
Raigarh Farmers: रायगढ़ में करोड़ों रुपये की लागत से बनी केलो सिंचाई परियोजना (Kelo Irrigation Project) किसानों के लिए राहत बनने के बजाय सिरदर्द बन गई है. धान के खेत भी सूखे पड़े हैं, जबकि इस समय पानी की जरूरत सबसे ज्यादा होती है. नहरें अधूरी पड़ी हैं और उनमें पानी का नामोनिशान नहीं है. किसान अब सिर्फ आसमान की ओर देख रहे हैं.

रायगढ़ के पुसौर ब्लॉक के 8 से 10 गांवों में किसान सिंचाई के लिए ट्यूबवेल और तालाब का सहारा ले रहे हैं. फसल पीली पड़ गई है. बिजली कटौती और खराब बोरवेल ने किसानों को और परेशान कर रखा है. किसानों का कहना है कि दो से तीन हफ्तों से बारिश नहीं हुई है और नहर में पानी भी नहीं छोड़ा गया है. इससे हजारों एकड़ में लगी फसल बर्बादी की कगार पर है.

2007 में शुरू हुई थी परियोजना
केलो परियोजना का निर्माण 2007 में भाजपा शासनकाल में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में शुरू हुआ. इसी परियोजना के तहत किसानों के लिए स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव वृहद सिंचाई परियोजना का नाम दिया गया. 18 साल बाद भी ये पूरी नहीं हो पाई है. परियोजना में एक मुख्य नहर, एक शाखा नहर, 7 वितरक और 91 लघु नहरें शामिल हैं. इस वृहद परियोजना से दो जिलों के 175 गांव के 57 हजार 25 एकड़ खेतों को सिंचाई सुविधा मिलनी थी. बरसात से पहले ना तो नहर की साफ सफाई की गई और ना ही अधूरे काम को पूरा किया गया.

पिछले साल भी मिले थे 100 करोड़
विरोध और मुआवजा विवाद के बाद परियोजना के लिए पिछले साल 100 करोड़ का बजट मिला, लेकिन अब भी कई शाखा और लघु नहरें अधूरी हैं. यह अधूरी नहर कब पूरी होगी, अधिकारी इसे बताने में असमर्थ हैं. इस संबंध में परियोजना के अधिकारी ईई मनीष गुप्ता से ने इस बारे में कुछ नहीं बताया. विभाग के अधिकारी ने मीडिया से बात करने के लिए एक ऐसे अधिकारी को चुना जो एक कार्य क्षेत्र तक सीमित हैं.
एसडीओ रितु टंक ने बताया 5 अगस्त से 6.23 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है. जिन गांवों से मांग आई है, वहां पानी पहुंचाया जा रहा है.
किसानों का कहना है कि सरकारी दावों के बावजूद पानी समय पर नहीं मिल रहा और अगर हालात ऐसे ही रहे तो इस खरीफ में उत्पादन पर भारी असर पड़ेगा.
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