
CG NEWS: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के समाज कल्याण विभाग (Scam in Social Welfare Department) में 3 करोड़ 25 लाख 50 हजार रुपये का बड़ा घोटाला सामने आया है. इस घोटाले को राज्य निराश्रित निधि के नाम पर जागरूकता अभियान, दिव्यांग प्रोत्साहन योजना, पेंशन योजना, तीर्थयात्रा योजना और पुनर्वास शिविरों के आयोजन के नाम पर अंजाम दिया गया. तीन बैंकों में फर्जी खाते खोलकर इस पूरी रकम को निजी उपयोग में निकाला गया. अपर कलेक्टर अरविंद पांडेय की जांच रिपोर्ट के बाद अब दोनों पूर्व अधिकारियों के खिलाफ गरियाबंद कलेक्टर ने FIR दर्ज करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं.
कैसे रची गई 3.25 करोड़ की साजिश?
यह घोटाला राज्य निराश्रित निधि के संचालन के नाम पर 2016 से 2019 के बीच किया गया. नियमानुसार, जिले से राशि की मांग कलेक्टर की अनुशंसा से होनी चाहिए थी, मगर तत्कालीन उपसंचालक एलएस मार्को ने सीधे रायपुर से रकम मंगवाई. इतना ही नहीं, इस रकम की एंट्री किसी भी सरकारी दस्तावेज, रजिस्टर या जावक पंजी में नहीं की गई. समाज कल्याण विभाग के नाम पर बैंक ऑफ इंडिया गरियाबंद, एचडीएफसी बैंक धमतरी और पंजाब नेशनल बैंक धमतरी में फर्जी खाते खोलकर पूरी राशि अपने तरीके से निकाली गई. गरियाबंद कलेक्टर ने इस मामले को लेकर अपर कलेक्टर अरविंद पांडेय गरियाबंद जिला कोषालय अधिकारी एवं गरियाबंद जिला समाज कल्याण अधिकारियों की 3 सदस्यीय जांच टीम गठित की गई थी.
9 चेक, 3 साल और 3.25 करोड़ का खेल
इस घोटाले की शुरुआत 26 सितंबर 2016 को यूनियन बैंक रायपुर से 22 लाख रुपये के चेक के जारी होने से हुई. इसके बाद अलग-अलग समय पर 9 चेकों के माध्यम से राशि का आहरण किया गया. चेकों की लिस्ट कुछ इस प्रकार है:
- 26 सितंबर 2016 को 22 लाख (यूनियन बैंक के चेक से)
- 24 नवंबर 2017 को 25 लाख ( पीएनबी बैंक के चेक से )
- 22 जून 2018 को 83 लाख रुपये (पीएनबी के तीन चेक में)
- 1 मार्च 2019 को 48 लाख रुपये ( कोटक महिंद्रा बैंक के चेक से )
- 10 मार्च 2019 को 49 लाख रुपए ( कोटक महिंद्रा बैंक के चेक से )
- 19 अगस्त 2019 को 49 लाख 50 हजार रुपये ( कोटक महिंद्रा बैंक के चेक से )
- 20 अगस्त 2019 को 49 लाख ( कोटक महिंद्रा बैंक के चेक से )
इन चेकों के माध्यम से रकम को फर्जी खातों में डालकर निकाला गया.
कौन हैं घोटाले के मुख्य किरदार?
इस पूरे मामले में तत्कालीन उपसंचालक एलएस मार्को और प्रभारी डीडीओ मुन्नीलाल पाल पर गंभीर आरोप लगे हैं. दोनों अधिकारी अब रिटायर हो चुके हैं. एलएस मार्को राजनांदगांव में तो मुन्नीलाल पाल बिलासपुर में रह रहे हैं. जांच समिति ने दोनों अधिकारियों को कई बार नोटिस भेजा, मगर वे हाजिर नहीं हुए.
इसके अलावा रायपुर के तत्कालीन उपसंचालक पंकज वर्मा की भूमिका भी संदिग्ध है. वर्मा ने बिना गरियाबंद कलेक्टर की अनुशंसा के 49 लाख रुपये की राशि स्वीकृत कर दी.
धमतरी में 8 करोड़ के घोटाले की आशंका!
सूत्रों की मानें तो धमतरी में भी समाज कल्याण विभाग के फर्जी खाते खोलकर करीब 8 करोड़ रुपये की राशि का गबन हुआ है. मुन्नीलाल पाल 2012 से 2022 तक धमतरी में विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे. गरियाबंद प्रशासन की सक्रियता से जब 3.25 करोड़ के घोटाले का खुलासा हो सकता है, तो धमतरी में जांच से और बड़े भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो सकता है.
गरियाबंद अपर कलेक्टर अरविंद पांडे ने बताया कि मामले को लेकर गरियाबंद कलेक्टर द्वारा तीन सदस्य जांच दल बनाया गया था जिसमें मेरे द्वारा पूरे प्रकरण की जांच की गई और इसमें 3 करोड़ 25 लाख 50 हजार की राशि का गबन पाया गया है जिस पर गरियाबंद कलेक्टर के आदेश पर एफआईआर दर्ज कराने कहा गया है.
क्या होगी आगे की कार्रवाई?
कलेक्टर की सिफारिश पर अब दोनों रिटायर्ड अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज होने के बाद गरियाबंद प्रशासन इस मामले में दोषियों से ब्याज सहित पूरी राशि की वसूली करेगा. साथ ही, धमतरी में भी बड़े घोटाले की जांच की उम्मीद जताई जा रही है.
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