कस्टम मिलिंग स्कैम (चावल मिल घोटाला) मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (ईओडब्ल्यू) ने मंगलवार को व्यवसायी दीपेन चावड़ा के खिलाफ चालान पेश किया है. ईओडब्ल्यू (EOW) और एसीबी (ACB) ने पिछले महीने ही दीपेन को गिरफ्तार किया था. दीपेन चावड़ा पूर्व महापौर एजाज ढेबर के कारोबारी भाई अनवर ढेबर का सहयोगी है. कस्टम मिलिंग घोटाले में फरवरी में तत्कालीन प्रबंध संचालक मनोज सोनी और रोशन चंद्राकर के अलावा अक्टूबर मे अनवर देवर अनिल टुटेजा के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया जा चुका है.
EOW ने कस्टम मिलिंग मामले में 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा की अवैध धनराशि के प्रबंधन का आरोप है. इसी मामले की जांच में ईओडब्ल्यू को 20 करोड़ रुपये लोक सेवकों की ओर से एकत्र करने के साक्ष्य मिले थे.
दीपेन के खिलाफ पर्याप्त सबूत
ईओडब्ल्यू ने एक बयान में कहा है कि दीपेन चावड़ा के खिलाफ अपराध के पर्याप्त सबूत पाए जाने पर रायपुर स्थित भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विशेष अदालत में आरोपपत्र पेश किया गया. चावड़ा, अनवर ढेबर का सहयोगी है और वह EOW में दर्ज अन्य प्रकरणों में लगभग दो हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा अवैध धनराशि का प्रबंधक था.
चावल मिल मालिकों से अवैध वसूली
राज्य की ईओडब्ल्यू और एंटी-करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने पिछले वर्ष प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से मिली एक रिपोर्ट के आधार पर कथित चावल मिल घोटाले के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की थी. ईडी इस मामले में धन शोधन की जांच कर रही है. EOW के अनुसार, जांच में इस मामले में चावल मिल मालिकों से लगभग 140 करोड़ रुपये की अवैध वसूली का पता चला है.
ईडी के अनुसार, 175 करोड़ रुपये का कथित घोटाला खरीफ विपणन सीजन 2021-22 के दौरान किया गया था, जब छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का शासन था.
आयकर विभाग के आरोपपत्र से उपजा मनी लॉन्ड्रिंग का मामला
धन शोधन (Money Laundering) का यह मामला आयकर विभाग के आरोपपत्र से उपजा है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि ‘छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एसोसिएशन' के पदाधिकारियों ने राज्य में मार्कफेड के अधिकारियों के साथ 'मिलीभगत' की और खरीफ वर्ष 2021-2022 के दौरान करोड़ों रुपये की रिश्वत लेने की 'साजिश' रची.
ईडी ने कहा था कि खरीफ वर्ष 2021-22 तक, राज्य सरकार द्वारा चावल मिल मालिकों को धान कुटाई के लिए प्रति क्विंटल धान पर 40 रुपये का विशेष प्रोत्साहन दिया गया था, और इस राशि को 'अत्यधिक' बढ़ाकर 120 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया, जिसका भुगतान 60 रुपये प्रति क्विंटल की दो किस्तों में किया गया.
ईडी के अनुसार, मार्कफेड के अधिकारियों और जिला खनिज अधिकारियों (डीएमओ) ने छत्तीसगढ़ राज्य चावल मिल मालिक संघ के पदाधिकारियों के साथ मिलकर चावल मिल मालिकों से जबरन वसूली की. चावल मिल मालिकों पर जबरन वसूली की रकम वसूलने का दबाव बनाने के लिए, आरोपियों ने बिना किसी औचित्य के चावल मिल मालिकों के बिलों को लंबित रखा.
ईडी के मुताबिक पूरे छत्तीसगढ़ के चावल मिल मालिकों को राज्य चावल मिल मालिकों के संघ द्वारा उनके प्रोत्साहन बिलों के भुगतान के लिए प्रति क्विंटल चावल 20 रुपये की दर से नकद भुगतान करने के लिए मजबूर किया गया था.
केवल उन्हीं चावल मिल मालिकों के बिलों का भुगतान मार्कफेड के एमडी द्वारा किया गया, जिन्होंने संघ को नकद भुगतान किया था.
इसमें दावा किया गया है कि इसके परिणामस्वरूप छत्तीसगढ़ के चावल मिल मालिकों से भारी मात्रा में नकदी वसूली गई, जिसका इस्तेमाल आरोपियों ने अपने निजी फायदे के लिए किया.