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अधूरा रह गया लक्ष्य... माउंट एवरेस्ट फतह करने से पहले ही छत्तीसगढ़ के लाल ने तोड़ा दम, पुलिस में शोक

Mount Everest climbing: पर्वतारोहण का शौक रखने वाले बंशी लाल नेताम अपनी ट्रेनी तीन आदिवासी बेटियों के साथ माउंट एवरेस्ट की फतह कर अपना लक्ष्य पूरा करना चाहते थे. जिसकी ऊंचाई 8848 मीटर है. बंशीलाल 6400 मीटर की ऊंचाई तक ही पहुंच पाए थे. उनकी सोच थी कि पहली बार नक्सलगढ़ बस्तर की आदिवासी बेटियां (Tribal Girls) फतह करें. लेकिन उनकी यह इच्छा अधूरी रह गई.

अधूरा रह गया लक्ष्य... माउंट एवरेस्ट फतह करने से पहले ही छत्तीसगढ़ के लाल ने तोड़ा दम, पुलिस में शोक

Indian Climber Rescued From Mount Everest Dies: माउंट एवरेस्ट फतह का लक्ष्य रखने वाले कांकेर छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के एथलीट (Athlete), पर्वतारोही (Mountaineer), बाइक राइडर (Bike Rider) और पुलिस कमांडो ट्रेनर (Police Commando Trainer) बंशीलाल नेताम (Banshilal Netam) का निधन हो गया है. बंशीलाल माउंट एवरेस्ट में हादसे का शिकार (Accident at Mount Everest) हो गए थे. उनका इलाज नेपाल के काठमांडू में स्थित अस्पताल में चल रहा था. जहां उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई. चार दिन बाद आज उनका शव नेपाल से कांकेर लाया गया. बंशी लाल की अंतिम विदाई में जहां हजारों की संख्या में पहुंचे लोगों की आंखे नम थीं, तो वहीं पुलिस विभाग (Police Department) ने भी अपने वीर को श्रद्धांजलि देकर अंतिम विदाई दी. उनका अंतिम संस्कार उन्हें गृह ग्राम सिलतरा में किया गया.

कांकेर पहुंचने पर सर्वप्रथम कानापोड में पुलिस विभाग और आस-पास के हजारों की संख्या में पहुंचे ग्रामीणों ने श्रदांजलि दी. यह वही ग्राउंड था जहाँ वह आदिवासी बच्चो को निःशुल्क प्रशिक्षण देते थे. सैकड़ो बच्चो ने नारे लगाते हुए अपने गुरु के उसी ग्राउंड में उनके शव के साथ चक्कर लागया. गौरतलब हो बंशीलाल नेताम कांकेर क्षेत्र के बच्चो को निःशुल्क खेलो को लेकर प्रशिक्षण देते थे. उनके प्रशिक्षित बच्चे खेल क्षेत्र में कई रिकार्ड कायम किए थे. यही नही अग्निवीर, पुलिस विभाग और आर्मी में चयन हुए है. उनके मौत से क्षेत्र के मातम पसर गया है. बच्चो ने अपने गुरु को श्रद्धांजलि देकर अंतिम विदाई दी.

पुलिस विभाग में थे पदस्थ

बंशीलाल नेताम कांकेर पुलिस विभाग में आरक्षक के रूप में पदस्थ थे. उन्होंने साल 2006 में पुलिस विभाग में बतौर PTI के पद पर अपनी पहली पोस्टिंग बीजपुर में ली. साल 2019 में वह बीजापुर से ट्रासंफर होकर कांकेर पहुंचे. यहां रहकर उन्होंने अपने सपनों को रंग देना शुरू किया था.

माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई के दौरान बिगड़ी थी तबियत

बंशीलाल अप्रैल महीने में माउंट एवरेस्ट फतह करने निकले थे. इस दौरान 20 मई को उनकी अचानक तबियत बिगड़ी. तब तक उन्होंने 6400 मीटर चढ़ाई कर ली थी. 21 मई को उन्हें नेपाल के काठमांडू के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 1 सप्ताह बाद उनकी नेपाल में ही उपचार के दौरान मौत हो गई.

World Record में दर्ज है नाम

बंशीलाल ने बहुत सी उपलब्धियां हासिल की हैं. साल 2003 में खेलदूत के रूप में पूरे भारत का भ्रमण कर चुके है. साल 2018 में साइकिलिंग करते हुए उन्होंने चारों महानगरों को जोड़ने वाली स्वर्णिम चतुर्भुज जिसकी दूरी 6000 किलोमीटर है, उसे 16 दिन 16 घंटे में पूरा किया है. उनका नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है. वहीं, उन्होंने साल 2018 में ही खेल क्षेत्र के अध्यन के लिए पूरे भारत की 29000 हजार किलोमीटर की लंबी यात्रा बुलेट से तय की थी.

एवरेस्ट फतह करना था लक्ष्य

पर्वतारोहण का शौक रखने वाले बंशी लाल नेताम अपनी ट्रेनी तीन आदिवासी बेटियों के साथ माउंट एवरेस्ट की फतह कर अपना लक्ष्य पूरा करना चाहते थे. जिसकी ऊंचाई 8848 मीटर है. बंशीलाल 6400 मीटर की ऊंचाई तक ही पहुंच पाए थे. उनकी सोच थी कि पहली बार नक्सलगढ़ बस्तर की आदिवासी बेटियां (Tribal Girls) फतह करें. लेकिन उनकी यह इच्छा अधूरी रह गई.

बस्तर से हजारों बच्चों को निकाल कर उन्हें प्रशिक्षित करने का था जुनून

बंशीलाल खैरखेड़ा गांव में काफी संख्या में युवाओं को निःशुल्क ट्रेनिंग दिया करते थे. संसधान की कमी बाधा ना बने इसके लिए उन्होंने इसकी शुरुआत प्राकृतिक संसाधनों से की. इसके साथ काफी संख्या में बच्चे जुड़ते गए. घर से 25 किलोमीटर दूर गांव खैरखेड़ा के लिए सुबह 4 बजे से निकल जाते थे. उनकी इच्छा थी कि बस्तर के जंगलों से हजारों की तादात में बच्चे निकल कर खेल के क्षेत्र में आगे आए. जिससे राज्य, राष्ट्र ही नहीं बल्कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर बस्तर का नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो जाये.

बंशीलाल इन शिखरों को भी कर चुके है फतह

बंशीलाल नेताम ने अपने निःशुल्क एकेडमी की तीन आदिवासी बेटियां कल्पना भास्कर, आरती कुंजाम और दशमत वट्टी को पर्वतारोही बनाने जी तोड़ मेहनत की. उनके साथ बेटर टारसाथ देव टिब्बा पर्वतमाला जिसकी ऊंचाई 6001 मीटर है और इन्द्रासन पर्वत जिसकी ऊंचाई 6221 मीटर है. इस पर्वत की ऊंचाई को पहली बार फतह करने वालो में छत्तीसगढ़ की इन बेटियों के साथ इनका का नाम आ चुका है.

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