पिछले दिनों छत्तीसगढ़ में पीएससी (PSC) एग्जाम को लेकर राज्य लोक सेवा आयोग ने बड़ा फैसला किया है. अब पीएससी के सभी एग्जाम में पारदर्शिता लाने के लिए वर्गवार कटऑफ जारी किया जाएगा. अच्छी बात ये है कि इसके साथ इंटरव्यू के नंबर भी कम किए जाएंगे. ये फैसला छत्तीसगढ़ के लाखों छात्रों को बड़ी राहत देगा क्योंकि वे लंबे समय से वर्गवार कट ऑफ जारी करने की मांग कर रहे थे. इसकी घोषणा खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने की है. लेकिन सवाल ये है कि क्या कटअफ जारी होने से परीक्षा में पारदर्शिता आएगी ?
छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले की रहने वाली नित्या पांडेय साल 2018 से लगातार राज्य की लोक सेवा आयोग (PSC) की परीक्षा में हिस्सा ले रही हैं. साल 2019, 2020 और 2021 की परीक्षा में प्री क्वालीफाई हुआ. 2021 में इंटरव्यू तक पहुंची. प्रदेश में 147वां रैंक आया, लेकिन चयन नहीं हो सका. 2022 में फिर से परीक्षा दीं, लेकिन प्री ही क्वॉलीफाई नहीं हुआ. प्री क्वॉलीफाई करने से वो कितने नंबर से चूक गईं? इस सवाल का जवाब नित्या को नहीं मिल पाया, क्योंकि छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा अब तक प्रीलिम्स की परीक्षा परिणाम में कटआफ जारी नहीं किया जाता है.
कटऑफ जारी होने से क्या बदलेगा ?
एनडीटीवी से बातचीत में नित्या कहती हैं- विस्तार से समझाते हुए नित्या कहती हैं कि मान लीजिए कि 200 पदों के लिए आवेदन मंगाए गए हैं. नियम के अनुसार पद के 15 गुणा अभ्यर्थी क्वाॅलीफाई होंगे. अब तक की व्यवस्था में परिणाम के तौर पर क्वॉलीफाई किए 3000 अभ्यर्थियों का सिर्फ रोल नंबर जारी कर दिया जाता है. जबकि प्रीलिम्स की परीक्षा 80 हजार से 1 लाख अभ्यर्थी देते हैं. वर्गवार कटआफ सूची जारी होने से फेल हुए अभ्यर्थी को पता होगा कि वो कितने नंबर से पीछे रह गया. इससे न सिर्फ परीक्षा की पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि अभ्यर्थी को भी पता चलेगा कि उसकी तैयारी किस स्तर पर हो रही है.
नित्या पांडे
बिलासपुर में रहकर तैयारी कर रहे भिलाई के अतुल कुमार 2 बार सीजी पीएससी की मेंस परीक्षा तक पहुंचे हैं, लेकिन तीसरी बार प्री क्वॉलीफाई नहीं कर पाए. अतुल कहते हैं- कटआफ जारी करना सुधार की दिशा में बड़ा कदम है, लेकिन पारदर्शिता के लिए और भी बदलाव करने की जरूरत है.
सटीक जानकारी के लिए प्रीलिम्स की भी अंक सूची जारी होनी चाहिए. भिलाई में रहकर तैयारी कर रहे बालोद के अंचल साहू भी अतुल की बात का समर्थन करते हैं.
विनय सिंह
भिलाई में लंबे समय से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवा रहे एक निजी कोचिंग संचालक विनय सिंह कहते हैं कि वर्तमान परिस्थिति में प्रीलिम्स के बाद आयोग की ओर से मॉडल आंसर जारी किया जाता है. इसके बाद दावा आपत्ति मंगाई जाती है. दावाआपत्ति के बाद सीधे परिणाम के तौर पर क्वालीफाई अभ्यर्थियों के रोल नंबर जारी कर दिए जाते हैं. मान लीजिए कि दावा आपत्ति में पांच सवालों के जवाब पर आपत्ति की गई हो तो उसपर आयोग ने क्या निर्णय लिया, इसका पता ही नहीं चलता है. गलत सवाल या गलत जवाब वाले सवालों को विलुप्त किया गया या उसके बदले सभी अभ्यर्थियों को बराबर अंक दिए गए. इसका पता नहीं चलता है. जबकि आयोग को दावा आपत्ति के बाद फाइनल मॉडल आंसर जारी करना चाहिए. इससे अभ्यर्थी मॉडल आंसर से मिलान कर खुद को मिले अंक का आंकलन कर सकता है. फिर परिणाम के साथ कटआफ जारी होना चाहिए.
