![बताइए मध्य भारत का सबसे बड़ा स्टेडियम है लेकिन पीने का पानी नहीं... आखिर कौन है इसका जिम्मेदार बताइए मध्य भारत का सबसे बड़ा स्टेडियम है लेकिन पीने का पानी नहीं... आखिर कौन है इसका जिम्मेदार](https://c.ndtvimg.com/2024-06/m5fr777_seoni_625x300_18_June_24.jpg?im=FitAndFill,algorithm=dnn,width=773,height=435)
Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नया रायपुर (New Raipur) के परसदा गांव में ही मध्य भारत का सबसे बड़ा इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम (International Cricket Stadium) बनाया गया है. बीएसएफ का बेस कैंप समेत तमाम सरकारी प्रोजेक्ट इस गांव की जमीनें अधिग्रहित कर पूरे किए गए हैं. कुछ बड़े प्रोजेक्ट पर काम भी किया जा रहा है. नया रायपुर के विकास की नीति और कार्य योजना को पूरे देशभर में प्रचारित किया जाता है. इसी क्षेत्र के परसदा गांव में एक साल पहले सरकार की हर घर नल-जल योजना के तहत कनेक्शन तो लग गए हैं, लेकिन नलों में पानी अब तक नहीं पहुंचा है.
हैरान करती है परसदा गांव की जमीनी हकीकत
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजधानी रायपुर में चमचमाती सड़कें, गगनचुंबी इमारतें और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के संस्थानों की बड़ी-बड़ी बिल्डिंग देशभर में छत्तीसगढ़ के विकास का रोल मॉडल हैं. इन्हें दिखाकर सरकारें खूब वाहवाही लूटती हैं. लेकिन जिन गांवों की जमीनें अधिग्रहित कर नया रायपुर बसाया गया हैं, उन्हीं में से एक परसदा गांव की जमीनी हकीकत हैरान करती हैं.
शुद्ध पीने का पानी ना मिलने से लोग पड़ रहे हैं बीमार
परसदा गांव में सुमित्रा चन्द्राकर के घर के बाहर लगे नल कनेक्शन के आस-पास गोबर के उपले सूख रहे हैं. हमने जब उनसे पूछा तो वो कहती हैं- एक साल पहले पंचायत के लोगों ने लगवाया है, लेकिन अब तक पानी नहीं आया. पूरे गांव में सरकार की योजना के तहत पानी की सप्लाई अब तक नहीं की जा सकी है. गांव के ही लक्ष्मण चन्द्राकर कहते हैं कि गांव में कुछ लाेगों के घरों में बोर है उन्हीं के यहां से पूरे गांव के लोग पीने का पानी लेते हैं. अन्य जरूरी कार्यों के लिए तालाब के पानी पर निर्भर हैं. शुद्ध पानी नहीं मिलने के कारण कई लोग बीमार पड़ते हैं.
गांव में सड़क के बीच में ही है अस्थाई नाली
किसान नेता व परसदा गांव के वरिष्ठ नागरिक रुपन लाल चन्द्राकर कहते हैं कि नया रायपुर में विकास की हकीकत जाननी है तो हमारे गांव में आ जाइये. तमाम सरकारी दावों की पोल खुल जाएगी. गांव में सड़क के बीच में ही अस्थाई नाली बना दी गई है. गांव में पक्की सड़क नहीं है. जमीन अधिग्रहण के बाद मिली राशि ग्रामीणों ने चिटफंड कंपनियों में पैसा दोगुना होने की लालच में लगा दी, जो अब डूब चूका है. न सरकार ध्यान देती है और न ही नेता. आलम तो यह है कि पहले जिस जमीन के मालिक थे, अब उसी जमीन पर ग्रामीण मजदूरी कर रहे हैं. गांव के पंच लीलाराम निषाद कहते हैं कि नल-जल योजना के लिए पाइप बिछाने के लिए जो पैसे आए, उसमें भ्रष्टाचार किया गया, जिसके चलते पानी की सप्लाई अब तक नहीं हो पाई है. कई बार शिकायत भी किए, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई. गांव का हाल बुरा है.
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