विज्ञापन
This Article is From Jan 14, 2025

CIMS अस्पताल में करोड़ों रुपये का घोटाला आया सामने, फर्जी आईडी के जरिए आयुष्मान प्रोत्साहन राशि का ऐसे किया जा रहा बंदरबाट

Scam in CIMS Bilaspur: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बिलासपुर (Bilaspur) स्थित सिम्स अस्पताल (CIMS Hospital) में बड़ा घोटाला सामने आया है. यह घोटाला आरटीआई (RTI) के जरिए उजागर हुआ है. दरअसल, अस्पताल प्रबंधन में मौजूद कुछ भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी मिलीभगत कर सरकारी फंड के बंदर बांट का खेल खेल रहे हैं. दरअसल, आयुष्मान कार्ड धारक मरीजों को बेहतर इलाज के लिए अतिरिक्त स्टाफ की भर्ती के नाम पर मिलने वाले प्रोत्साहन राशि में यह घपला किया जा रहा है. 

CIMS अस्पताल में करोड़ों रुपये का घोटाला आया सामने, फर्जी आईडी के जरिए आयुष्मान प्रोत्साहन राशि का ऐसे किया जा रहा बंदरबाट

CIMS Bilaspur Scam News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बिलासपुर (Bilaspur) स्थित सिम्स अस्पताल में करोड़ों रुपये के घोटाले का खुलासा हुआ है. इस घोटाले में अस्पताल प्रबंधन और जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई है. पहले भी अस्पताल में मरीजों और उनके परिजनों से दुर्व्यवहार और अव्यवस्थाओं की खबरें आती रही हैं, लेकिन अब वित्तीय अनियमितताओं ने मामले को और गंभीर बना दिया है. दरअसल, आरटीआई से खुलासा हुआ है कि अस्पताल में 7 से 8 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई है, जिसे अधिकारियों और कर्मचारियों की सांठगांठ से अंजाम दिया गया.

ऐसे किया गया गबन का खेल

दरअसल, केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से अस्पतालों में कर्मचारियों की कमी को दूर करने और समुचित व्यवस्था बनाए रखने के लिए आयुष्मान प्रोत्साहन राशि के जरिए अस्पतालों में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की भर्ती की जाती है. इसी योजना का फायदा उठाकर सिम्स अस्पताल में 70 फर्जी कर्मचारियों की फर्जी आईडी बनाकर करोड़ों रुपये का गबन किया गया. साल 2021-22 में आयुष्मान भारत योजना के तहत आए बजट का दुरुपयोग करते हुए अधिकारियों ने फर्जी आईडी और अपात्र कर्मचारियों की सूची तैयार की. पूर्व नोडल अधिकारी ने अपने बैंक खाते में 40 लाख रुपये का लेनदेन किया, जिसकी शिकायत होने पर केवल उनका तबादला कर दिया गया, लेकिन अब तक गबन की राशि की वसूली नहीं हो पाई है.

किन कर्मचारियों के खाते में गए पैसे

स्टाफ नर्स, नर्स, असिस्टेंट प्रोफेसर (डीएमई) रेडियोग्राफर, टेक्नीशियन (ECG), पैरामेडिकल स्टाफ, रिकॉर्ड क्लर्क, डार्क रूम असिस्टेंट, प्रदर्शक(DME), सोशल वर्कर, लैब अटेंडर, सर्वेंट, स्वीपर, प्यून, स्टोर कीपर, वार्ड बॉय, एसोसिएट प्रोफेसर के अलावा कई दूसरे स्टाफ के खाते में रकम डाले गए.

उपकरण खरीद में भी घोटाला

फर्जी आईडी से पैसा हड़पने के अलावा अस्पताल में 250 करोड़ रुपये की नियम विरुद्ध उपकरण खरीद का मामला भी सामने आया है. आरोप है कि नए नोडल अधिकारी के कार्यकाल में भी यह फर्जीवाड़ा जारी रहा,जिसकी शिकायत की गई थी, लेकिन वो मामला भी ठन्डे बस्ते में है.

प्रशासन की लापरवाही

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की सख्त फटकार के बावजूद जिला प्रशासन और स्वास्थ्य मंत्री को इस घोटाले की जानकारी नहीं थी. जांच केवल औपचारिकता बनकर रह गई है और दोषियों के खिलाफ अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है.

यह भी पढ़ें- OBC Reservation पर डिप्टी सीएम साव ने कांग्रेस को घेरा, बोले- भाजपा की वजह से मिला  '50% आरक्षण'

डीन ने भी माना बहुत बड़ा है ये घोटाला

इस मामले में जब सिम्स अस्पताल के डीन डॉ. रमणेश मूर्ति से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जांच जारी है, लेकिन घोटाले का दायरा बहुत बड़ा है. इसमें कई स्तर के अधिकारी और कर्मचारी शामिल हो सकते हैं.

अब सवाल यह उठता है कि गरीबों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए चलाई जा रही प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की महत्वपूर्ण योजनाओं में इतनी बड़ी लापरवाही और भ्रष्टाचार कैसे हुआ? क्या दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी या मामला राजनीतिक दबाव में दबा दिया जाएगा? यह घोटाला सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करता है. बहरहाल देखना होगा प्रदेश के स्वास्थ्य अधिकारी और वर्तमान सरकार इस बड़े भ्रष्टाचार के खिलाफ क्या कार्रवाई करती है.

यह भी पढ़ें- CM साय का बड़ा ऐलान, पत्रकार मुकेश चंद्राकर के परिजन को देगी 10 लाख की सहायता राशि

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close