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तेज बारिश का कहर! निरीक्षण करने गए 5 लोग बहे, अधिकारी लापता, बाकियों ने ऐसे बचाई अपनी जान

CG News: छत्तीसगढ़ के कोरबा की कुसमुंडा खदान में तेज बारिश का कहर देखने को मिला है. यहां खदान का निरीक्षण करने के लिए गए 5 लोग तेज बहाव में बह गए थे. इनमें 4 तो सुरक्षित निकल गए जबकि एक अधिकारी लापता है.

तेज बारिश का कहर! निरीक्षण करने गए 5 लोग बहे, अधिकारी लापता, बाकियों ने ऐसे बचाई अपनी जान

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के कोरबा के एसईसीएल कुसमुंडा माइंस में बड़ा हादसा हो गया. खदान में जल भराव का निरीक्षण में गए अधिकारी और कर्मचारियों की टीम पानी के मलबे के तेज बहाव की चपेट में आ गए. पांच कर्मी सुरक्षित बच गए जबकि माइनिंग अधिकारी  सैलाब में बह गया. अधिकारी की तलाश के लिए एसडीआरएफ की टीम को बिलासपुर से बुलाया गया है.खदान में अधिकारी के बहने की खबर से पूरे कोयलांचल में  हड़कंप मचा हुआ है.

ऐसे हुई है घटना 

प्रदेश में लगातार तेज बारिश हो रही है. कोरबा में बारिश की वजह से कुसमुंडा खदान के गोदावरी पैच में पानी भरने लगा था. उसके निरीक्षण के लिए शाम के 4.30 बजे  क्वारी नंबर 3 के शिफ्ट इंचार्ज जितेंद्र नागरकर पांच लोगों की टीम के साथ यहां पहुंचे हुए थे. सभी पानी के कटाव से बही हुई सड़क मुआयना कर रहे थे और सड़क और पानी जाने वाले ढलान के मुहाने में खड़े हो कर पानी के मूवमेंट को देख रहे थे.

इसी बीच पानी और मिट्टी के धसान मलबा तेज बहाव के साथ आया उसने 5 लोगों को अपने चपेट में लिया. 4 कर्मियों को बड़े पत्थरों के सहारे ने बहने से बचा लिया. जबकि अधिकारी नागरकर पानी के मलबे के तेज बहाव की चपेट में आ गए और  बह कर सम्प में डूब गए.

बिलासपुर से पहुंची है टीम 

इस घटना के बाद देर रात एसईसीएल मुख्यालय ने सफाई देते हुए संक्षिप्त जानकारी जारी की है. इसमें कहा खदान में एक साथ भारी मात्रा में बारिश होने के कारण पानी के निकासी के लगाए गए ह्यूम्स पाइप में मलबा जमा हो गया. जिसके कारण पानी ओवरफ्लो होने से ये घटना हुई है.

रात तक असिस्टेंट मैनेजर माइनिंग मैनेजर जितेंद्र नागरकर का पता नहीं चला है. हालांकि  SECL कुसमुंडा की रेस्क्यू टीम अधिकारी की खोज के लिए घटना के बाद से मौके पर लगी हुई है. वहीं  एसडीआरएफ की टीम को मदद के लिए बिलासपुर से बुलाया गया है. 

दिशा-निर्देशों का नहीं हो रहा है पालन 

अधिकारी के बहने की घटना ने कोयला खदानों में DGMS के हाल में दिए गए निर्देश की किस तरह से पालन किया जाता है. इसको सामने ला दिया है. DGMS ने मानसून के दौरान लगातार पानी गिरने से खदानों के कैचमेंट एरिया में  पानी भरने और ओवर बर्डन की मिट्टी के कटाव के साथ पानी मे बह कर सम्प में गिरने की बात लिखी हुई है. वहीं इस दौरान ऐसे क्षेत्रों  में  उत्पादन बंद कर देने और नहीं जाने के स्पष्ट दिशा निर्देश दिए हुए हैं.नहीं तो मानवजीवन और भारी मशीनों के डूबने का खतरा रहता है.लेकिन रिकॉर्ड उत्पादन के लिए दबाव और तनाव में अधिकारी और कर्मी अपनी जान जोखिम में डाल कर दिए हुए दिशा-निर्देशों को दरकिनार कर खदानों में काम कर रहे हैं.

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