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मोबाइल की जानलेवा लत ! भाइयों से विवाद के बाद पांचवीं के छात्र ने कर ली खुदकुशी

बिलासपुर जिले के पचपेड़ी थाना क्षेत्र में 11 वर्षीय छात्र की आत्महत्या की घटना ने सभी को झकझोर दिया है. बताया जा रहा है कि मृतक छात्र का अपने भाइयों से मोबाइल को लेकर विवाद हुआ था. उसके घर में एक ही मोबाइल था. फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है.

मोबाइल की जानलेवा लत ! भाइयों से विवाद के बाद पांचवीं के छात्र ने कर ली खुदकुशी

Suicide in Bilaspur:बिलासपुर में पांचवीं क्लास के एक छात्र ने खुदकुशी कर ली. इसकी पुख्ता वजह तो अभी सामने नहीं आई हैं लेकिन पुलिस और परिवार वालों को अंदेशा है कि छात्र ने मोबाइल की लत (Mobile Addiction) को लेकर खुदकुशी की है.   सुसाइड करने वाले छात्र का नाम कबीर केवट है और वो महज 11 साल का था. उसके पिता का नाम संतोष केवट है. मामला पचपेड़ी थाना (Pachpedi Police Station)के जोंधरा गांव का है.फिलहाल सुसाइड की पुख्ता वजह सामने नहीं आई है. 

माता-पिता खेत में थे तभी की खुदकुशी

शुरुआती जानकारी के मुताबिक संतोष केवट जोंधरा गांव में रहते हैं. उनके तीन बेटे हैं. बुधवार को वो और उनकी पत्नी बच्चों को खाना खिलाकर और स्कूल के लिए तैयार करके खेत में काम करने चले गए. माता-पिता ने बच्चों को कहा था वे समय होने पर स्कूल चले जाएं. जिसके बाद संतोष का बड़ा बेटा चंद्र प्रकाश अपने मझले भाई को लेकर स्कूल चला गया लेकिन सबसे छोटा भाई कबीर केवट घर में ही रुक गया. दोनों भाइयों ने इस सामान्य बात समझा और फिर स्कूल चले गए. दोपहर में डेढ़ बजे चंद्र प्रकाश जब स्कूल से लौटा तो घर अंदर से बंद मिला. इसके बाद उसने खिड़की से झांक कर देखा तो छोटे भाई कबीर को पंखे से फंदे से लटका पाया. उसने तुरंत ही पड़ोसियों को मामले की जानकारी दी. इसके बाद सूचना मिलने पर संतोष और उसकी पत्नी भी आनन-फानन में घर लौटीं. पुलिस को भी सूचना दी दी गई. जिसके बाद पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और दरवाजे को तोड़कर कमरे में प्रवेश किया. हालांकि तब तक कबीर केवट की मौत हो गई थी. पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. 

घर में एक ही मोबाइल था, भाइयों में होता था विवाद

शुरुआती पूछताछ में पता चला है कि संतोष केवट के घर में एक ही मोबाइल है. जिसे लेकर तीनों बच्चों में अक्सर विवाद होता था. पुलिस के साथ परिवार वालों को भी अंदेशा है इसी विवाद में कबीर ने इतना खौफनाक कदम उठाया है. वैसे ये घटना केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है. तकनीक और डिजिटल युग में यदि समय रहते बच्चों को इस दबाव से बचाने के प्रयास नहीं किए गए, तो ऐसी घटनाएं और बढ़ सकती हैं. जानकार कहते हैं कि इस त्रासदी को केवल एक घटना के रूप में नहीं, बल्कि एक सबक के रूप में देखना होगा. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे बच्चे तकनीक के गुलाम न बनें, बल्कि इसे समझदारी से इस्तेमाल करना सीखें. उनके मानसिक और भावनात्मक जरूरतों को प्राथमिकता देना अब समय की मांग है. 

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