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This Article is From Nov 27, 2024

Nikay Chunav: कांग्रेस पार्टी में नहीं सुधर रहे हैं हालात, निकाय चुनाव से पहले मीटिंग में ही लड़ पड़े दो नेता

CG Nagariya Nikay Chunav: छत्तीसगढ़ विधानसभा में करारी हार के बाद भी कांग्रेस पार्टी की गुटबाजी समाप्त होती नजर नहीं आ रही है. हालात ये कि नगरीय निकाय चुनाव से पहले जीत की रणनीति बनाने के लिए हुई बैठक में दो नेता आपस में ही लड़ पड़े.

Nikay Chunav: कांग्रेस पार्टी में नहीं सुधर रहे हैं हालात, निकाय चुनाव से पहले मीटिंग में ही लड़ पड़े दो नेता

CG Urban Body Election: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की रणनीति तय करने के लिए बुलाई गई कांग्रेस की बैठक में बुधवार को जमकर हंगामा हुआ. बैठक के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बीच तीखी नोकझोंक और गाली-गलौज की स्थिति पैदा हो गई. यह विवाद प्रदेश कांग्रेस महामंत्री और बिलासपुर जिला कांग्रेस प्रभारी सुबोध हरितवाल और पूर्व महापौर राजेश पांडेय के बीच हुआ.

विवाद की वजह और सुलह का प्रयास

कांग्रेस भवन में बुधवार को आयोजित इस बैठक में पीसीसी चीफ दीपक बैज खुद मौजूद थे. चर्चा के दौरान, सुबोध हरितवाल और राजेश पांडेय के बीच बोलने के मुद्दे पर विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों ने एक-दूसरे पर खुलेआम आरोप-प्रत्यारोप और गाली-गलौज शुरू कर दी. विवाद को शांत करने के लिए कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव और शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय पांडेय ने हस्तक्षेप किया और दोनों नेताओं के बीच सुलह करवाई.

बैठक छोड़कर निकल गए पीसीसी चीफ 

विवाद को बढ़ता देख पीसीसी चीफ दीपक बैज ने स्थिति से बचते हुए रायपुर के लिए प्रस्थान कर लिया.  इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे पार्टी की छवि को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं.

शहर कांग्रेस अध्यक्ष ने ये दी सफाई

शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय पांडेय ने इस विवाद को "स्वस्थ चर्चा" करार दिया.  उन्होंने कहा कि कांग्रेस जिंदा लोगों की पार्टी है, इसलिए ऐसी गहमा-गहमी होती रहती है. इसे विवाद मानने के बजाय इसे विचारों की स्वस्थ बहस समझा जाना चाहिए. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी के भीतर यह मामला सुलझा लिया गया है और इसे परिवार का आंतरिक मामला बताते हुए विवाद को खत्म मान लिया गया है. विजय पांडेय ने कहा कि पार्टी में हर तरह के लोग होते हैं, और यह बहस भी उसी विविधता का हिस्सा है.  हमारे नेताओं के बीच नरम-गरम चर्चा होती है, लेकिन अंततः सब कुछ सुलझा लिया जाता है.

आने वाले चुनावों पर असर?

हालांकि, पार्टी के भीतर इस तरह के विवाद नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों की तैयारी में एक बाधा साबित हो सकते हैं. विपक्ष के लिए यह घटना कांग्रेस को घेरने का एक नया मुद्दा बन सकती है. अब देखना यह होगा कि पार्टी किस तरह से इन आंतरिक मतभेदों को चुनावी तैयारियों पर हावी होने से रोक पाती है. 

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