CG Panchayat Elections: 1 दिसंबर 2024 के अंतिम दिनों में मध्य प्रदेश का पिथमपुर पूरे राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहा. भोपाल गैस त्रासदी का कचरा पीथमपुर में जलाए जाने का जमकर विरोध हो रहा था. दिसंबर से जनवरी आते ही अब एक और पिथमपुर चर्चा में आ गया है. अब चर्चा में है छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के नवागढ़ जनपद क्षेत्र का पिथमपुर गांव. यह गांव इसलिए चर्चा में है क्योंकि ग्राम पंचायत पीथमपुर को अनुसूचित जनजाति महिला सीट का दर्जा प्राप्त हुआ है जबकि इस गांव में ST वर्ग का कोई मतदाता नहीं है. पिथमपुर के ग्रामीणों का दावा है कि करीब 1360 मतदाताओं वाले उनके गांव में अनुसूचित जनजाति वर्ग का कोई भी मतदाता नहीं है. गांव की जनसंख्या करीब 3800 है, जिसमें 98 प्रतिशत ओबीसी वर्ग के लोग हैं. बावजूद इसके सरपंच पद अनुसूचित जनजाति महिला के लिए आरक्षित कर दिया गया है. चुनाव से पहले अब आरक्षण को लेकर फिर से विचार करने की मांग की जा रही है.
ग्रामीण आशुतोष ने NDTV को बताया हमारे गांव को सरकार ने आदिवासी सीट बना दिया, पता नहीं क्यों? उन्होंने कहा कि यदि यकीन न हो तो सरकार का कोई प्रतिनिधि गांव में आकर देख ले कि यहां कोई आदिवासी शख्स है या नहीं. इसी तरह से इसी गांव के रोहिणी कुमार साहू कहते हैं कि सरकार के इस कदम से हमारे गांव में आक्रोश है. ग्रामीण बिहारी लाल साहू कहते हैं कि हमारे गांव में इतने दिन से कोई आरक्षण नहीं था. हम लोग कलेक्टर साहब से निवेदन करेंगे कि हमारे गांव में जो आरक्षण लगाया गया है उसको वापस लें. इसको एसटी आरक्षण से हटाकर ओबीसी आरक्षण कर दिया जाए, ताकि हम लोग अपना सरपंच चुन सकें.
वैसे आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ के गांवों में सरपंच पद आरक्षण के बाद प्रत्याशी न मिलना कोई पहला मामला नहीं है. सरपंच प्रत्याशी नहीं मिलने पर पंचायत किस व्यवस्था में चलती है, उसके बारे में भी हम बताएंगे, लेकिन उससे त्रिस्तरीय पंचयत को लेकर ये अहम जानकारियां जान लीजिए...
आरक्षण पर कांग्रेस हमलावर, बीजेपी का पलटवार
पंचायत चुनाव से पहले सरपंच ही नहीं जिला पंचायत अध्यक्ष के पदों पर आरक्षण को लेकर भी सियासत तेज है. राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री व पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट कर आरक्षण पर फिर से विचार करने की मांग की. कांग्रेस के नेता भी आरक्षण को लेकर सत्ताधारी दल बीजेपी पर हमलावर हैं. छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का कहना है कि नगरीय निकाय व त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षित वर्ग के आरक्षण में कटौती की गई है. बीजेपी आरक्षण विरोधी है और इसका नुकसान आरक्षित वर्ग को हो रहा है. दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने भी इस मसले पर कांग्रेस पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा-
आरक्षण की पूरी प्रक्रिया नियमानुसार हुई है और अनुसूचित जनजाति को शहर व गांव में जनसंख्या के आधार पर ही आरक्षण मिला है.
बहरहाल नगरीय निकाय व पंचायत चुनावों के ऐलान से पहले आरक्षण को लेकर प्रदेश में राजनीति तेज है. जांजगीर का पिथमपुर गांव उदाहरण है कि आरक्षण की प्रक्रिया में कहीं कोई कमी रह गई, अब देखने वाली बात होगी कि आगे सरकार इसपर क्या रुख अपनाती है.
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