जवानों ने 8 लाख के इनामी नक्सली कोरसा महेश समेत तीन माओवादियों को ढेर कर दिया. अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि इस पूरे मुठभेड़ को सफल बनाने में बड़ी भूमिका ड्रोन की रही. इन घने जंगल और पहाड़ों से घिरे इलाके में नक्सलियों का लोकेशन जानने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया गया. जिसके बाद सुरक्षाबलों ने माओवादियों के ठिकानों को घेरा और तीन नक्सलियों को ढेर कर दिया. इन सब पर कुल मिलाकर 18 लाख का इनाम था. 

18 लाख का इनाम था इन नक्सलियों पर 

खुद सुकमा की एसपी किरण चव्हाण ने बताया कि मुठेभड़ में मार गए नक्सलियों में 8 लाख का इनामी PPCM कोरसा महेश, 5 लाख का इनामी माड़वी नवीन और 5 लाख का इनामी ACM अवलम भीमा शामिल हैं. PPCM कोरसा महेश दक्षिण बस्तर डिवीजन और PLGA बटालियन नंबर एक का IED एक्सपर्ट था और जगरगुंडा के साथ-साथ पामेड़ इलाके में घटी कई नक्सली घटनाओं में शामिल रहा है. मुठभेड़ के बाद सुरक्षाबलों ने घटनास्थल से BGL लॉन्चर, एक 12 बोर बंदूक समेत अन्य विस्फोटक सामग्री बरामद की है. 

15-20 नक्सलियों के छुपे होने की सूचना मिली थी

दरअसल सुरक्षाबलों को खुफिया सूचना मिली थी कि बीजापुर और सुकमा जिले की सरहद पर माओवादियों के बड़े नेताओं सहित लगभग 15-20 नक्सली मौजूद हैं. इसके बाद ऑपरेशन की योजना बनाई गई. लेकिन मुश्किल ये थी कि ये नक्सली मेटागुड़म और गोमगुड़ा पुलिस कैंप से करीब 10 किमी दूर घने जंगलों और पहाड़ियों में छुपे हुए थे. जिसके बाद सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के सटीक लोकेशन को जानने के लिए ड्रोन कैमरों की सहायता लेने का फैसला किया. इसी की सहायता से पुख्ता जानकारी मिली और ऑपरेशन को अंजाम दिया गया. 

ड्रोन कैमरों से कैसे मिलती है सहायता?

बता दें कि सुकमा और बीजापुर जिले के नक्सल प्रभावित इलाकों में खुले सभी पुलिस कैंपों में सरकार द्वारा ड्रोन कैमरे उपलब्ध कराए गए हैं. सर्चिंग व एरिया डोमिनेशन पर निकलने से पहले सुरक्षा बल के जवान कैंप के पांच किलोमीटर की रेडियस की निगरानी करते हैं. उसके बाद जवान ऑपरेशन के लिए रवाना होते हैं. ड्रोन कैमरों की मदद से हाई क्वालिटी की तस्वीरों के साथ सुरक्षाबलों को रूट मैप बनाने की भी सुविधा मिलती है. पुलिस अफसरों के अनुसार माओवाद प्रभावित इलाकों में एंटी नक्सल ऑपरेशन चलाना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, क्योंकि जंगल के अंदर माओवादियों का पूरा नियंत्रण है. यही कारण है कि यूएवी का उपयोग नक्सलियों की उपस्थिति और उनकी संख्या की जानकारी लेने के लिए किया जाता रहा है.हालांकि आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि किसी अधिकारी ने अब तक नहीं की है. 

 ड्रोन कैमरों की खूब सहायता मिल रही है सुरक्षाबलों को

सुकमा...नक्सल मोर्चे पर साल 2024 सुरक्षाबलों के लिए सबसे सफल रहा है. बस्तर के नक्सलवाद इतिहास में अब तक सबसे ज्यादा नुकसान माओवादी संगठन का उठाना पड़ा है. इसके पीछे सरकार की नियत और इच्छा शक्ति बड़ा कारण रही है वहीं सुरक्षाबलों की बदली रणनीति ने माओवादियों के सबसे महफूज कहे जाने वाले ठिकानों को ही नेस्तनाबूत कर दिया. जमीनी स्तर पर  माओवादियों को घेरने के साथ सुरक्षाबलों द्वारा आसमान से भी नजर रखी जा रही है.बीते एक साल में जिस तरह माओवादियों को मार गिराने में सुरक्षाबलों को सफलता मिली है. इसमें ड्रोन कैमरों की बड़ी भूमिका रही है. सड़क के साथ आसमान से भी माओवादियों पर नजर रखी जा रही है. इसी का परिणाम है कि आज बस्तर में माओवादियों के लिए ऐसा कोई इलाका नहीं बचा है जहां वे अपने आपको सुरक्षित मानते हैं. 

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