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CG: पंडो बस्ती का दर्द: एंबुलेंस नहीं पहुंची, खाट बना जीवन रक्षक 

CG News: छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़ में पंडो बस्ती के इलाके में एम्बुलेंस नहीं पहुंच पाती है. ऐसे में खाट पर लादकर मरीजों को अस्पताल ले जाना पड़ रहा है. 

CG: पंडो बस्ती का दर्द: एंबुलेंस नहीं पहुंची, खाट बना जीवन रक्षक 

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले की सरभोका ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम नवाडीह की पंडो बस्ती में रहने वाले बुधराम पंडो पिछले तीन साल से गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं. हाल ही में उनकी तबीयत बिगड़ने पर परिजनों ने एम्बुलेंस को फोन किया,लेकिन उनके घर तक सड़क न होने के कारण एम्बुलेंस वहां नहीं पहुंच पाई. मजबूर होकर उनके परिजन बुधराम को खटिया पर लादकर 5 किलोमीटर पैदल चलकर मुख्य सड़क तक लाना पड़ा. 

ये है मामला

बुधराम की पत्नी बुधनी बाई ने बताया कि उनके पति के कमर के नीचे सूजन थी, जो घाव में बदल गई और अब हालत गंभीर हो गई है. तीन साल से बीमारी का इलाज न हो पाने के कारण स्थिति और बिगड़ गई. बुधनी बाई ने कहा कि सड़क न होने की वजह से हमें खटिया में ही पति को ढोकर एम्बुलेंस तक लाना पड़ा. खटिया पर लादकर उन्हें कई किलोमीटर पैदल चलकर लाना पड़ा. इसके बाद एम्बुलेंस उन्हें अस्थायी जिला चिकित्सालय चिरमिरी पहुंचा सकी, जहां उनका इलाज चल रहा है.

भतीजे ने बताई हालात की गंभीरता

बुधराम के भतीजे तेजलाल ने बताया कि कमर के नीचे गंभीर बीमारी थी, जिसके बारे में हम नहीं जानते. परिवार ने सलाह दी कि अस्पताल ले जाना चाहिए. खटिया में रखकर 5 किलोमीटर पैदल चलने के बाद एम्बुलेंस मिली. गांव में सड़क है, लेकिन उस पर ट्रैक्टर ही चल सकता है, छोटी गाड़ियां नहीं जा सकती हैं.

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गांव में सड़क न होने का खामियाजा सिर्फ बुधराम ही नहीं, बल्कि गर्भवती महिलाओं को भी भुगतना पड़ता है. इस बस्ती में हर बार डिलीवरी के लिए महिलाओं को खटिया पर लादकर मुख्य सड़क तक ले जाया जाता है, जिसके बाद ही एम्बुलेंस की सुविधा मिल पाती है.

कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने सरकार पर उठाए सवाल

कांग्रेस जिलाध्यक्ष अशोक श्रीवास्तव ने स्वास्थ्य मंत्री और सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले से ऐसी तस्वीरें शर्मनाक हैं. कभी डिलीवरी ऑटो में होती है तो कभी मरीजों को खाट पर ढोकर अस्पताल लाया जाता है. यह सरकार के विकास के दावों की पोल खोल रही है. अस्थायी जिला चिकित्सालय चिरमिरी की डॉक्टर उषा लकड़ा ने बताया कि पेशेंट के आने पर हमने जाना कि उन्हें तीन-चार साल से सूजन की शिकायत थी. इस दौरान किसी भी अस्पताल में इलाज नहीं कराया गया. हमने जांच के लिए ब्लड सेंपल भेजा है. रिपोर्ट आने के बाद बीमारी की सटीक वजह बता पाएंगे. फिलहाल इलाज जारी है.

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विकास से कोसों दूर पंडो जनजाति

पंडो बस्ती के लोग आज भी सड़क,स्वास्थ्य और अन्य मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. सड़क न होने की वजह से समय पर इलाज न मिल पाने से उनकी जिंदगी खतरे में पड़ रही है. बुधराम का मामला केवल एक बानगी है. सरकार को इस ओर तत्काल ध्यान देना होगा,ताकि इन इलाकों तक स्वास्थ्य सुविधाएं और बुनियादी विकास पहुंच सके.

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