
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर में चल रहे विकास कार्यों में देरी और लापरवाही को लेकर नगर निगम और स्मार्ट सिटी ने बड़ा एक्शन लेते हुए ठेका कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की है. निगम ने प्रोजेक्ट में गड़बड़ी करने वाली ठेका कंपनियों और ठेकेदारों पर अलग-अलग मामलों में ब्लैक लिस्टिंग, करोड़ों की पेनाल्टी और बर्खास्तगी की कार्रवाई की है.
नगर निगम ने गणपति इंफ्रास्ट्रक्चर पर 37.50 लाख रुपये की पेनाल्टी लगाई है और सिम्प्लेक्स कंपनी से ठेका निरस्त करते हुए 30 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी राजसात कर ली है. वहीं, FDR गड़बड़ी करने वाला ठेकेदार कमल सिंह ठाकुर पांच साल के लिए ब्लैक लिस्टेड किया गया है.
गणपति इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी पर की कार्रवाई
अरपा उत्थान और तट संवर्धन प्रोजेक्ट का काम गणपति इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी कर रही थी. जिसमें इंदिरा सेतु से शनिचरी रपटा तक नदी के दोनों ओर नाला, सड़क और सौंदर्यीकरण का कार्य किया जा रहा है. वर्तमान में नदी की दांयी ओर इंदिरा सेतु से पुराना पुल तक बस प्रथम चरण को पूरा किया गया है.
ठेका कंपनी को बाकी काम तेजी करने के निर्देश दिए थे, बावजूद इसके काम धीमी गति से चल रहा था. कार्य में प्रगति नहीं लाने पर स्मार्ट सिटी के एमडी अमित कुमार के निर्देश पर ठेका कंपनी गणपति इंफ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ कार्रवाई की गई है. वहीं, अंडरग्राउंड सीवरेज प्रोजेक्ट का कार्य करने वाली सिंप्लेक्स कंपनी को काम में प्रगति लाने के लिए कई बार नोटिस जारी किया था, लेकिन कंपनी ने कोई उचित जवाब नहीं दिया.
कंपनी को 10 फरवरी को अंतिम नोटिस जारी किया था. कोई जवाब नहीं मिलने पर निगम आयुक्त के निर्देश पर सिंप्लेक्स कंपनी को बर्खास्त कर दिया. साथ ही कंपनी के बैंक गारंटी और सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में जमा 30 करोड़ रुपयों का राजसात किया है.
ठेकेदार को किया ब्लैकलिस्ट
स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत राजीव गांधी चौक से तैयबा चौक तक स्टार्म वॉटर ड्रेन और दिव्यांग फ्रेंडली फूटपाथ का निर्माण किया गया है, जिसका ठेका कमल सिंह ठाकुर को मिला था. शर्तों के अनुसार कार्य के लिए एपीएस और पीवीजी का मूल एफडीआर जमा करना था. इस दौरान ठेकदार ने मूल एफडीआर की जगह डुप्लीकेट फोटोकॉपी जमा कर दी. स्मार्ट सिटी प्रबंधन जांच में यह तथ्य पाए जाने पर पहले ही ठेकेदार के भुगतान से 16 लाख 50 हजार रुपये पेनाल्टी के रूप में काट चुकी थी. कार्य में दोषी पाए जाने पर ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड करते हुए पांच साल के लिए सभी प्रकार की निविदाओं में भाग लेने के लिए प्रतिबंधित किया गया है.