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Cataract Operation Scandal : अंधेरे में डूबी जिंदगी, न रोशनी लौटी न मिला मुआवजा, झकझोर देगी इनकी कहानी 

Cataract operation scandal: जिन आंखों से सुंदर जहान को देखने की इच्छा थी, उन आंखों में अंधेरा ही अंधेरा है. दंतेवाड़ा में जिन लोगों के आंखों की रोशनी गई उनकी न रोशनी लौटी और न मुआवजा मिला. NDTV की टीम उन मरीजों के घर पहुंची और बातचीत की जिन्होंने मोतियाबिंद ऑपरेशन कांड का दंश झेला है. इन लोगों ने अपनी जो कहानी बताई उसे सुनकर हर किसी का कलेजा कांप उठेगा..  आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है ?

Cataract Operation Scandal : अंधेरे में डूबी जिंदगी, न रोशनी लौटी न मिला मुआवजा, झकझोर देगी इनकी कहानी 

Dantewada District Hospital Cataract operation scandal Case: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में 24 अक्टूबर को हुए मोतियाबिंद के ऑपरेशन ने मरीजों की आंखों की रोशनी ही छीन ली. 17 मरीजों को आंखों से बिल्कुल नहीं दिख रहा है. जिस आंख का ऑपरेशन हुआ था, उससे तो दिखता ही नहीं अब बची दूसरी आंख की भी लगातार रोशनी कम हो रही है. मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद इन मरीजों की दुनिया ही रंगहीन हो गई है. इन मरीजों को जिला प्रशासन से कोई मदद भी नहीं दी गई.

मरीजों का कहना है कि शुरूआत में स्वास्थ्य विभाग की टीम आती थी, अब कोई नहीं आता है. NDTV की टीम ऐसे मरीजों के घर जा कर पड़ताल की.उन्होंने साफ कहा बुढ़ापे में आंख को ही छीन लिया है. अब बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. 

सरकार से मुआवजा तो दूर की कौड़ी, कोई देखने तक नहीं आता है. इधर अधिकारी दावा कर रहे हैं कि सिर्फ तीन की ही रोशनी गई है. सच तो ये है पड़ताल में छह मरीजों से मिले सभी की ऑपरेशन कराई आंखों की रोशनी जा चुकी है. 17 मरीजों में एक ओडिशा का था. बताया यह जा रहा है उसकी भी आंख से कुछ नहीं दिख रहा है. मरीजों का कहना है कि जितने लोग रायपुर गए थे, उन सभी की आंख खराब हुई है.

जिला अस्पताल की ओटी बंद, जगदलपुर में हो रहे ऑपरेशन

अक्टूबर 2024 में करीब 33 मरीजों का मोतिया बिंद का ऑपरेशन हुआ था. इसमें 17 मरीजों को इंफेक्शन हुआ था. दावा किया था फंगल इंफेक्शन की वजह से केस बिगड़े थे. इसमें नेत्ररोग विशेषज्ञ पर जांच टीम ने निलंबन की कार्रवाई की थी. साथ ही डिपार्टमेंटल इंक्वारी बैठाई थी. फिलहाल वे अभी भी सस्पेंड हैं. अधिकारी दावा कर रहे हैं कि लगातार ऑपरेशन चल रहे हैं, लेकिन ये सभी ऑपरेशन जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में में हो रहे हैं. 

मोतिया बिंद कांड के बाद आई ओटी आज तक बंद है. बताया जा रहा है यह बनकर तैयार हो गई है लेकिन उपकरणों की खरीदी नहीं होने के चलते जिला अस्पताल में ऑपरेशन नहीं हो रहे हैं.

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आंख की रोशनी क्या गई, जिंदगी में ही अंधेरा हो गया

बिंजाम भट्टीपारा की रहनी वाली सुगोबाई (60) नेताम बताती हैं कि दो बेटे हैं, एक अलग रहता है, वह पुलिस में है. दूसरा बेटा है, उसकी शादी नहीं हुई है. अब खाना तक नहीं बना पा रही हूं. मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद एक आंख की पूरी तरह से रोशनी चली गई. दूसरी आंख से भी नहीं दिखता है. किसी तरह सिर्फ खाना बना पा रही हूं. पहले तो खेती-बाड़ी भी देखती थी. बेटा काम से चला गया तो पूरा घर का काम कर लेती थी.आंख की रोशनी क्या गई, जिंदगी में ही अंधेरा हो गया है.

