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Madvi Hidma Killed: खुफिया इनपुट से स्पेशल कमांड़ों तक; जानिए कैसे मारा गया लाल आतंक का कमांडर हिडमा?

Madvi Hidma Killed: मारा गया कमांडर मादवी हिडमा उर्फ संतोष 43 वर्ष का था और सीपीआई (माओवादी) की केंद्रीय समिति का सबसे कम उम्र का सदस्य था. उसका जन्म 1981 में छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पुवर्ती गांव में हुआ था. 43 साल का माडवी हिडमा CPI (माओवादी) की सेंट्रल कमेटी का सबसे युवा सदस्य था.

Madvi Hidma Killed: खुफिया इनपुट से स्पेशल कमांड़ों तक; जानिए कैसे मारा गया लाल आतंक का कमांडर हिडमा?
Madvi Hidma Killed: खुफिया इनपुट से स्पेशल कमांड़ों तक; जानिए कैसे मारा गया लाल आतंक का कमांडर हिडमा?

Madvi Hidma Encounter: आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामाराजू जिले में मंगलवार को आंध्र-ओडिशा सीमा क्षेत्र में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में शीर्ष माओवादी कमांडर माडवी हिडमा समेत छह माओवादी मारे गए. यह मुठभेड़ मारेडुमिली वन क्षेत्र में उस समय हुई जब छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और ओडिशा की पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवान माओवादियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद तलाशी अभियान में लगे हुए थे. मुठभेड़ में मारे गए माओवादियों में शीर्ष माओवादी कमांडर और भाकपा (माओवादी) केंद्रीय समिति के सदस्य माडवी हिडमा के भी शामिल होने की खबर है. ये मुठभेड़ आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा के ट्राई-जंक्शन पॉइंट के पास हुई. आंध्र प्रदेश के डीजीपी हरीश कुमार गुप्ता ने इसे "नक्सल विरोधी अभियानों की ऐतिहासिक जीत" बताया है.

कैसे हुआ ये ऑपरेशन?

इसे एंटी-नक्सल ऑपरेशन की अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी माना जा रहा है. आंध्र प्रदेश के डीजीपी हरीश कुमार गुप्ता ने बताया कि यह मुठभेड़ सोमवार को उस वक्त हुई, जब आंध्र प्रदेश-छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा पर माओवादियों के एक बड़े समूह के मूवमेंट की खुफिया जानकारी मिली थी. उन्होंने बताया, "विशिष्ट खुफिया जानकारी के आधार पर, सोमवार देर रात एंटी-नक्सल ग्रेहाउंड्स और स्थानीय पुलिस ने मिलकर सघन कॉम्बिंग ऑपरेशन शुरू किया.

डीजीपी हरीश गुप्ता के अनुसार, हिडमा न सिर्फ बड़े ऑपरेशनों में शामिल था, बल्कि वह युवाओं को नक्सलवाद में शामिल होने के लिए प्रेरित करने का काम भी करता था. मारे गए माओवादियों में हिडमा की दूसरी पत्नी राजे उर्फ राजक्का भी शामिल है.

यह मुठभेड़ अल्लूरी सीताराम राजू जिले के मारेडुमिल्ली जंगल में तीनों राज्यों के बॉर्डर पॉइंट के करीब हुई. भीषण मुठभेड़ के बाद, सुरक्षाबलों ने हिडमा सहित कुल छह माओवादियों को मार गिराया.

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कौन था माडवी हिडमा?

सुकमा जिले के पूवर्ती गांव के मूल निवासी हिडमा की उम्र और रूप-रंग सुरक्षा एजेंसियों के बीच लंबे समय तक अटकलों का विषय रहे हैं. यह सिलसिला इस वर्ष की शुरुआत में उसकी तस्वीर सामने आने तक जारी रहा. हिड़मा ने कई वर्षों तक माओवादियों की पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) बटालियन नंबर एक का नेतृत्व किया. यह बटालियन दंडकारण्य में माओवादी संगठन का सबसे मजबूत सैन्य दस्ता है. दंडकारण्य छत्तीसगढ़ के बस्तर के अलावा आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, तेलंगाना और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, हिड़मा को पिछले वर्ष माओवादियों की केंद्रीय समिति में पदोन्नत किया गया था. वह दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) का भी सदस्य रहा है, जिसने दक्षिण बस्तर में कई घातक हमलों को अंजाम दिया है.

मारा गया कमांडर मादवी हिडमा उर्फ संतोष 43 वर्ष का था और सीपीआई (माओवादी) की केंद्रीय समिति का सबसे कम उम्र का सदस्य था. उसका जन्म 1981 में छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पुवर्ती गांव में हुआ था. 43 साल का माडवी हिडमा CPI (माओवादी) की सेंट्रल कमेटी का सबसे युवा सदस्य था. हिडमा PLGA बटालियन नंबर-1 का चीफ था, जो माओवादियों की सबसे घातक स्ट्राइक यूनिट है. हिडमा पर ₹1 करोड़ का इनाम था और वह बस्तर का इकलौता आदिवासी था, जिसने सेंट्रल कमेटी में जगह बनाई. उसने कम से कम 26 बड़े हमलों की साजिश रची, जिनमें 2010 का दंतेवाड़ा नरसंहार (76 CRPF जवान शहीद), 2013 का झीरम घाटी हमला (27 लोग मारे गए) और 2021 का सुकमा-बीजापुर एंबुश (22 जवान शहीद) शामिल हैं.

गुरिल्ला युद्ध में प्रशिक्षित, हिडमा एके-47 राइफल रखने के लिए जाना जाता था. उसकी टुकड़ी में कई सौ जवान आधुनिक हथियारों से लैस थे. जंगलों के अंदर उसके चार-स्तरीय सुरक्षा घेरे के कारण कथित तौर पर वह वर्षों तक सुरक्षाबलों की पहुंच से दूर रहा.

पुलिस के मुताबिक उनकी पत्नी राजे भी उसी बटालियन में सक्रिय थी और कथित तौर पर लगभग हर बड़े माओवादी हमले में शामिल थी. पुलिस अधिकारियों ने बताया, ''हिडमा ने अपने कार्यकर्ताओं के बीच एक वीर छवि बना ली थी और उसका खात्मा बस्तर क्षेत्र से माओवाद के खात्मे की दिशा में एक बड़ा कदम है.''

आंध्र प्रदेश में हुई इस मुठभेड़ के साथ ही छत्तीसगढ़, झारखंड और आंध्र प्रदेश में अलग-अलग मुठभेड़ों में माओवादियों की केंद्रीय समिति के नौ सदस्य मारे गए हैं. प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के महासचिव और शीर्ष कार्यकर्ता नंबला केशव राव उर्फ बसवराजू (70) और केंद्रीय समिति के पांच सदस्य छत्तीसगढ़ में अलग-अलग मुठभेड़ों में मारे गए. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि झारखंड में दो केंद्रीय समिति सदस्य मारे गए, जबकि इस साल आंध्र प्रदेश में भी कई अन्य नक्सली मारे गए. छत्तीसगढ़ पुलिस के अनुसार इस वर्ष माओवादियों के महासचिव और नौ केंद्रीय समिति सदस्यों के खात्मे तथा केंद्रीय समिति सदस्यों सुजाता, भूपति और रूपेश के आत्मसमर्पण के बाद अब प्रतिबंधित संगठन में पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति के आठ सदस्य (शीर्ष माओवादी कार्यकर्ता) बचे हैं.

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