
National Highway 45 : छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश से जोड़ने वाला नेशनल हाईवे-45 मौत का हाईवे बनता जा रहा है. अमरकंटक की तराई से होकर गुजरने वाले इस हाईवे पर अधूरे निर्माण और गहरे गड्ढों ने मुसाफिरों की जान संकट में डाल दी है. जगह-जगह 50-50 मीटर लंबे, 10-10 फीट गहरे गड्ढे खुदे हैं, जिन्हें लावारिस छोड़ दिया गया. NDTV की ग्राउंड रिपोर्ट पार्ट वन में जानें हाईवे के कैसे हैं मौजूदा हाल...और क्या बोले जिम्मेदार...?
बरसात में हालात और बिगड़ने वाले हैं. सबसे डरावनी तस्वीर तब सामने आएगी . जब तेज बारिश में पहाड़ी नाले उफनेंगे और डायवर्सन बह जाएंगे, जिससे अचानकमार टाइगर रिजर्व के अंदर बसे करीब 50 गांव पूरी तरह मुख्यालय से कट जाएंगे.

छत्तीसगढ़ को मध्य प्रदेश से जोड़ने वाली बिलासपुर से जबलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कराया जा रहा है. इस राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण के पीछे केंद्र एवं राज्य शासन की मनसा ये है कि दोनों प्रदेशों में आर्थिक विकास को आपातकालीन सेवाओं की पहुंच सुलभ हो. महत्वपूर्ण शहरों का एक दूसरे से संपर्क हो. इसी उद्देश्य से इस राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण किया जा रहा है.
तीन अलग-अलग ठेकेदार काम कर रहे
छत्तीसगढ़ के अमरकंटक के कबीर चबूतरा केवची- कारीआम-केदा -रतनपुर तक सड़क निर्माणाधीन है. इस सड़क पर राष्ट्रीय राजमार्ग के तीन अलग-अलग ठेकेदार काम कर रहे हैं. यह पूरा इलाका घाटी एवं जंगल का इलाका यहां पहाड़ी नाला सकरी घटिया स्थित हैं. इस स्थान पर काम करने वाले ठेकेदार बिना योजनाबद्ध तरीके से काम कर निर्माण अधूरा छोड़ दिए.
डायवर्शन को हटाकर अस्थाई पुलिया बना दिया

बारिश की शुरुआत हो चुकी है. जगह-जगह इस सड़क पर ठेकेदारों ने लंबी गहरी खाई जैसी सड़क खोद कर छोड़ दिया है. ऐसे में कभी भी कोई घटना यात्रियों के साथ घट सकती है, जिसका खामियाजा आम लोगों (राहगीरों) को भुगतना पड़ सकता है. वहीं, इस सड़क पर कई पहाड़ी नाले भी गुजरते हैं, जिसमें बारिश होने पर असमय ही सड़क पर बने पुल पुलियों पर पानी चढ़ जाता है. ठेकेदारों ने उन पुल पुलियों पर कुछ जगह डायवर्सन बनाया है, तो कुछ जगह डायवर्शन को हटाकर अस्थाई पुलिया बना दिया.
रहवासियों का मानना है कि यह पुलिया अत्यंत खतरनाक है किसी भी समय यह अपनी इस बहा कर ले जाएगी, जिससे क्षेत्र के सैकड़ों गांव अपने विकासखंड और जिला मुख्यालय से कट जाएंगे. यह इलाका अचानक मार टाइगर रिजर्व का प्रवेश द्वार भी है, बाहरी पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है. सड़क के अधूरे निर्माण जानलेवा साबित हो सकते हैं.
NH 45 पर 20 से 50 मीटर लंबे और 10 फीट गहरे लगभग दर्जन भर गड्ढे
केवची कारीआम निर्माणाधीन मार्ग पर जब NDTV की टीम ने 35 किलोमीटर की यात्रा की, तो जगह-जगह 20 से 50 मीटर लंबे और 10 फीट गहरे लगभग दर्जन भर गड्ढे देखने को मिले. गड्ढे इतनी विकराल थे कि जब बारिश में इन पहाड़ी नालों से पानी बहेगा ,तो यह गड्ढे पूरी तरह लबालब भर जाएंगे. ऐसे में बाहरी यात्री जिन्हें, इस बात का भान नहीं होगा कि कहीं इस मार्ग पर गड्ढे भी खुले होंगे? तो वह आसामयिक घटना का शिकार हो सकते हैं. एनडीटीवी ने जब मौके पर रुककर गड्ढों की पड़ताल की, तो पाया कि गड्ढे इतने गहरे हैं कि पूरा का पूरा आदमी और उसके ऊपर 2 फीट और जगह खाली बचती है.
