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This Article is From Apr 03, 2025

Bastar Pandum में दिखी गौरवशाली आदिवासी संस्कृति की झलक, डिप्टी सीएम शर्मा ने बताया वैश्विक पहचान दिलाने की कोशिश

Bastar Adivasis: केदार कश्यप ने कहा कि बस्तर पंडुम की चर्चा देश-विदेश में हो रही है. लोग बस्तर की संस्कृति को समझने के लिए लालायित हो रहे हैं.

Bastar Pandum में दिखी गौरवशाली आदिवासी संस्कृति की झलक, डिप्टी सीएम शर्मा ने बताया वैश्विक पहचान दिलाने की कोशिश

Adivasis in Bastar: उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा और वन मंत्री केदार कश्यप ने बस्तर पंडुम के संभागीय स्तरीय कार्यक्रम का उद्घाटन किया. इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि बस्तर की संस्कृति, परंपरा को दुनिया के लोगों को जानने-समझने का अवसर मिलेगा.

डिप्टी सीएम शर्मा ने कहा कि नवरात्रि के अवसर पर बस्तर की वैभव-गौरवशाली संस्कृति को सहेजने और संवारने सहित वैश्विक पटल पर पहुंचाने के लिए सरकार ने बस्तर पंडुम कार्यक्रम का आयोजन किया है, जिससे बस्तर की संस्कृति, परंपरा को दुनिया के लोगों को जानने-समझने का अवसर मिलेगा. उन्होंने कहा कि बस्तर अद्भुत सांस्कृतिक परम्परा, रीति रिवाज और जनजातीय व्यंजन से समृद्ध है. इस पावन धरा में जन्म लेना सौभाग्य की बात है. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में मेरा जन्म न होने से यहां की संस्कृति और अनेक स्वादिष्ट व्यंजन से वंचित रहा हूं पर आज इस कार्यक्रम में मुझे बस्तर की सभी स्वाद का अनुभव करने का अवसर मिला. इस मौके पर  उन्होंने बस्तर में सरकार द्वारा संचालित योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचकर लोगों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने हेतु सार्थक प्रयास करने की बात कही.

'बस्तर की संस्कृति को बचाने की पहल है बस्तर पंडुम'

वनमंत्री केदार कश्यप ने कहा कि बस्तर पंडुम की चर्चा देश-विदेश में हो रही है. लोग बस्तर की संस्कृति को समझने के लिए लालायित हो रहे हैं. ऐसे में बस्तर क्षेत्र के स्थानीय व्यंजन, वेशभूषा- आभूषण जो लुप्तप्राय होती जा रही हैं. ऐसी समृद्ध संस्कृति को बचाने की पहल बस्तर पंडुम के माध्यम से की जा रही है.

बस्तर पंडुम की विशेषताएं

बस्तर पंडुम 2025 के अन्तर्गत सात विधाएं शामिल की गई हैं. जिसमें संभाग के सातों जिलों के विजेताओं के मध्य प्रतियोगिता आयोजित किया गया है. इस कार्यक्रम में जनजातीय नृत्यों के तहत गेड़ी, गौर-माड़िया, ककसाड़, मांदरी, हुलकी पाटा, परब सहित लोक गीत श्रृंखला के तहत जनजातीय गीत-चौथ परब, लेजा, जगार गीत, धनकुल, हुलकी पाटा (रीति-रिवाज, तीज त्यौहार, विवाह पद्धति एवं नामकरण संस्कार आदि) प्रदर्शित किए गए.

सांस्कृतिक कार्यक्रम

इस मौके पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ बस्तर पंडुम का भव्य आयोजन किया गया. कार्यक्रम में विधायक  चैतराम अटामी, जिला पंचायत अध्यक्ष  नंदलाल मुड़ामी ने भी संबोधित किया. संस्कृति विभाग के संचालक  विवेक आचार्य ने कार्यक्रम की रूपरेखा की जानकारी दी .

जनजातीय वेशभूषा एवं आभूषण

जनजातीय वेशभूषा एवं आभूषण का प्रदर्शन विधा में लुरकी, करधन, सुतिया, पैरी, बाहूंटा, बिछिया. ऐंठी, बंधा, फुली, धमेल, नांगमोरी, खोचनी, मुंदरी, सुर्रा, सुता, पटा, पुतरी, नकबेसर जैसे आभूषण में एकरूपता, आकर्षकता, श्रृंगार, पौराणिकता को महत्व दिया गया.

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जनजातीय पेय पदार्थ एवं व्यंजन

जनजातीय पेय पदार्थ एवं व्यंजन का प्रदर्शन-सल्फी, ताड़ी, छिंद रस, लांदा, कोसरा, जोन्धरा एवं मड़िया पेज, चापड़ा चटनी, सुक्सी पुड़गा, मछरी पुड़गा, मछरी झोर, आमट साग, तिखुर, बोबो इत्यादि के बनाने की विधि, स्थानीय मसाले, स्वाद, प्रकार का प्रस्तुतिकरण बस्तर पंडुम 2025 के मुख्य आकर्षण हैं.

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