
Indian Boy in Greece: बुलंद हौसले और मजबूत इरादों के साथ गढ़ी गई धावक अनिमेष कुजूर की सफलता लोगों के लिए प्रेरणादायी है. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के जशपुर (Jashpur) जिले के छोटे से गांव घुइटांगर की पगडंडियों पर कभी नंगे पांव दौड़ने वाला लड़का, आज देश की सबसे तेज़ दौड़ का रिकॉर्ड बना चुका है. 5 जुलाई को ग्रीस के वारी शहर में आयोजित ड्रोमिया इंटरनेशनल स्प्रिंट मीट में 100 मीटर की दौड़ को 10.18 सेकंड में पूरा कर अनिमेष ने इतिहास रच दिया है. हालांकि, वह तीसरे स्थान पर रहे. पहले स्थान पर दक्षिण अफ्रीका रहा और दूसरे पर ओमान. लेकिन, उन्होंने भारतीय एथलेटिक्स का नया कीर्तिमान रच दिया है. उनके द्वारा भारत का मान बढ़ाने वाला ये पल पहला नहीं है.
सैनिक स्कूल में रहकर कड़ी मेहनत
अनिमेष को यूं ही पहचान नहीं मिली. इसके पीछे उनकी कड़ी मेहनत और संकल्प है. संसाधनों की कमी कभी उनके संकल्प के रास्ते में बाधा नहीं बनी. जशपुर जिले के कुनकुरी विकासखण्ड स्थित घुइटांगर जैसे छोटे से गांव में जन्मे अनिमेष, कोई स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स से नहीं निकले, उन्होंने अपने शुरुआती कदम खेतों के मेड़ों और कच्चे रास्तों पर दौड़ते हुए उठाए. माता-पिता की सरकारी नौकरी के कारण अनिमेष का बचपन छत्तीसगढ़ के कई हिस्सों में बीता.
प्रारंभिक शिक्षा महासमुंद जिले के वेडनर मिशन स्कूल में हुई. पांचवीं के बाद वे कांकेर आ गए, जहां उन्होंने सेंट माइकल स्कूल में पढ़ाई की. जीवन में असली मोड़ तब आया जब छठवीं कक्षा में उनका चयन सैनिक स्कूल अंबिकापुर में हो गया. यहीं से उन्होंने जीवन में अनुशासन और कड़ी मेहनत की, जो नींव पड़ी वह उनके जीवन की दिशा बदल दी.

अनिमेष के पिता और मां दोनों पुलिस अधिकारी
अनिमेष के पिता अमृत कुजूर कहते हैं कि सैनिक स्कूल में एडमिशन हमारे लिए किसी सपने से कम नहीं था. वहां की कड़े अनुशासन ने उनके दिनचर्या को निखारा. माता और पिता, दोनों छत्तीसगढ़ पुलिस में बतौरा डीएसपी के पद पर पदस्थ हैं और वर्तमान में दोनों बलौदा बाजार में पदस्थ हैं. अनिमेष के पिता अमृत कुजूर ने बताया कि कोरोनाकाल में स्कूल, खेल, कोचिंग सब बंद थे. तब सैनिक स्कूल में रहकर अनिमेष ने खुद को एक नई दिशा दी और वह एथलेटिक्स बनकर लोगों के सामने उभरा.
एक साथ पांच स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक पाकर चढ़ी सफलता की सीढ़ी
कांकेर जिले में जब युवा एवं खेल विभाग द्वारा एक प्रतियोगिता आयोजित की गई. प्रतियोगिता में अनिमेष ने 100 मीटर दौड़, 200 मीटर दौड़, 400 मीटर दौड़, लॉन्ग जंप और हाई जंप स्पर्धा में भाग लिया. उन्होंने पांचों में गोल्ड मेडल जीता. इस असाधारण जीत ने अनिमेष को नई पहचान दी. इस प्रदर्शन के बाद अनिमेष को रायपुर वेस्ट जोन एथलेटिक्स मीट में भेजा गया. वहां भी उन्होंने 100 और 200 मीटर में गोल्ड मेडल जीतकर गुवाहाटी में नेशनल अंडर-18 प्रतियोगिता के लिए चयनित हुए. लेकिन, वहां एक चुनौती सामने आई, उन्होंने कभी स्पाइक शूज़ नहीं पहने थे.
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प्रतियोगिता से पहले उनके पिता ने उन्हें जीवन के पहले प्रोफेशनल स्पाइक शूज़ दिलाए. वो पहली बार उन जूतों को पहनकर नेशनल ट्रैक पर दौड़े और 100 व 200 मीटर दोनों में चौथा स्थान प्राप्त किया. अनिमेष की सफलता इस बात का प्रमाण है कि जशपुर जैसे सीमावर्ती और वन बहुल जिलों से भी निकलकर प्रतिभाएं अंतर्राष्ट्रीय फलक पर छाने लगी है.
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