इसी केवची कारीआम मार्ग पर जो जंगली रास्ता है, जहां अमरकंटक की तराइयों का पानी पहाड़ियों से उतरता है, और सड़क को पार करते हुए दूसरी ओर चला जाता है. इस मार्ग पर ठेकेदारों ने कुछ जगह डायवर्सन बनाया है, तो कुछ जगह डायवर्सन तोड़कर वापस उसी जगह पुलिया तैयार की है. पुलिया इतनी निम्न स्तर की अस्थाई रूप से बनाई गई है कि अगर पहाड़ी नाल अपनी वेग से निकलेगा, तो पूरी सड़क बह जाएगी. ऐसे में विकासखंड मुख्यालय और जिला मुख्यालय से अचानकमार टाइगर रिजर्व के अंदर रहने वाले 18 गांव और कबीर चबूतरा क्यों चीज सहित अन्य दर्जन भरगावों का संपर्क विकासखंड मुख्यालय जिला मुख्यालय से टूट जाएगा...
एक बड़ा पुल तोड़कर डायवर्सन बनाया
निर्माणाधीन राष्ट्रीय राजमार्ग पर ठेकेदारों की लापरवाही यहीं पर नहीं रुकती, कारीआम - जोगीसार गांव के पास ठेकेदार ने एक बड़ा पुल तोड़कर डायवर्सन बनाया है, जिस पुलियों को तोड़ा है, वहां किसी प्रकार का कोई आईडेंटिफिकेशन दिशा सूचक नहीं लगाया है कि मार्ग डायवर्ट किया गया है. साथ ही जो डायवर्सन बनाया गया. वह जमीन से इतना सटा हुआ है कि पहली ही बारिश में यह डायवर्सन जलमग्न हो जाएगा. ये रास्ता बंद हो जाएगा.
बारिश में नाला बह जाएगा. ऐसे में वहां रहने वाले रहवासी अपने दैनिक दिनचर्या के लिए विकासखंड मुख्यालय जाने से वंचित हो जाएंगे. यहां रहने वाले ठाकुर प्रसाद का कहना है कि ठेकेदारों को जो काम पहले करना था, उसे बाद में कर रहे हैं, जो काम बाद में करना था, उसे पहले कर रहे हैं. ऐसे में ऐसी समस्याओं का सामना हम रहवासियों को करना पड़ेगा.
फिर क्यों कर रहे डामरीकरण?
ठेकेदारों की एक और लापरवाही सामने आई है. बताया यह जाता है कि 15 जून के बाद सड़क पर टायरिंग /डामरीकरण का काम नहीं किया जाता, ऐसा इसलिए किया जाता है कि 15 जून के बाद बारिश की शुरुआत होती है. बारिश के दिनों में किए जाने वाला डामरीकरण का काम स्थाई नहीं होता. ऐसे में जब एनडीटीवी की टीम इस सड़क की पड़ताल करने आगे बढ़ रही थी, तो उन्हें कार्य के ठीक पहले डामरीकरण का काम 20 जून को जब बादल की काली घटाएं घिरी हुई थी, और बारिश की बूंदे गिर रही थी. मौके पर विभागीय इंजीनियर या अधिकारी तो नहीं मिले पर ठेकेदारों के साइड इंचार्ज जरूर मिले. उनसे पूछा गया कि आप टॉय रिंग का काम कर रहे हैं. विभागीय अधिकारी कहां है? तो उनके द्वारा कहा गया कि वह समय-समय पर आते हैं. हमेशा खड़े रहकर काम नहीं करते. हमने उनसे यह भी पूछा की बारिश हो रही है और आप फायरिंग कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि फोरकास्ट (वेदर कंडीशन) देखकर हम हम टॉयरिंग का काम कर रहे हैं....
छोटे वाहन भी बड़े सावधानी से चलाना पड़ता है
अविनाश सिंह (क्वालिटी इंजीनियर श्याम इंफ्रा ठेका कंपनी राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 45) से भी बात की गई. इसी राष्ट्रीय राजमार्ग में बिलासपुर की ओर बढ़ते बंजारी घाट पड़ता हैं. यह घाट काफी घुमावदार एवं जंगली है, जहां भारी वाहनों को चढ़ने में काफी दिक्कत होती है. वहीं, छोटे वाहन भी बड़े सावधानी से चलाना पड़ता है. इस घाट पर काफी गहरी गड्ढे हो गए हैं. राष्ट्रीय राजमार्ग के ठेकेदारों को इन घाट पर भी काम करना था. पर इन्होंने यहां पर कोई भी काम नहीं किया. नतीजा इन गड्ढों पर यात्रियों को आने-जाने में काफी दिक्कत होती है. आपको बता दें, गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला सहित बैकुंठपुर कोरिया सोनहत जिला में आपदा की स्थिति पर मैरिज बिलासपुर मेडिकल कॉलेज और रायपुर रिफर किया जाते हैं, जो इसी मार्ग पर होकर गुजरते हैं. अब ऐसी स्थिति में जहां समान रूप से चलना कठिन होता है. मरीजों को व्यक्ति कैसे ले जाएगा?
मामले में एनडीटीवी ने राष्ट्रीय राजमार्ग के कार्यपालन अभियंता नितेश कुमार तिवारी से बातचीत करना चाहा, तो उन्होंने फील्ड में आकर बात करने की बात कही.... और जब हमने कहा कब फील्ड आएंगे, तो कहा पता नहीं जब आएंगे?
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