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156 स्कूलों में बनाए गए किचन गार्डन से फलदार पौधे गायब, 7 साल बीत जाने के बाद भी फर्म को नहीं मिली राशि

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बालोद में प्रत्येक स्कूल में किचन गार्डन बनाया गया, लेकिन जिस उद्देश्य से पोषण वाटिका का निर्माण किया गया था वो फेल हो गया है, क्योंकि किचन गार्डन से सभी फलदार पौधे गायब हो गए. तो कई जगहों पर पौधे सुख गए और गार्डन बंजर में तब्दील हो गया है. 

156 स्कूलों में बनाए गए किचन गार्डन से फलदार पौधे गायब, 7 साल बीत जाने के बाद भी फर्म को नहीं मिली राशि

Balod News: तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू और तत्कालीन आदिवासी विभाग सहायक आयुक्त माया वारियर का कोरबा में खनिज न्यास निधि (डीएमएफ) घोटाले में नाम आने और गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर छत्तीसगढ़ में डीएमएफ में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले व बंदरबाट के मामले सामने आए हैं. दरअसल, बालोद जिले में डीएमएफ की राशि की मनमाने तरीक़े से खर्च किया गया है. कई जगह तो बिना कार्य के ही राशि हड़प ली गई है, तो कई स्थानों पर एक ही कार्य को एक ही स्थान पर 2 से 3 बार करा दिया गया. इसके अलावा कई जगह कार्य बिना टेंडर के ही करा दिए गए.

दरअसल, बालोद में डीएमएफ राशि में बंदरबाट का मामला सामने आया है, जिसका खुलासा RTI के तहत हुआ है. जानकारी के मुताबिक, भंडारण क्रय नियम की जमकर धज्जियां उड़ाई गई हैं. नियम कायदों को ताक पर रख लाखों रुपये की हेराफेरी की गई है. 

भंडारण क्रय नियम की उड़ाई गई धज्जियां

बता दें कि 8 फरवरी, 2017 को जिला खनिज संस्थान न्यास ने डीएमएफ के तहत प्राथमिक शाला और माध्यमिक शाला में किचन गार्डन निर्माण के लिए 25 लाख रुपये की राशि और 156 प्राथमिक शालाओं में किचन गार्डन (पोषण वाटिका) निर्माण और किचन गार्डन सेवा दूत के लिए 24 लाख 96 हजार रुपये स्वीकृति की गई थी, लेकिन इस किचन गार्डन निर्माण कार्य में लाखों रुपये का बंदरबाट कर दिया गया. जानकारी के मुताबिक, स्वीकृत इस किचन गार्डन में 7 से 8 लाख रुपये का घोटाला हुआ है. जिस वक्त ये घोटाला हुआ है उस समय तत्कालीन डीएमसी पीसी मरकले थे, जो फिलहाल जिले के जिला शिक्षा अधिकारी है.

दरअसल, इन कार्यों का टेंडर नहीं निकाला गया. बिना टेंडर निकाले एजेंसी की नियुक्ति कर भंडारण क्रय नियम की धज्जियां उड़ाई गई. इतना ही नहीं कलेक्टर के द्वारा जो समिति बनाई गई थी, उस समिति का कार्यवाही विवरण में कही हस्ताक्षर भी नहीं है. 

फर्म की आज भी देनदारी बाकि

मिली जानकारी अनुसार, कोटेशन के अनुसार सबसे कम दर पर निर्माण कार्य करने के लिए दुर्ग के सुंदर नगर वार्ड-51 बोरसी के आंनद एग्रो एंड कंस्ट्रक्शन की अनुशंसा की गई थी, लेकिन इस कार्यवाही विवरण में भी नोडल और समिति के सदस्यों के हस्ताक्षर नहीं है.

वहीं फर्म के संचालक लल्लन प्रसाद चौहान ने बताया कि उन्हें आज तलक 8 लाख रुपये का भुगतान नहीं हुआ है. तत्कालीन जिला मिशन समन्वयक पीसी मरकले से भौतिक सत्यापन भी कराया गया, लेकिन इसके बावजूद आज तक 8 लाख रुपये की राशि नहीं मिली. 

बंजर हुए किचन गार्डन, पौधे गायब

156 स्कूलों में किचन गार्डन (पोषण वाटिका) में फलदार पौधे में केला, नींबू, मुनगा, अमरूद, पपीता, साथ ही आवश्यकतानुसार सब्जी बीज, प्लांटिंग मटेरियल, मिट्टी (5ट्राली), वर्मीकंपोस्ट या गोबर खाद, मजदूरी भूमि की तैयारी निदाई, गुड़ाई, फफूंदीनाशक, कीटनाशक व्यय का कोटेशन आनंद एग्रो एंड कंस्ट्रक्शन को दिया गया.

बता दें कि प्रत्येक स्कूल में 16 हजार का किचन गार्डन बनाया गया, लेकिन जिस उद्देश्य से पोषण वाटिका का निर्माण किया गया था वो फेल हो गया है, क्योंकि किचन गार्डन में सभी फलदार पौधे गायब हो गए है. तो कई जगहों पर पौधे सुख गए हैं, तो कही गार्डन बंजर में तब्दील हो गया है. 

जिला शिक्षा अधिकारी व तत्कालीन जिला मिशन समन्वयक  पीसी मरकले ने कहा कि फर्म का भुगतान बकाया नहीं है. सभी क्लियर है, ऑडिट में आपत्ति की मुझे जानकारी नहीं है. 

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