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अजब-गजब: सिम्स के डॉक्टरों ने गर्भ में पल रहे जिस बच्चे को बता दिया मृत, वह सोनोग्राफी में निकला जिंदा

Bilaspur CIMS Hospital: हाईकोर्ट की फटकार के बाद भी सिम्स की व्यवस्था नहीं सुधरी. यहां  डिलीवरी के लिए आई महिला के गर्भ  में पल रहे शिशु को मृत बता दिया गया. हालांकि, सोनोग्राफी रिपोर्ट में शिशु जिंदा पाया गया.

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अजब-गजब: सिम्स के डॉक्टरों ने गर्भ में पल रहे जिस बच्चे को बता दिया मृत, वह सोनोग्राफी में निकला जिंदा

CIMS Bilaspur in Hindi: हाईकोर्ट (Chhattisgarh Highcourtl) की फटकार के बाद भी सिम्स की व्यवस्था नहीं सुधरी. यहां डिलीवरी के लिए आई महिला के गर्भ में पल रहे शिशु को मृत बता दिया गया. हालांकि, सोनोग्राफी रिपोर्ट में शिशु जिंदा पाया गया.बिलासपुर हाईकोर्ट की फटकार के बाद भी सिम्स की व्यवस्था में सुधार नहीं दिख रहा है. यहां पर लापरवाही का आलम ये है कि डिलीवरी के लिए आई महिला के बच्चे को मृत बता दिया गया, जबकि निजी डायग्नोस्टिक सेंटर में सोनोग्राफी जांच में जिंदा पाया गया. हालांकि, 4 दिन बाद नवजात की मौत हो गई. महिला इस वक्त 22 दिन बाद भी एएसीसीयू में जीवन और मौत के बीच जूझ रही है.

चाटीडीह रामायण चौक निवासी ड्राइवर अंकित कुमार यादव ने बताया कि पिछले 22 फरवरी को वह अपनी गर्भवती पत्नी शिल्पा को पेट में तेज दर्द की शिकायत होने पर सिम्स लेकर गया था. डॉक्टरों के कहने पर उसने एक दिन के लिए पत्नी को भर्ती कराया, तो बताया गया कि उसका ब्लड प्रेशर बढ़ने बच्चे की गर्भ में ही मौत हो चुकी है. लिहाजा, बच्चे को ऑपरेशन करके निकालना पड़ेगा. अंकित की मां ने कहा ऐसा नहीं हो सकता, वह हर माह अपनी बहू शिल्पा का चेकअप करा रही हैं, दो दिन पहले भी सोनोग्राफी कराया था, उसमें डॉक्टरों ने सब ठीक बताया था. लिहाजा उसने एक बार फिर से अपनी बहू की सोनोग्राफी कराने का बात कही, लेकिन डॉक्टरों ने मना कर दिया. बार-बार आग्रह करने पर कहा गया कि यह लिखकर दें कि आप अपनी जिम्मेदारी पर पेसेंट को ले जा रहे हैं. परिजनों ने जब लिखकर दे दिया, इसके बाद महिला ने अपनी बहू का सिम्स के सामने डायग्नोसिस सेंटर में सोनोग्राफी करवाई, तो बताया गया कि बच्चा स्वस्थ है.

पैदाइश के चार दिन बाद बच्चे की मौत

इसके बाद जीवित बच्चा पैदा भी हुआ, लेकिन 4 दिन बाद उसकी मौत हो गई. वहीं, महिला को डिलीवरी के बाद कभी इंफेक्शन, तो कभी चेस्ट में पानी भरने की बात कर कर आईसीयू में रखा गया है. अब तक यहां पीड़ित महिला को 18 यूनिट ब्लड चढ़ चुका है. इन 23 दिनों में महिला को कोई राहत तो दूर, इतने बड़े मेडिकल कॉलेज में उसकी खासी तक का इलाज नहीं हो पाया है. उसे अभी भी खांसी हो ही रही है.

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बच्चे की मौत का है मलाल

अंकित का कहना है कि उसने अपनी पत्नी के इलाज के लिए बैंक से 50 हजार का लोन ले रखा है. इतना ही पैसा रिश्तेदारों से उधार ले चुका है. अब उसकी हिम्मत जवाब दे गई है. उसने बताया कि मैं ही जानता हूं कि इन 22 दिनों में कैसे अपनी पत्नी के लिए 18 यूनिट ब्लड का इंतजाम किया है. उसने मीडिया के माध्यम से मदद की गुहार लगाते हुए कहा कि उसे किसी से कोई शिकायत नहीं है. वह फिर रकम कमा लेगा, लेकिन बच्चा तो हाथ नहीं लगा. अब उसकी जीवन संगिनी के प्राण की जीवन बच जाए बस यही गुहार है. 

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