परीक्षा में भ्रष्टाचार की आशंका
बता दें कि छत्तीसगढ़ की राज्य सेवा आयोग की परीक्षा तीन चरणों में होती है. प्रीलिम्स में सीसेट और जनरल स्टडी के 2 पर्चे होते हैं. सीसेट में वर्गवार सिर्फ क्वालीफाई करना होता है. उदाहरण के लिए सामान्य वर्ग का अभ्यर्थी 33 प्रतिशत अंक लाने पर क्वॉलीफाई हो जाता है. दूसरा पर्चे जनरल स्टडी में 100 प्रश्न पूछे जाते हैं. सही उत्तर देने पर प्रति प्रश्न 2 अंक मिलता है. जबकि गलत उत्तर पर 1 तिहाई अंक कट जाता है. इसमें क्वॉलीफाई करने वालों के लिए मेंस की लिखित परीक्षा में 7 विषयों में होती है, जिनमें प्रति विषय 200 अंक होते हैं. इसको पास करने वालों को इंटरव्यू कॉल किया जाता है. वर्तमान में 150 अंक का इंटरव्यू होता है. मुख्यमंत्री भूपेश ने ऐलान किया है कि इंटरव्यू के अंक कम किए जाएंगे.
जब मेरिट सूचि के टॉप 20 चयनितों में टॉपर समेत करीब 12 चयनित किसी अधिकारी या नेता के बेटा, बेटी, बहू, भतीजा-भतीजा या अन्य रिश्तेदार थे. प्रदेश में विपक्षी दल बीजेपी ने चयन परीक्षा में बड़े भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और उच्च स्तरीय जांच की मांग की. इसको लेकर राज्य स्तर पर कई विरोध प्रदर्शन भी किए गए. इसपर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि यदि कोई परीक्षार्थी शिकायत करेगा तो जांच जरूर करवाई जाएगी. सीजी पीएससी में भ्रष्टाचार की आशंका और पारदर्शिता पर उठ रहे सवालों के बीच अभ्यर्थियों की ओर से कटआफ जारी करने की मांग की गई.
इंटरव्यू के नंबर कम होने के क्या फायदे?
बिलासपुर में 20 साल से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवा रहे बृजेन्द्र शुक्ला कहते हैं कि राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सुधार की दिशा में यह अच्छा कदम है. क्योंकि कई बार देखा गया है कि मेंस में अधिक अंक पाने के बाद भी अभ्यर्थी का चयन इसलिए नहीं होता, क्योंकि इंटरव्यू में उसे कम अंक दे दिया गया.
बृजेन्द्र शुक्ला
कई बार ऐसे आरोप लगते हैं कि इंटरव्यू पैनल में शामिल लोग अपने चहेतों काे जानबूझकर ज्यादा अंक देते हैं. मान लीजिए कि ए नाम के एक अभ्यर्थी का बी नाम के अभ्यर्थी से मेंस में 80 अंक ज्यादा हैं. किसी कारण इंटरव्यू में ए को सिर्फ 35 अंक मिले. जबकि बी को 120 अंक मिल गए. ऐसे में लिखित परीक्षा में कम अंक लाने के बाद भी बी का रैंक ए से ऊपर हो जाएगा. अब यदि इंटरव्यू का अंक सिर्फ 50 ही रहता है तो ऐसे परिणाम की संभावना काफी कम रह जाएगी.
देवेन्द्र यादव
लेकिन क्या इससे भ्रष्टाचार की आशंका समाप्त हो जाएगी? इस सवाल बृजेन्द्र शुक्ला कहते हैं कि प्रीलिम्स का कटआफ और इंटरव्यू के नंबर कम करना सुधार की दिशा में बड़ा कदम जरूर है, लेकिन वर्तमान में जो चर्चााएं चल रही हैं, उसके मुताबिक पहले से सेटिंग वाले अभ्यर्थियों की मेंस की कॉपी बदलने की बात कही जा रही है. यानि की परीक्षा हॉल में अभ्यर्थी कॉपी ब्लैंक छोड़ देता है और बाद में अलग से बैठकर लिखता है. अगर इस हदतक हो रहा है तो उसे रोकने कुछ और बड़े कदम उठाने होंगे. इसके लिए बड़े बदलाव करने होंगे.