नाती-पोतों को खिलाने की चाह थी

बिंजाम गांव की रहने वाली हिरदेयी नाग रुंदे हुए गले से कहती है मुझे कौन खाना देगा? जब मैं घर में ही रहती हूं. अब मुझसे खेती-बाड़ी का कोई काम नहीं होता है. मितानिन आई थी, वह बोली आंख का ऑपरेशन करवा देगें, साफ दिखने लगेगा. मुझे नहीं पता था जो दिखता है, वह भी नहीं दिखेगा. बेटी है वह मजदूरी कर खाना खिला रही है. नाती पोतों को भी नहीं देख पा रही है, उनके साथ खेलने की और खिलाने की चाह थी. आंख के ऑपरेशन के बाद यह सपना भी चकनाचूर हो गया.
हिरदेयी की बहू मीना नाग कहती है अब सास घर से नहीं निकल पाती हैं. मितानिन बोली जिला अस्पताल में शिविर लगा है. आंख का ऑपरेशन होगा. मैं तो उस दौरान घर में नहीं थी. मितानिन ही लेकर गई थी. एक आंख ही रोशनी तो पूरी चली गई. दूसरी आंख से बिल्कुल नहीं दिखता है. दूसरी आंख से भी दिखना कम हो गया. पहले सबकुछ करती थी अब कुछ नही करपाती है. नती-पोतों को नही खिला पाती है. आंख से दिखता ही नहीं है. पहले बच्चों को लेकर जाती थी. हाट बाजार भी करती थी. जीवन में कुछ नही बचा.

अब न खाना बना पाती हूं न खेत जाती हूं

मैलावाड़ा की रहने वाली सनमती कहती है मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद जिंदगी पूरी तरह से बदल गई हे. अब न खाना बना पाती हूं और न खेतों में जा पा रही हूं. बेटी ही देख-रेख करती है. मैं तो परिवार पर बोझ बन गई हूं. जिला अस्पताल में ऑपरेशन हुआ था. अस्पताल में ही दिखना बंद हो गया था. इसके बाद रायपुर मेकाहारा लेकर गए. वहां तीन बार आंख से झेडख़ानी की गई. इसके बाद भी आंख ठीक नही हुई. अब तो दूसरी आंख से कम दिखता है. मै शाम के बाद घर से बाहर नही निकलती हूं. बेटी पूरा दिन सेवा में लगी रहती है. मै तो अब खुद कुछ कर नही सकती हूं. सरकार की तो बात ही छोड़ दो, ऑपरेशन के बाद कोई कर्मचारी देखने तक नही आया. सरकार मुआबजा क्या देगी?

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एक आंख पर हथेली रखी दूसरे हाथ से इशारा किया न दिखने का

मैलावाड़ा पंचायत की रहने वाली लक्ष्मी नाग अपनी एक आंख पर हथेली रखती हैं और दूसरे हाथ से इशारा करती हैं ऑपरेशन हुई आंख से कुछ नहीं दिखता है. सरकार से मुआवजा तक नहीं मिला. जिला अस्पताल में ऑपरेशन हुआ था. अब न धान काट पाती हूं और न ही रोपा लगा पा रही हूं. दिन में एक आंख के सहारे थोड़ा बहुत काम कर भी लेती हूं, लेकिन शाम होते ही जीवन में अंधेरा छा जाता है. 

मैं ही था घर में कमाने वाला, बेटे की पढ़ाई भी छूट गई

दंतेवाड़ा के रहने वाले अवधेश गुप्ता का कहते हैं कि मेरा तो पूरा परिवार ही तहस नहस हो गया. चाह थी कि आंख सही हो जाएगी तो और अच्छे से काम कर पाऊंगा. यहां तो सब कुछ बर्बाद हो गया है. मंदिर के सामने दुकान चलाता हूं. मांई दंतेश्वरी की फोटो और चुनरी बेचता हूं. इसी से पूरा घर परिवार का भरण-पोषण होता था. अब आंख से कुछ दिखता नहीं है. बड़ा बेटा हाट-बाजार करता था, वह दुकान पर बैठ रहा है. छोटा बेटा 12 वीं में पढ़ रहा है. उसकी पढ़ाई छूट गई है. छोटा बेटा मेरी सेवा में लगा रहता है. मैं एक कदम इधर से उधर नहीं हो सकता हूं.

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 सिर्फ तीन की गई है रोशनी-CMHO

इधर जिला चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी अजय रामटेके ने दावा करते हुए कहा कि अक्टूबर 2024 में मोतियाबिंद के ऑपरेशन हुए थे. इसमें 17 मरीजों को इंफेक्शन हुआ था. तीन की रोशनी गई है. शेष मरीजों की आंख ठीक थी. मुआवजा तो किसी को नहीं दिया गया है.

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