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सरेंडर कर पति-पत्नी नक्सलियों से लेते थे लोहा, मुठभेड़ में सन्नू शहीद, CM बोले- बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा

NDTV Exclusive: : छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में जहां चार नक्सली ढेर हुए हैं.इस मुठभेड़ में एक जवान की भी शहादत हुई है.शहीद होने वाला हेड कांस्टेबल सन्नू कारम  पहले नक्सली संगठन में था.लेकिन कुछ साल पहले ही पुलिस के सामने हथियार डाल अपनी दो पत्नियों के साथ सरेंडर कर दिया था.इसके बाद दंतेवाड़ा डीआरजी में शामिल होकर नक्सलियों के खिलाफ हथियार उठाया था. 

सरेंडर कर पति-पत्नी नक्सलियों से लेते थे लोहा, मुठभेड़ में सन्नू शहीद, CM बोले- बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा
शहीद हेड कांस्टेबल सन्नू कारम.

Abujhmad Police-Naxalites Encounter:  छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में एक हेड कांस्टेबल की शहादत हुई है.शहीद हेड कांस्टेबल सन्नू कारम पहले नक्सली रहा है. इसने दंतेवाड़ा पुलिस के सामने अपनी पत्नियों के साथ सरेंडर किया था. इसने नक्सल अभियान में पुलिस को कई सफलता दिलाई थी. साथी जवान बताते हैं कि सरेंडर के बाद वो बहुत खुश था और कहता था कि मरना तो एक दिन सभी को है.अब देश सेवा के लिए मरुंगा तो खुश नसीबी होगी.सभी का हौसला बढ़ाता था. इधर सीएम विष्णु देव साय ने कहा कि सन्नू के शहीद होने की सूचना मिली है.उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा. 

दरअसल पुलिस को सूचना मिली थी कि अबूझमाड़ के जंगल में नक्सलियों का डेरा है.दंतेवाड़ा सहित 4 जिलों से करीब 1000 जवानों की टीम को भेजा गया.दंतेवाड़ा की डीआरजी टीम में हेड कांस्टेबल सन्नू कारम भी था. नक्सलियों से हुई मुठभेड़ में गोली लगी और उनकी शहादत हो गई. 

सन्नू की शहादत पर सीएम विष्णु देव साय ने कहा कि सन्नू कारम के शहीद होने की सूचना मिली है.उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा. नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षाबल के जवान मजबूती के साथ लड़ाई लड़ रहे हैं.नक्सलियों के खात्मे तक ये लड़ाई जारी रहेगी.  

सरेंडर के बाद पुलिस ने खुलवाई थी नसबंदी 

सन्नू बीजापुर इलाके के एक गांव का रहने वाला है.उसने 7-8 साल पहले दंतेवाड़ा पुलिस के सामने सरेंडर किया था. इसने सरेंडर का कारण बताया था कि वह खुशहाल जीवन जीना चाहता था. अपना घर बसाना चाहता था, लेकिन नक्सली ऐसा होने नहीं दे रहे थे.ऐसे  में उसने सरेंडर करने का मन बनाया. नक्सलियों से छिपते-छिपाते दूसरी पत्नी को लेकर दंतेवाड़ा पहुंचा और सरेंडर किया था. 

सन्नू की पहली पत्नी सुशीला भी नक्सली संगठन में थी. सन्नू के बाद उसने भी दंतेवाड़ा आकर सरेंडर किया.सन्नू अपनी दोनों पत्नियों के साथ दंतेवाड़ा में रह रहा था.पुलिस ने उसकी नसबंदी खुलवाई और वह पिता भी बन गया था.सन्नू और उसकी पत्नी सुशीला दोनों ही दंतेवाड़ा डीआरजी में गोपनीय सैनिक के रूप में काम कर रहे थे. 

नक्सल अभियान में दिलाई है सफलता

सन्नू की पत्नी सुशीला भी डीआरजी की महिला टीम में है.दोनों ही पति-पत्नी साथी जवानों के साथ नक्सल अभियान में जाते हैं और नक्सलियों के खिलाफ लोहा लेते हैं.साथी जवान बताते हैं कि सन्नू ने नक्सल अभियान में पुलिस को काफी सफलता दिलाई है. नक्सलियों को ढेर भी किया था.ऐसे में उसे आउट ऑफ टर्न  में दो बार प्रमोशन मिला और वह अब हेड कांस्टेबल बन गया था. लेकिन अब शनिवार को अबूझमाड़ में नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ में गोली लगने से सन्नू की शहादत हो गई. 

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साथी जवानों ने बताई ये बात 

सन्नू के साथ डीआरजी की टीम में काम करने वाले जवानों ने बताया कि सन्नू नक्सल संगठन छोड़ने के बाद बहुत खुश था.वो अक्सर कहता था बस्तर में शान्ति लाने की ज़िम्मेदारी हमारे कंधो पर है.अब देश सेवा के लिए मरूंगा तब भी कोई गम नहीं है.जंग के मैदान में आगे रहकर काम करता था. सभी का हौसला बढ़ाता था. 

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