
हरदा जिले का कांकड़दा 20 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहा है, इसी को लेकर कांकड़दा के लोगों ने धरना दिया. हरदा जिले के हंडिया ब्लॉक में काकंड़दा ग्राम पंचायत सहित आस पास के तीन गांव इंदिरा सागर बांध के कारण डूब गए थे. जुलाई 2005 में जिला कलेक्टर ने कांकड़दा गांव को गोद लेकर इस गांव की पूरी जिम्मेदारी ले ली थी. गांव के भोले भाले गरीब आदिवासी लोगों को तब 60 बाई 90 के प्लॉट बीस बीस हजार में दिए गए थे. जबकि इनको ये प्लॉट निशुल्क मिलने चाहिए थे. लेकिन आज इतना समय गुजर जाने के बाद भी इन प्लॉटों की रजिस्ट्री नहीं हुई है. इस गांव की हालत ये है कि यहां ना तो कोई सड़क है ना ही यहां हाईस्कूल है. हालत ये है कि तीन गांव के 60 से अधिक बच्चे बच्चियां 3 किलोमीटर पैदल चलकर रोज स्कूल आते जाते हैं.

धरने पर बैठे लोग
इनके आने जाने के रास्ते में जंगल भी पड़ता है जिससे और भी तरह के खतरे होते हैं. बच्चों की मजबूरी है कि वो रोज खतरों के साथ 3 किलोमीटर पैदल आते जाते हैं. देश में जहां कई क्षेत्र काफी आगे बढ़ गए है वहीं हरदा जिले के कांकड़दा गांव के लोगों को अभी तक मूलभूत सुविधा भी नहीं मिल पाई है. जिसके कारण यहां के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कांकड़दा को कम से कम मूलभूत सुविधा मिले इसके लिए यहां के लोगों में धरना दिया. इस धरने में काफी बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए. शायद इस धरने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार के कानों में जू रेंग जाए और यहां के लोगों को कुछ राहत मिल सके.