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चुनावी रण में आमने-सामने हुए भाई! BJP ने रजनीश पर खेला दांव, कांग्रेस का भरोसा रविश, मुकाबला बेहद रोचक 

Nagar Panchayat Election: छत्तीसगढ़ के गीदम नगर पंचायत में चुनाव बेहद रोचक होने वाला है. यहां दो भाइयों के बीच कांटे की जबरदस्त टक्कर होगी. 

चुनावी रण में आमने-सामने हुए भाई! BJP ने रजनीश पर खेला दांव, कांग्रेस का भरोसा रविश, मुकाबला बेहद रोचक 

Nagar Panchayat Election 2025: छत्तीसगढ़ में निकाय चुनाव हैं. इसके लिए कांग्रेस और बीजेपी इन दोनों ही पार्टियों ने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है. इस बार कई जगहों में चुनाव बेहद दिलचस्प होने जा रहा है. इनमें से एक दंतेवाड़ा जिले के गीदम नगर पंचायत भी है. यहां दो चचेरे भाइयों के बीच कड़ा और रोचक मुकाबला होने वाला है. इस  नगर पंचायत से कांग्रेस ने रविश सुराना पर एक बार फिर से भरोसा जताकर उन्हें मैदान में उतारा है तो इस बार बीजेपी ने रविश के भाई रजनीश पर बड़ा दांव खेला है.

बेहद दिलचस्प होगा मुकाबला

प्रदेश में शहर से लेकर गांव तक चुनावी सरगर्मी है. घर, बाहर, बाजार, दुकानों से लेकर हर जगह सिर्फ चुनाव पर चर्चा हो रही है. अब प्रत्याशियों की घोषणा होने के बाद कई जगह मुकाबला बेहद दिलचस्प होता दिख रहा है. दंतेवाड़ा की गीदम नगर पंचायत में इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प है.

यहां दो चचेरे भाइयों के बीच कांटे की टक्कर है. कांग्रेस ने रविश सुराना को मैदान में उतारा है तो वहीं बीजेपी ने रविश के बड़े पिताजी के बेटे यानि रविश के भाई रजनीश सुराना पर दांव खेल दिया है. दोनों ही युवा चेहरा हैं. पॉलिटिकल बैकग्राउंड भी बेहद स्ट्रांग है. 

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पत्नी रही है अध्यक्ष

कांग्रेस के प्रत्याशी रविश की पत्नी साक्षी सुराना 2019 के चुनाव में नगर पंचायत का चुनाव जीती थीं. पार्टी ने इस बार रविश को टिकट दिया है. 5 सालों के कार्यकाल में कई सारे काम किए हैं. इनके  कामों से शहर की जनता कितनी खुश है  इस चुनाव में जनता जवाब देगी. रविश का परिवार लंबे सालों से कांग्रेस पार्टी से जुड़ा रहा है.

वे खुद समाज सेवा के कामों में बढ़-चढ़कर आगे रहते हैं. साल 2014 को हुए चुनाव में उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था. लेकिन हार का सामना करना पड़ा था. 2019 को हुए चुनाव में पत्नी को कांग्रेस की टिकट से मैदान में उतारा था. इसमें इन्हें जीत मिली थी. 

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व्यापारी संघ के रहे हैं अध्यक्ष

इधर बीजेपी के प्रत्याशी रजनीश सुराना की बात करें तो वे भी पार्टी के लिए मजबूत युवा चेहरा हैं. उनकी मां राधा सुराना पंच से लेकर 3 बार पार्षद बन चुकी थीं. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनके परिवार की पकड़ लोगों के बीच कितनी मजबूत है. बड़े भाई मनीष सुराना जिला पंचायत के उपाध्यक्ष रह चुके हैं.

इनकी भाभी हारम ग्राम पंचायत की सरपंच हैं. रजनीश खुद व्यापारी संघ के अध्यक्ष रहे हैं. इनका भी पॉलिटिकल और सामाजिक बैक ग्राउंड बहुत मजबूत है.

ये भी युवा चेहरा हैं. सामाजिक कामों में अक्सर आगे रहते हैं. इनकी सक्रियता को देखते हुए पार्टी ने इस बार इन्हें टिकट दिया है. अब देखना ये होगा कि ये भाई अपनी पार्टियों के भरोसे पर कितना खरा उतरते हैं. शहर की जनता अध्यक्ष पद की सीट पर किस भाई को बैठाती है? 

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