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This Article is From Jan 08, 2025

CG News: सरकारी आवासीय हॉस्टल में नाबालिग छात्रा बनी मां! लोक लाज में नवजात को फेंका, कलेक्टर ने उठाया ये कदम

Korba News: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले की एक सरकारी स्कूल के छात्रावास में एक छात्रा ने बच्ची को जन्म दिया है. यह घटना छात्रावासों में बच्चों की सुरक्षा और निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े करती है.

CG News: सरकारी आवासीय हॉस्टल में नाबालिग छात्रा बनी मां! लोक लाज में नवजात को फेंका, कलेक्टर ने उठाया ये कदम
कोरबा:

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में एक सरकारी आवासीय विद्यालय में 11वीं कक्षा की छात्रा द्वारा बच्ची को जन्म देने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. इस घटना के बाद, स्कूल की अधीक्षक जय कुमारी रात्रे को लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिया गया है. मामला आदिवासी विकास विभाग द्वारा संचालित आवासीय विद्यालय से जुड़ा है, जहां यह घटना मंगलवार को उजागर हुई. अधिकारियों के अनुसार, छात्रा ने गर्भावस्था के सातवें या आठवें महीने में बच्ची को जन्म दिया है.

छात्रा ने अस्पताल में स्वीकारा

इस मामले में सबसे दुखद बात ये है कि किशोरी ने ये स्वीकार किया कि बच्चा उसी का है, लेकिन उसने बच्ची को जन्म देने के बाद क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए नवजात बच्ची को  शौचालय की खिड़की के बाहर फेंक दिया. जिसकी वजह से नवजात की स्थिति गंभीर बताई जा रही है. कोरबा मेडिकल कॉलेज में बाल चिकित्सक डॉ. राकेश वर्मा ने बताया कि बच्ची को गंभीर नवजात शिशु देखभाल वार्ड में भर्ती कराया गया है, जहां उसके बाएं फेफड़े पर चोट के निशान पाए गए हैं.

घटना कैसे आई सामने?

दरअसल, सोमवार रात छात्रा ने तबीयत खराब होने की शिकायत की, जिससे छात्रावास की अन्य छात्राओं ने अधीक्षक को सूचित किया. अधीक्षक के अनुसार, नवजात बच्ची की रोने की आवाज सुनने के बाद जांच की गई, तो बच्ची को शौचालय की खिड़की के बाहर पाया गया. छात्रा ने अस्पताल में स्वीकार किया कि उसने बच्ची को जन्म दिया और बाद में बच्ची को खिड़की से फेंक दिया.

प्रशासन ने दिए जांच के आदेश

कोरबा के जिलाधिकारी अजीत वसंत ने छात्रावास की अधीक्षक को छात्रा की गर्भावस्था का पता लगाने में विफल रहने पर निलंबित कर दिया है. इसके साथ ही उन्होंने स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग को मामले की गहन जांच के आदेश दिए हैं.

घटना से सुरक्षा और निगरानी पर उठे सवाल

यह घटना छात्रावासों में बच्चों की सुरक्षा और निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े करती है. गर्भावस्था जैसी स्थिति का लंबे समय तक किसी के संज्ञान में न आना प्रशासनिक और स्वास्थ्य व्यवस्था की विफलता को दर्शाता है.

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नवजात की स्थिति पर ध्यान आवश्यक

नवजात बच्ची की हालत गंभीर है और विशेषज्ञ उसकी स्थिति पर नजर रखे हुए हैं. यह मामला न केवल छात्रावासों की निगरानी प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करता है, बल्कि छात्राओं की मानसिक और शारीरिक सुरक्षा के प्रति प्रशासन की जिम्मेदारी को भी उजागर करता है. इस घटना ने समाज और प्रशासन को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि बच्चों के अधिकार और उनके संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है.

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